Supreme Court ने ECI को SIR विस्तार याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक फैसला करने का दिया आदेश

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 06:03 PM

sc asks eci to decide on sir extension pleas by dec 31

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को ECI को निर्देश दिया कि वह केरल और उत्तर प्रदेश में चल रहे SIR की समय सीमा बढ़ाने की याचिकाओं पर 31 दिसंबर 2024 तक निर्णय ले। मुख्य CJI सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्य बागची की पीठ ने उन याचिकाओं पर सुनवाई...

नेशनल डेस्क: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को ECI को निर्देश दिया कि वह केरल और उत्तर प्रदेश में चल रहे SIR की समय सीमा बढ़ाने की याचिकाओं पर 31 दिसंबर 2024 तक निर्णय ले। मुख्य CJI सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्य बागची की पीठ ने उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया, जिनमें मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी।

अदालती कार्यवाही के मुख्य बिंदु

सीजेआई सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग को दिया। इसमें SIR की समय सीमा बढ़ाने के लिए प्राप्त अभ्यावेदन पर फैसला करने का आदेश दिया गया है। इस पर आयोग को 31 दिसंबर तक फैसला लेना है, जबकि अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी। यह मामला मुख्य रूप से केरल और उत्तर प्रदेश की मतदाता सूचियों से संबंधित है। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि केरल में बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं और प्रक्रिया में समय की कमी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सीधे आयोग के पास अपनी मांग रखने की अनुमति दी है।

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केरल और यूपी को लेकर गंभीर आरोप

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि केरल में पुनरीक्षण के दौरान लगभग 25 लाख नाम हटा दिए गए हैं। उन्होंने विसंगतियों का उदाहरण देते हुए कहा कि कई मामलों में पति का नाम सूची में है लेकिन पत्नी का नाम हटा दिया गया है। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने उत्तर प्रदेश के संदर्भ में सवाल उठाया कि जब वहां विधानसभा चुनाव 2027 में होने हैं, तो इतनी जल्दबाजी में गहन पुनरीक्षण (SIR) करने की क्या आवश्यकता है?

डेटा सुरक्षा पर रुख

सुप्रीम कोर्ट ने उस अलग याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि मतदाता गणना के दौरान नागरिकों का गोपनीय डेटा निजी स्वयंसेवकों (Volunteers) के साथ साझा किया जा रहा है। कोर्ट ने फिलहाल मुख्य ध्यान समय सीमा और प्रक्रिया की शुद्धता पर केंद्रित रखा है।

 

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