‘कमाई के लिए मजाक बर्दाश्त नहीं’, समय रैना समेत कई यूट्यूबर्स को Supreme Court ने लगाई फटकार

Edited By Updated: 26 Aug, 2025 12:45 AM

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ‘इंडियाज गॉट लेटेंट' के प्रस्तोता समय रैना सहित पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को दिव्यांग और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों का उपहास उड़ाने के लिए अपने पॉडकास्ट या कार्यक्रम में बिना शर्त माफी मांगने का आदेश...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ‘इंडियाज गॉट लेटेंट' के प्रस्तोता समय रैना सहित पांच सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को दिव्यांग और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों का उपहास उड़ाने के लिए अपने पॉडकास्ट या कार्यक्रम में बिना शर्त माफी मांगने का आदेश देते हुए टिप्पणी की कि व्यावसायिक फायदे वाले और प्रतिबंधित भाषण मौलिक अधिकार के अंतर्गत नहीं आते हैं। 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि पश्चाताप का स्तर अपराध के स्तर से अधिक होना चाहिए। साथ ही स्पष्ट किया कि अदालत बाद में सोशल मीडिया पर इंन्फ्लुएंसर्स द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को अपमानित करने के लिए वह उन पर जुर्माना लगाने पर विचार करेगी। 

न्यायमूर्ति कांत ने इंन्फ्लुएंसर्स से कहा कि वे अदालत को सूचित करें कि कितना जुर्माना भरने को तैयार हैं, जिसका उपयोग स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) जैसे दुर्लभ आनुवंशिक विकारों से पीड़ित लोगों के उपचार में किया जा सकता है। पांचों पर दिव्यांगों और ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी' (एसएमए) तथा दृष्टिबाधित लोगों का मजाक उड़ाने का आरोप है। सोनाली ठक्कर उर्फ ​​सोनाली आदित्य देसाई को छोड़कर बाकी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स अदालत में उपस्थित थे। न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि इन्फ्लुएंसर्स को विभिन्न समुदायों से संबंधित हास्य पैदा करने वाली टिप्पणी करते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब यह ‘‘समाज में हाशिये पर रहने वाले'' वर्ग से संबंधित हो। 

न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ‘‘इस मीडिया मंच का अधिकांश हिस्सा आपके अपने अहंकार को पोषित करने की तरह उपयोग किया जाता है। यह आपको ही पोषित करता है और जब आप बहुत बड़े हो जाते हैं और आपके बहुत सारे फॉलोअर्स हो जाते हैं... यह केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। यह विशुद्ध रूप से कारोबार है... वास्तव में, विभिन्न प्रकार के भाषण होते हैं और अमीश देवगन मामले में इस अदालत ने विभिन्न प्रकार के भाषणों को वाणिज्यिक भाषण और निषिद्ध भाषण जैसे वर्गीकृत किया है। वाणिज्यिक और निषिद्ध भाषणों का यह अतिव्यापन वह जगह है जहां आपके कोई मौलिक अधिकार नहीं हैं।'' 

पीठ ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को हस्तक्षेप की अनुमति दे दी और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा कि वे सभी हितधारकों के विचारों को संज्ञान में लेते हुए सोशल मीडिया पर सामग्री को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करें। वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार दिशानिर्देश तैयार करने की प्रक्रिया में है, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह के ‘प्रतिबंध' से इनकार किया। न्यायमूर्ति कांत ने सहमति जताते हुए कहा कि पिछली सुनवाई में यही कारण था कि सुझाव दिया गया था कि मसौदा दिशानिर्देश सभी हितधारकों के विचारों के लिए सार्वजनिक मंच साझा किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ जवाबदेही होनी चाहिए। आज यह दिव्यांगों के संदर्भ में है, लेकिन कल यह महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी हो सकता है।'' 

न्यायमूर्ति बागची ने कहा, ‘‘हास्य निश्चित रूप से अच्छी बात है क्योंकि हास्य जीवन का एक हिस्सा है। हम खुद पर हंसते हैं लेकिन जब आप दूसरों पर हंसना शुरू करते हैं तो हममें संवेदनशीलता होनी चाहिए। यह केवल दिव्यांगों के संदर्भ में नहीं है, बल्कि हम विविध समुदायों का देश हैं...।'' उन्होंने वेंकटरमणी से कहा कि प्रस्तावित दिशा-निर्देशों से लोगों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए तथा उनकी गलतियों के लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। 

गैर सरकारी संगठन ‘क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया' की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि इन इन्फ्लुएंसर्स में बेहतर समझ पैदा हुई है, जिन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है। इस संस्था ने दिव्यांगों के खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए इन इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल इन्फ्लुएंसर्स का नहीं है तथा सूचना प्रौद्योगिकी नियम और सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में यह प्रावधान है कि दिव्यांग व्यक्तियों को निशाना नहीं बनाया जा सकता। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि नियमों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए और लोगों की गरिमा को पहुंचे नुकसान के अनुपात में होनी चाहिए। सिंह ने इन्फ्लुएंसर्स को अपने शो के माध्यम से दुर्लभ आनुवंशिक विकार और दिव्यांगता के बारे में जागरूकता फैलाने का सुझाव दिया। 

पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि सोशल मीडिया विनियमन के लिए प्रस्तावित दिशानिर्देश किसी एक घटना पर तत्काल प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए, बल्कि सभी हितधारकों के विचारों को शामिल करते हुए व्यापक मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने रैना को उनके हलफनामे में माफी मांगने के लिए भी फटकार लगाई और कहा कि उन्होंने शुरूआत में खुद का बचाव करने और निर्दोष दिखने की कोशिश की थी। हालांकि, पीठ ने इन इन्फ्लुएंसर्स को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से छूट दे दी, बशर्ते कि वे दिव्यांगों और आनुवंशिक विकारों से ग्रस्त व्यक्तियों का उपहास करने के लिए माफी मांगें। उच्चतम न्यायालय ने रैना के अलावा विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर उर्फ ​​सोनाली आदित्य देसाई और निशांत जगदीश तंवर को नोटिस जारी किया था।

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