हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 86000 से ज्यादा क्लासरूम में पढ़ाई पर लगाई पाबंदी, जानें क्यों

Edited By Updated: 23 Aug, 2025 01:01 AM

studies stopped in more than 86 thousand classrooms

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के जर्जर स्कूल भवनों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्य के सरकारी स्कूलों के 86,000 से ज्यादा जर्जर क्लासरूम में पढ़ाई पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही, इन कमरों में बच्चों की एंट्री भी पूरी तरह से...

नेशनल डेस्क: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के जर्जर स्कूल भवनों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्य के सरकारी स्कूलों के 86,000 से ज्यादा जर्जर क्लासरूम में पढ़ाई पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही, इन कमरों में बच्चों की एंट्री भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है।

क्लासरूम को ताले लगाकर बंद करने के निर्देश

हाईकोर्ट ने कहा है कि इन खतरनाक कक्षाओं को ताले लगाकर बंद किया जाए, और उनके आसपास बच्चों को जाने से भी रोका जाए। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि उनकी शिक्षा बाधित न हो।

झालावाड़ हादसे के बाद हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

यह मामला तब उठा जब झालावाड़ जिले में 25 जुलाई को एक स्कूल भवन गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में राज्य सरकार से सभी स्कूल भवनों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।

सरकारी रिपोर्ट ने खोली शिक्षा व्यवस्था की पोल

शुक्रवार, 22 अगस्त को राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि राज्य के स्कूलों में 86934 क्लासरूम पूरी तरह जर्जर हैं और उनमें पढ़ाई कराना बेहद खतरनाक है।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार:

  • प्रदेश में कुल 63,018 सरकारी स्कूल हैं।
  • इनमें 5,26,262 क्लासरूम हैं।
  • इनमें से केवल 1,91,713 क्लासरूम ही सुरक्षित हैं।
  • 29,093 क्लासरूम ऐसे हैं जिन्हें मरम्मत की जरूरत है।
  • 5,667 स्कूल भवन पूरी तरह जर्जर हैं, जहां पढ़ाई नहीं हो सकती।

हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा विस्तृत जवाब

अदालत ने सरकार से पूछा है कि झालावाड़ जैसे हादसे दोबारा ना हों, इसके लिए क्या ठोस इंतजाम किए जा रहे हैं? साथ ही, यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बच्चों की पढ़ाई भी बाधित न हो। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि केंद्र सरकार द्वारा तय गाइडलाइंस का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया।

राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने जताई चिंता

सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के वकील वागीश कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि झालावाड़ के अलावा जैसलमेर, टोंक, बारा, बूंदी और प्रतापगढ़ जैसे जिलों में भी स्कूलों की इमारतें गिर चुकी हैं। यह समस्या राज्य भर में गंभीर है और तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

केंद्र सरकार ने मांगा समय

सुनवाई के वक्त तक केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया था। हालांकि कोर्ट को सूचित किया गया कि जल्द ही जवाब पेश कर दिया जाएगा।

अगली सुनवाई 4 सितंबर को

राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच अब इस मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर 2025 को करेगी। उम्मीद है कि तब तक केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इस पर ठोस कार्ययोजना पेश करेंगी।

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