मैदानी इलाकों में क्यों नहीं फटते बादल? पहाड़ों पर क्यों होती है तबाही? जानिए वजहें

Edited By Updated: 05 Aug, 2025 09:55 PM

why do clouds not burst in the plains why do destruction occur in the mountains

भारत के पहाड़ी राज्यों विशेष रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और पूर्वोत्तर  में हर साल मानसून के दौरान "बादल फटने" (Cloudburst) की घटनाएं सामने आती हैं।

नेशनल डेस्कः भारत के पहाड़ी राज्यों विशेष रूप से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम और पूर्वोत्तर  में हर साल मानसून के दौरान "बादल फटने" (Cloudburst) की घटनाएं सामने आती हैं। ये घटनाएं आमतौर पर विनाशकारी होती हैं, जिनमें बाढ़, भूस्खलन और जन-धन की भारी क्षति देखने को मिलती है।

लेकिन सवाल उठता है: आखिर क्यों पहाड़ों पर ही बादल फटते हैं, मैदानों में नहीं? क्या इसके पीछे केवल ऊंचाई जिम्मेदार है, या और भी गहरे कारण हैं?

आइए इस पूरे प्राकृतिक घटनाक्रम को भौगोलिक, भौतिक और मौसम विज्ञान के नजरिए से विस्तार से समझते हैं।

बादल फटना क्या होता है?

बादल फटना एक अत्यधिक स्थानीय और तीव्र वर्षा की घटना है, जिसमें बहुत कम समय (20–30 मिनट) में 100 मिमी से अधिक बारिश हो सकती है। यह आमतौर पर 10 वर्ग किमी से भी कम क्षेत्र में होती है। बादल जब पानी से पूर्णतः भर जाता है और उसे धारण नहीं कर पाता, तो वह अचानक गिर पड़ता है – यही 'बादल फटना' है।

पहाड़ी इलाकों में बादल क्यों फटते हैं?

1. ओरोग्राफिक इफेक्ट (Orographic Effect)

– जब नमी से भरी हवाएं मैदानों से चलकर पहाड़ों से टकराती हैं, तो उन्हें ऊपर उठना पड़ता है।
– ऊंचाई बढ़ने के साथ तापमान गिरता है, जिससे वाष्प तेजी से संघनित होती है और भारी वर्षा होती है।
– अगर संघनन बहुत तेज हो जाए और पानी की मात्रा सीमा से अधिक हो जाए, तो बादल फटने जैसी घटना घटती है।

2. कम वायुदाब और ऊंचाई का प्रभाव

– ऊंचाई वाले क्षेत्रों में वायुदाब कम होता है।
– यह स्थिति बादल को "संतुलन खोकर" अधिक तीव्रता से वर्षा करने के लिए प्रेरित करती है।

3. तेज जलनिकासी और ढलान का खतरा

– पहाड़ों में पानी तेजी से नीचे बहता है।
– परिणामस्वरूप, मिट्टी बह जाती है, नदी नाले उफन जाते हैं, और भूस्खलन जैसी घटनाएं आम हो जाती हैं।

4. तापमान की अस्थिरता

– पहाड़ों में दिन और रात का तापमान तेजी से बदलता है।
– यह भी बादलों के तेजी से संघनन और टूटने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

तो फिर मैदानी इलाकों में बादल क्यों नहीं फटते?

1. समतल भू-आकृति और स्थिर तापमान

– मैदानों में हवा को ऊपर उठाने के लिए कोई ऊंचाई बाधा नहीं होती, जिससे बादल स्थिर रहते हैं और धीरे-धीरे बारिश होती है।
– यहां तापमान अपेक्षाकृत स्थिर होता है, जिससे अचानक वर्षा की संभावना कम हो जाती है।

2. संतुलित जलनिकासी और मिट्टी की संरचना

– मैदानों में जल निकासी धीरे होती है, जिससे पानी फैल जाता है, और उसका प्रभाव सीमित होता है।
– उपजाऊ मिट्टी और फसलें जल सोखने की क्षमता रखती हैं, जिससे बाढ़ और कटाव कम होता है।

 प्राकृतिक और मानव निर्मित कारकों की भूमिका

1. वनों की कमी और निर्माण गतिविधियाँ

– पहाड़ी क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई, अवैध खनन, और अव्यवस्थित पर्यटन ने भूमि को अस्थिर बना दिया है।
– कमजोर पहाड़ों पर जब भारी बारिश होती है, तो आपदा की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।

2. जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान

– वैज्ञानिकों का मानना है कि Climate Change के चलते मानसून अधिक अनियमित और उग्र हो गया है।
– इससे "बादल फटना" जैसी अतिवृष्टि की घटनाएं पहले की तुलना में कहीं ज्यादा होने लगी हैं।

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