'वन नेशन वन इलेक्शन' लागू हुआ तो किन लोगों को होगा ज्यादा फायदा और कितनी होगी बचत? जानें पूरी डिटेल्स

Edited By Updated: 05 Aug, 2025 11:27 AM

who will benefit if one country one election is implemented

भारत में चुनावी खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और देश दुनिया में इस मामले में पहले नंबर पर है। इसी बीच 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश एक चुनाव) की चर्चा ज़ोरों पर है। तो आइए जानते हैं कि अगर यह नीति लागू होती है तो इससे क्या-क्या फायदे हो सकते हैं और देश...

नेशनल डेस्क। भारत में चुनावी खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है और देश दुनिया में इस मामले में पहले नंबर पर है। इसी बीच 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (एक देश एक चुनाव) की चर्चा ज़ोरों पर है। तो आइए जानते हैं कि अगर यह नीति लागू होती है तो इससे क्या-क्या फायदे हो सकते हैं और देश को कितनी बचत हो सकती है।

क्या है 'वन नेशन वन इलेक्शन'?

'वन नेशन वन इलेक्शन' का मतलब है कि भारत में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ कराए जाएं। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी एक उच्च-स्तरीय समिति ने मार्च 2024 में अपनी विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने दिसंबर 2024 में इस बिल को मंजूरी दी और इसे संसद में पेश किया गया।

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किन लोगों को होगा फायदा?

➤ सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों को राहत: बार-बार चुनाव होने से प्रशासनिक मशीनरी पर बहुत दबाव पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों की ड्यूटी का समय कम होगा जिससे उनका उपयोग अन्य विकास कार्यों में किया जा सकेगा।

➤ विकास कार्यों में तेज़ी: मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) के कारण अक्सर विकास परियोजनाओं और नीतियों में देरी होती है। एक साथ चुनाव से यह देरी कम होगी और विकास कार्यों में गति आएगी।

➤ चुनाव खर्च में कमी: अलग-अलग समय पर चुनाव कराने से पार्टियों और उम्मीदवारों को भारी खर्च उठाना पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से यह खर्च कम होगा जिससे छोटे और क्षेत्रीय दलों को भी चुनाव लड़ने में आसानी होगी।

➤ मतदान प्रतिशत में वृद्धि: बार-बार वोटिंग के लिए समय निकालने से बचने के लिए एक साथ चुनाव से मतदाताओं की सुविधा बढ़ेगी और मतदान प्रतिशत में भी वृद्धि हो सकती है।

➤ अर्थव्यवस्था को फायदा: अनुमान है कि एक साथ चुनाव होने से राष्ट्रीय जीडीपी ग्रोथ में 1.5% की बढ़ोतरी हो सकती है जो वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर थी।

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कितनी होगी बचत?

भारत में चुनावी खर्च हर साल बढ़ता जा रहा है। जहां 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में करीब ₹10 करोड़ का खर्च आया था वहीं 2019 के चुनाव में यह खर्च बढ़कर करीब ₹6,600 करोड़ हो गया था।

भारत निर्वाचन आयोग का अनुमान है कि अगर 2029 में 'एक देश एक चुनाव' सिस्टम लागू होता है तो इसके लिए ₹7,951 करोड़ का खर्च आएगा जिसमें वोटिंग मशीन खरीदना, वोटर लिस्ट अपडेट करना और सुरक्षा व्यवस्था जैसी सभी तैयारियां शामिल होंगी। हालांकि लंबे समय में बार-बार होने वाले चुनावों की तुलना में यह खर्च बहुत कम होगा जिससे देश के संसाधनों और धन की भारी बचत होगी।

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