Edited By Anu Malhotra,Updated: 18 Dec, 2025 10:06 AM

भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है, जिससे निवेशकों और शेयर बाजार दोनों पर दबाव देखा जा रहा है। मंगलवार को रुपया 91 रुपये के नीचे गया था, लेकिन बुधवार को मामूली सुधार देखने को मिला। इस बीच, मार्केट एक्सपर्ट और “Sense and...
नई दिल्ली: भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है, जिससे निवेशकों और शेयर बाजार दोनों पर दबाव देखा जा रहा है। मंगलवार को रुपया 91 रुपये के नीचे गया था, लेकिन बुधवार को मामूली सुधार देखने को मिला। इस बीच, मार्केट एक्सपर्ट और “Sense and Simplicity” के फाउंडर सुनील सुब्रमण्यम ने कहा कि रुपये की गिरावट कोई कमजोरी नहीं बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है। उनका मानना है कि रुपये का सही लेवल 100 रुपये प्रति डॉलर हो सकता है।
रुपया कमजोर होने के पीछे रणनीति
सुब्रमण्यम का कहना है कि रुपये का कमजोर होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी नहीं है। उनका कहना है कि यह कदम भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने में मदद कर सकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केवल डॉलर-रुपया के रेट पर नजर नहीं रखता, बल्कि एक्सपोर्ट-इंपोर्ट, क्रूड ऑयल प्राइस और अन्य आर्थिक संकेतकों पर भी नजर रखता है। जब RBI को लगेगा कि दखल देने की जरूरत है, तब वह कार्रवाई करेगा।
“रुपया अपने सही लेवल की तलाश में है। एक साल से इसे प्रेशर का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन RBI जानबूझकर इसे फिसलने दे रही है ताकि टैरिफ का असर कम किया जा सके,” सुब्रमण्यम ने कहा।
100 रुपये के लेवल तक पहुंच सकता है रुपया
एक्सपर्ट के मुताबिक, रुपये का सही संतुलन 100 रुपये प्रति डॉलर के आसपास होगा। जब रुपये की कीमत इस स्तर पर पहुंचेगी, तभी टैरिफ के असर को नियंत्रित किया जा सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि RBI के पास 700 बिलियन डॉलर का रिजर्व मौजूद है, जो जरूरत पड़ने पर विदेशी मुद्रा बाजार में दखल देने के लिए पर्याप्त है।
गिरावट के दो बड़े कारण
सुब्रमण्यम ने रुपये में कमजोरी के पीछे दो प्रमुख कारण बताए:
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Gold में निवेश का दबाव – लोग Gold ETF में निवेश कर रहे हैं, जो डॉलर में होता है। इसका असर रुपये पर पड़ता है और उसकी कीमत गिरती है।
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India-US ट्रेड डील – इस समय TRADE Deal की अनिश्चितता भी रुपये को कमजोर कर रही है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों (FIIs) की वापसी से रुपया मजबूती भी हासिल कर सकता है।