Indian Currency Rupee:  'रुपया' शब्द कहां से आया? भारत में मुद्रा के इतिहास को बदलने वाला ऐतिहासिक फैसला!

Edited By Updated: 04 Aug, 2025 05:14 PM

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हर दिन हम ‘रुपया’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं – कभी सब्ज़ी खरीदते वक्त, तो कभी ऑनलाइन पेमेंट करते हुए। लेकिन क्या आपने कभी इस शब्द की जड़ तक जाने की कोशिश की है? कौन था वो इंसान जिसने 'रुपया' जैसी स्थायी और मजबूत मुद्रा को जन्म दिया? इस सवाल का जवाब...

नेशनल डेस्क: हर दिन हम ‘रुपया’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं – कभी सब्ज़ी खरीदते वक्त, तो कभी ऑनलाइन पेमेंट करते हुए। लेकिन क्या आपने कभी इस शब्द की जड़ तक जाने की कोशिश की है? कौन था वो इंसान जिसने 'रुपया' जैसी स्थायी और मजबूत मुद्रा को जन्म दिया? इस सवाल का जवाब छुपा है इतिहास के एक ऐसे योद्धा-शासक की गाथा में, जिसने सिर्फ पांच साल तक भारत पर राज किया, लेकिन उसके सुधारों की गूंज सदियों तक सुनाई दी। वो थे – शेरशाह सूरी।

कौन था शेरशाह सूरी?
शेरशाह सूरी एक अफगान मूल का शासक था, जिसका असली नाम फरीद खान था। एक बार अकेले शेर से मुकाबला कर उसे मार गिराने पर उसे ‘शेरशाह’ की उपाधि मिली। वर्ष 1540 से 1545 तक वह भारत का शासक रहा। इस छोटे से शासनकाल में उसने कई बड़े प्रशासनिक और आर्थिक बदलाव किए, जिनमें से सबसे अहम था – स्थायी मुद्रा प्रणाली की शुरुआत।

'रुपया' शब्द की शुरुआ

Indian Currency Rupee:  'रुपया' शब्द कहां से आया? जानिए उस शासक की कहानी जिसने भारत की करंसी को दी Rupee पहचान

'रुपया' शब्द की शुरुआत कैसे हुई?
शेरशाह सूरी ने एक तय मानक के आधार पर चांदी का सिक्का चलाया, जिसका वजन था 178 ग्रेन (करीब 11.53 ग्राम)। इसी सिक्के को 'रुपया' नाम दिया गया। यह नाम लिया गया था संस्कृत शब्द 'रूप्यकम्' से, जिसका मतलब है – चांदी से बना हुआ। यानी ‘रुपया’ मूल रूप से एक चांदी का सिक्का था। इसके अलावा उसने सोने के सिक्के (मोहर) और तांबे के सिक्के (दाम) भी प्रचलन में लाए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में संतुलन आया।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?
शेरशाह के शासन से पहले भारत में अलग-अलग इलाकों में भिन्न-भिन्न तरह के सिक्के प्रचलित थे – जिनका वजन, धातु की शुद्धता और मूल्य एक-दूसरे से मेल नहीं खाते थे। इस कारण व्यापार, टैक्स वसूली और सरकारी लेन-देन में काफी भ्रम और असुविधा होती थी। शेरशाह ने पूरे साम्राज्य के लिए एक समान मुद्रा प्रणाली लागू करके इस समस्या को सुलझाया। इससे न सिर्फ व्यापार आसान हुआ, बल्कि शासन भी अधिक संगठित और विश्वसनीय बन गया।

RBI ने भी माना शेरशाह का योगदान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी अपने आधिकारिक दस्तावेज़ों में शेरशाह सूरी को ही ‘रुपया’ की नींव रखने वाला शासक माना है। उसकी बनाई गई मुद्रा प्रणाली इतनी प्रभावशाली थी कि बाद के मुगल शासकों ने भी उसी ढांचे को अपनाया और काफी लंबे समय तक बनाए रखा।

केवल मुद्रा नहीं, सुधारों की पूरी श्रृंखला
शेरशाह सूरी सिर्फ मुद्रा सुधार तक सीमित नहीं था। उसने सड़कों का निर्माण, डाक व्यवस्था की शुरुआत, सरायों और विश्राम स्थलों का निर्माण करवाया – जिससे व्यापारियों, सैनिकों और यात्रियों को देशभर में सुगमता से यात्रा करने में मदद मिली। उदाहरण के तौर पर, उसने ग्रैंड ट्रंक रोड को बेहतर रूप में विकसित किया, जो आज भी भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कई हिस्सों को जोड़ती है।

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