दूर हुई कन्फ्यूजन, जानिए जॉइंट प्रॉपर्टी की रेंटल इनकम पर किसे और कैसे देना है टैक्स?

Edited By Updated: 02 Aug, 2025 03:25 PM

who has to pay tax on rental income of joint property and how

केंद्र सरकार ने वित्त-वर्ष 2024-25 के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। यह टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी राहत है। अभी भी टैक्स फाइलिंग को लेकर कई लोगों के मन में अभी भी कन्फ्यूजन है, खासकर किराए पर दी गई...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने वित्त-वर्ष 2024-25 के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। यह टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी राहत है। अभी भी टैक्स फाइलिंग को लेकर कई लोगों के मन में अभी भी कन्फ्यूजन है, खासकर किराए पर दी गई प्रॉपर्टी से होने वाली आय को लेकर। अगर आपके पास भी कोई घर है जिसे आपने किराए पर दिया है और आप सोच रहे हैं कि उस आय पर टैक्स लगेगा या नहीं या अगर घर पति-पत्नी दोनों के नाम पर है तो किसे टैक्स देना होगा, तो यह खबर आपके लिए है। आइए हम आपको रेंटल प्रॉपर्टी पर टैक्स से जुड़े नियमों के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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रेंटल इनकम पर लगता है टैक्स, जानें नियम

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रेंटल इनकम पर टैक्स के लिए स्पष्ट प्रावधान बनाए हैं। सबसे पहली बात यह है कि किराए से होने वाली आय पर टैक्स देना होता है लेकिन इसके कुछ खास नियम हैं। अगर कोई पति-पत्नी किसी घर के मालिक हैं और उन्हें उस पर एक निश्चित किराए की राशि मिलती है, तो उन्हें उस पर टैक्स देना होगा। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 26 के अनुसार जब कोई जॉइंट प्रॉपर्टी कई लोगों के नाम पर होती है और उनके हिस्से तय और स्पष्ट होते हैं तो उस प्रॉपर्टी से होने वाली आय को-ओनर के हिस्से के हिसाब से उनके नाम पर टैक्स के लिए कैलकुलेट किया जाता है।

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जॉइंट प्रॉपर्टी में टैक्स क्लेम के नियम

हर सह-मालिक अपनी हिस्से की आय को स्वतंत्र रूप से कैलकुलेट कर सकता है। वे धारा 24 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन या उधार ली गई पूंजी पर ब्याज जैसी कटौती का दावा भी अलग-अलग कर सकते हैं। यह आय हर सह-मालिक को अपनी ITR में दिखानी होती है। इसका मतलब है कि हर एक मालिक अपने हिस्से के आधार पर टैक्स का हिसाब देता है, जिससे टैक्स कैलकुलेशन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहती है। यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि जॉइंट प्रॉपर्टी से होने वाली आय को ठीक से बांटा जाए और हर व्यक्ति अपने हिस्से के हिसाब से टैक्स का भुगतान करे।

 

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