सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

Edited By Updated: 02 Dec, 2019 06:26 PM

the woman who entered sabarimala filed a petition in the supreme court

सबरीमाला मंदिर में जनवरी में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं में से एक बिंदु अम्मिनी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में बिंदु ने कहा है कि कोर्ट केरल सरकार को निर्देश दे कि वह सबरीमाला मंदिर में किसी भी महिला के (सुरक्षित)...

नई दिल्ली: सबरीमाला मंदिर में जनवरी में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं में से एक बिंदु अम्मिनी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में बिंदु ने कहा है कि कोर्ट केरल सरकार को निर्देश दे कि वह सबरीमाला मंदिर में किसी भी महिला के (सुरक्षित) प्रवेश को सुनिश्चित करे।

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बता दें कि इससे पहले बिंदु अम्मिनी पर मिर्च पाउडर से हमला हुआ था। बिंदु अम्मिनी महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में पूजा करने के लिए कोच्चि पहुंची थीं। इसी वर्ष जनवरी में मंदिर में दर्शन कर चुकीं बिंदु अम्मिनी देसाई और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ पहुंची थीं। पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर बिंदु के चेहरे पर एक हमलावर ने मिर्च पाउडर फेंक दिया था। यह घटना तब हुई जब देसाई, बिंदु और अन्य कार्यकर्ताओं को हवाई अड्डे से कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्तालय में ले जाया जा रहा था। पुलिस ने बताया था कि हमलावर की पहचान श्रीनाथ पद्मनाभन के तौर पर हुई है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। 

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उल्लेखनीय है कि इससे पहले सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल में काफी हंगामा हुआ। मंदिर के ट्रस्ट त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से मामले में बताया गया कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में बच्चियों और महिलाओं के प्रवेश पर रोक है।मंदिर के बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि ये रोक केवल मासिक धर्म वाली महिलाओं पर ही लागू है। यानी कि जिन बच्चियों का मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ है या फिर वैसी महिलाएं जिनका मासिक धर्म खत्म हो चुका है उन पर यह लागू नहीं होता है।

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वहीं, 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि हर उम्र की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है। यह स्वीकार्य नहीं है।

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