लद्दाख के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित की गईं अधीनस्थ सेवा की नौकरियां

Edited By Updated: 09 Jun, 2021 08:45 PM

subordinate service jobs reserved for local residents of ladakh

लद्दाख प्रशासन ने केंद्र शासित क्षेत्र में सभी अधीनस्थ सेवा की नौकरियों को स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया है।

लेह : लद्दाख प्रशासन ने केंद्र शासित क्षेत्र में सभी अधीनस्थ सेवा की नौकरियों को स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया है। इसका भारतीय जनता पार्टी ने स्वागत किया है लेकिन एक विपक्षी नेता ने नियमों को च्च्खामियों से भरा हुआज्ज् बताते हुए इस कदम का विरोध किया है। श्रम एवं रोजगार विभाग की ओर से मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में प्रशासन ने  "केंद्र  शासित क्षेत्र लद्दाख रोजगार (अधीनस्थ) सेवा भर्ती नियमावली 2021' की घोषणा की जिसमें स्थानीय लोगों के लिए नौकरी आरक्षित कर दी गई है।

 

अधिसूचना में कहा गया, "लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र के निवासी ही सेवा में नियुक्ति के योग्य होंगे।" अधिसूचना के अनुसार, यह नियम उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होंगे जो जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा ८९ (2) के प्रावधानों या प्रशासन द्वारा निर्धारित ऐसे किसी नियम के तहत लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र की सेवा में हैं। संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को पांच अगस्त २०१९ को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित कर दिया गया था।

 

उप राज्यपाल आर के माथुर द्वारा बनाए गए भर्ती के नियम आधिकारिक राजपत्र के प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे। लद्दाख भाजपा अध्यक्ष और सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने नए नियमों के लिए केंद्र को धन्यवाद दिया और कहा कि वह लोगों की भावनाओं के अनुरूप हैं। नामग्याल ने ट्वीट किया, "लद्दाख के निवासियों के रोजगार की सुरक्षा के संबंध में लद्दाख के लोगों की मांग का संज्ञान लेने और उन्हें सम्मान देने के लिए धन्यवाद मोदी सरकार, विशेषकर माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी।"

 

वहीं, कारगिल के नेता सज्जाद हुसैन ने नए नियमों का विरोध किया और दावा किया कि यह च्च्खामियों से भरे हैं।  पिछले संसदीय चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी के समर्थन से जीत हासिल करने वाले हुसैन ने ट्वीट किया,"...लेकिन यह नियम खामियों से भरे पड़े हैं। लद्दाख का निवासी कौन है, उसके लिए क्या अर्हताएं हैं? एलएएचडीसी (लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद, लेह और कारगिल) को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है और एकतरफा फैसला लेकर नियमों को थोप दिया गया है।"

 

इस बीच माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मोहम्मद युसूफ तारिगामी ने कहा कि लद्दाख के निवासियों के लिए रोजगार आरक्षित करना भाजपा सरकार का एक और  निर्णय है क्योंकि इसके लिए क्षेत्र की दो पर्वतीय विकास परिषदों से सलाह नहीं ली गई।

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