Edited By Shubham Anand,Updated: 18 Dec, 2025 02:59 PM
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में BS-3 वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। अब केवल BS-4 और उससे ऊपर के वाहनों को ही छूट मिलेगी। गुरुग्राम, नोएडा और गाज़ियाबाद में लाखों BS-3 वाहन प्रभावित होंगे। यह कदम राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण को...
नेशनल डेस्क : दिल्ली की बढ़ती वायु प्रदूषण समस्या और दमघुटती हवा के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वाहनों के लिए महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के पुराने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि अब केवल BS-4 और उससे ऊपर के वाहनों को ही छूट मिलेगी। इसका मतलब यह हुआ कि BS-4 से पहले के वाहनों की दिल्ली में एंट्री पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी और इन वाहनों को सीज भी किया जा सकता है।
BS क्या है और इसके विभिन्न स्टेज
BS का पूरा नाम “भारत स्टेज” है। यह वाहन उत्सर्जन मानकों का भारतीय संस्करण है, जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत लागू किया गया। भारत स्टेज उत्सर्जन मानक यूरोपीय मानकों पर आधारित हैं, जिन्हें आमतौर पर यूरो 2, यूरो 3 आदि के नाम से जाना जाता है। 2000 में पहला BS-I स्टेज लागू किया गया। इसके बाद BS-II (2001), BS-III (2005), BS-IV (2017) और वर्तमान में BS-VI (2020) लागू हैं। हर स्टेज में वाहनों से निकलने वाले हानिकारक गैसों जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन स्तर को सीमित किया गया है।
भारत स्टेज-I (BS-I): इसके तहत उन गाड़ियों को शामिल किया गया जो 2.72 ग्राम/किमी कार्बन मोनोऑक्साइड और 0.97 ग्राम/किमी हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जित करती थीं।
भारत स्टेज-II (BS-II): 2001 से 2010 के बीच बिकने वाली गाड़ियां BS-II के तहत आईं। इसमें उत्सर्जन मानक बढ़ाकर CO 2.2 ग्राम/किमी और HC+NOx 0.50 ग्राम/किमी कर दिया गया। साथ ही ईंधन में सल्फर की मात्रा 500 पीपीएम तक सीमित कर दी गई।
भारत स्टेज-III (BS-III): BS-II के दौरान बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 2005 में BS-III लागू किया गया। इसमें CO 2.3 ग्राम/किमी, HC+NOx 0.35 ग्राम/किमी और रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (RSPM) 0.05 ग्राम/किमी निर्धारित किया गया। यह स्टेज 2010 तक चला।
भारत स्टेज-IV (BS-IV): अप्रैल 2017 में लागू किया गया। इसमें पेट्रोल वाहनों में CO 1.0 ग्राम/किमी, HC+NOx 0.18 ग्राम/किमी और डीजल वाहनों में CO 0.50 ग्राम/किमी, NOx 0.25 ग्राम/किमी और HC+NOx 0.30 ग्राम/किमी का उत्सर्जन निर्धारित किया गया।
भारत स्टेज-VI (BS-VI): यह सबसे नया स्टेज है, जिसे अप्रैल 2020 में लागू किया गया। सभी नए वाहन इस स्टेज के अनुसार उत्सर्जन मानक पर चलते हैं। BS-VI से नीचे के स्तर वाली गाड़ियों को अपडेट करने की सलाह दी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और दिल्ली-एनसीआर में लागू प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की सिफारिश पर पुराने आदेश में संशोधन किया। इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं करने की अनुमति दी थी। इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने वाहन मालिकों को राहत देते हुए कहा था कि फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने BS-3 वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसका मतलब यह है कि दिल्ली-एनसीआर में BS-3 स्टेज वाली गाड़ियों को प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। गुरुग्राम में करीब डेढ़ लाख, नोएडा में 1.4 लाख और गाज़ियाबाद में 3.7 लाख से अधिक BS-3 वाहन हैं। इन सभी वाहनों को दिल्ली-एनसीआर में आने से रोका जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें सीज भी किया जा सकता है।
दिल्ली-एनसीआर की वर्तमान वायु गुणवत्ता
हाल ही में तेज सर्द हवाओं की वजह से वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी देखी गई है, लेकिन राजधानी क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता अभी भी गंभीर स्तर पर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, नोएडा और गाज़ियाबाद के अधिकांश क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से ऊपर दर्ज किया गया है। यह स्तर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है और स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण कम करने, नागरिकों को स्वच्छ और सुरक्षित हवा उपलब्ध कराने और वाहनों से होने वाले हानिकारक उत्सर्जन को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। BS-3 वाहनों पर रोक लगाने से दिल्ली की हवा में उत्सर्जन घटने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है। यह कदम प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू नियमों और मानकों के पालन को सख्ती से सुनिश्चित करने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है।