वैज्ञानिकों ने तैयार की सुपर वैक्सीन, कई रूप बदलने पर भी नहीं बच पाएगा कोरोना

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Jun, 2021 09:19 AM

scientists have prepared super vaccine corona will not survive

कोरोना जैसे जैसे अपना रूप बदल रहा है, विश्व के वैज्ञानिक भी उससे निपटने के लिए कमर कसे हुए हैं।  अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना के हर वेरिएंट से लड़ने के लिए एक नई सुपर वैक्सीन तैयार कर ली है। यह कोविड-19 के हर वेरिएंट का मुकाबला करने में सक्षम है।...

नेशनल डेस्क: कोरोना जैसे जैसे अपना रूप बदल रहा है, विश्व के वैज्ञानिक भी उससे निपटने के लिए कमर कसे हुए हैं।  अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना के हर वेरिएंट से लड़ने के लिए एक नई सुपर वैक्सीन तैयार कर ली है। यह कोविड-19 के हर वेरिएंट का मुकाबला करने में सक्षम है। कोरोना वायरस को अभी तक दो महामारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 2003 में सार्स और 2019-20 से कोविड-19 वैश्विक महामारी। शोधकर्ताओं ने पाया है कि भविष्य में भी कोरोना वायरस का खतरा बरकरार रहेगा और कोई नहीं जानता है कि कौन-सा वायरस कब अगली महामारी फैला देगा। भविष्य में कोरोना वायरस से जुड़ी ऐसी किसी भी वैश्विक महामारी से रक्षा के लिए वैज्ञानिकों ने यह वैक्सीन डिजाइन की है, जो मौजूदा सार्स कोव-2 कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा तो देगी ही, कोरोना वायरस समूह के दूसरे संभावित वायरस से भी रक्षा में कारगर होगी। सुपर वैक्सीन' को अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी ने डेवलप किया है। यूनिवर्सिटी की स्टडी को साइंस जर्नल में पब्लिश किया गया है। 

 

कई गुना ज्या एंटीबॉडीज करती है तैयार
शोधकर्ताओं ने इसकी रोकथाम के लिए वैक्सीन विकसित करने में एमआरएनए तकनीक अपनाई है, जिसका अमेरिका में विकसित दोनों वैक्सीन फाइजर और मॉडर्ना में इस्तेमाल किया जा रहा है। फर्क सिर्फ ये है कि यूनिवर्सल वैक्सीन विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं ने सिर्फ एक वायरस के एमआरएनए कोड के इस्तेमाल करने की बजाए कई कोरोना वायरस के एमआरएनए को एक साथ जोड़ दिया है। इसका नतीजा ये हुआ है कि जब हाइब्रिड वैक्सीन चूहे को लगाई गई तो ऐसी प्रभावी एंटीबॉडीज तैयार हुई, जो कई तरह की स्पाइक प्रोटीन का सामना कर सकती है। इसमें पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया बीटा (बी.1.351) वैरिएंट भी शामिल किया गया है।

 

क्या है स्पाइक प्रोटीन?
कोरोना वायरस की फैमिली के सभी वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन डेवलप करते हैं। वायरस की आउटर लेयर पर क्राउन यानी कांटों की तरह दिखने वाले हिस्से से प्रोटीन बाहर निकलता है। इसे ही स्पाइक प्रोटीन का नाम दिया गया है। प्रोटीन के जरिए ही इंसानी शरीर में संक्रमण की शुरुआत होती है और तेजी से फैलता है। यह इंसान के एंजाइम रिसेप्टर से जुड़ फेफड़ों में पहुंचता है। प्रोटीन फेफड़ों में पहुंचने पर संक्रमण को बढ़ाता है।

 

कामयाब हुई तो नई महामारी का नहीं होगा खतरा
शोध के मुताबिक इस यूनिवर्सल वैक्सीन में किसी भी तरह के आउटब्रेक को रोकने की क्षमता होगी। ट्रायल में इस्तेमाल किए गए चूहे सार्स कोव और कोरोना वायरस के कई और वैरिएंट से संक्रमित थे। ट्रायल की यह प्रक्रिया अभी जारी है और सब कुछ तय योजना के मुताबिक रहा तो अगले साल इस वैक्सीन की ट्रायल इंसान पर की जाएगी। शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि सब कुछ अगर उनकी योजना के अनुसार चलता रहा तो वह कोरोना के हर तरह के वेरिएंट की रोकथाम वाली यूनिवर्सल वैक्सीन बना लेंगे और फिर कोरोना फैमिली के चलते तीसरी वैश्विक महामारी का खतरा नहीं रहेगा।

 

कोरोना के नए रूपों का तोड़ ढूंढ रहा है अमेरिका
कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट अब भारत में खतरनाक बन चुका है। डेल्टा वैरिएंट के चलते अमेरिकी सरकार की भी चिंता बढ़ी हुई है। इसलिए वैज्ञानिक अब सुपर वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जिससे कोरोना के किसी भी नए वैरिएंट की चिंता ही खत्म हो जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ कैरोलिना के वैज्ञानिकों ने अभी तक जो रिसर्च किया है, उसके नतीजे काफी सकारात्मक हैं। यूनिवर्सल वैक्सीन विकसित करने का मकसद ये है कि यह अनदेखा वायरस चाहे कितना भी रंग-रूप बदल ले, यह सबके खिलाफ उतनी ही प्रभावी होगी और फिर भविष्य में कोरोना वायरस के किसी भी नए वैरिएंट की टेंशन ही नहीं रह जाएगी।
 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!