न्यूक्लियर सेक्टर अब निजी कंपनियों के लिए खुला! जानें क्या-क्या होगा फायदा

Edited By Updated: 29 Nov, 2025 08:33 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत का न्यूक्लियर पावर सेक्टर अब निजी निवेश के लिए खोला जाएगा। सरकार शीतकालीन सत्र में एटॉमिक एनर्जी बिल 2025 पेश करेगी, जिसके जरिए रिएक्टर निर्माण, यूरेनियम सप्लाई और SMR तकनीक में प्राइवेट कंपनियों की...

नेशनल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यह घोषणा की कि भारत का कड़े नियंत्रण वाला न्यूक्लियर पावर सेक्टर अब जल्द ही निजी निवेश के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण कदम से देश में इनोवेशन को तेजी मिलेगी, ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और भारत एडवांस्ड न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ेगा। मोदी सरकार ने वर्ष 2047 तक देश की न्यूक्लियर पावर क्षमता को वर्तमान 8.8 गीगावॉट से बढ़ाकर 100 गीगावॉट तक पहुंचाने का बड़ा लक्ष्य तय किया है, जो ऊर्जा क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है।

संसद में पेश होगा एटॉमिक एनर्जी बिल 2025

इसी लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में एटॉमिक एनर्जी बिल 2025 पेश करने जा रही है। यह बिल भारत के न्यूक्लियर सेक्टर में निजी क्षेत्र की भागीदारी को औपचारिक रूप से आगे बढ़ाएगा और रिएक्टर निर्माण से लेकर यूरेनियम सप्लाई चेन तथा छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) के विकास तक कई नए अवसर खोलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार इस बिल के लागू होने के बाद क्लीन एनर्जी की दिशा में भारत की प्रगति तेज होगी और कैपिटल गुड्स, एनर्जी और एयरोस्पेस सेक्टर से जुड़ी कई कंपनियों को बड़ा लाभ मिलेगा।

निजी कंपनियों को मिलेंगे नए अवसर
आने वाले एटॉमिक एनर्जी बिल 2025 के तहत निजी कंपनियों को रिएक्टर कंस्ट्रक्शन, यूरेनियम सप्लाई चेन, SMR डेवलपमेंट और एडवांस्ड न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रोजेक्ट्स में भाग लेने की मंजूरी मिलेगी। सरकार का उद्देश्य न्यूक्लियर क्षमता को बड़े पैमाने पर बढ़ाना और 2047 तक 100 गीगावॉट क्षमता हासिल करना है, जिसके लिए निजी क्षेत्र की भूमिका अहम मानी जा रही है।

किन कंपनियों को मिलेगा बड़ा फायदा?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति परिवर्तन से कई भारतीय कंपनियों को मजबूत लाभ होगा। हैवी इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (BHEL) और लार्सन एंड टूब्रो (L&T) को बड़े अवसर मिलने की उम्मीद है। प्रिसिजन कंपोनेंट्स निर्माण में विशेषज्ञ MTAR टेक्नोलॉजीज, रिएक्टर और बैलेंस-ऑफ-प्लांट निर्माण में सक्षम पावर मेक प्रोजेक्ट्स और लॉन्ग-टर्म जेनरेशन पार्टनरशिप के लिए टाटा पावर को भी लाभ होगा। इसी के साथ ABB इंडिया और सीमेंस जैसी ग्लोबल कंपनियों को ऑटोमेशन, कंट्रोल सिस्टम और ग्रिड मॉडर्नाइजेशन की बढ़ती मांग से अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचेगा।

न्यूक्लियर ऊर्जा: भरोसेमंद विकल्प लेकिन धीमी प्रगति
विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूक्लियर पावर एक स्थिर और भरोसेमंद बेस-लोड एनर्जी स्रोत है, लेकिन भारी पूंजी निवेश और सीमित भागीदारी के कारण अब तक इसकी प्रगति धीमी रही है। निजी कंपनियों के प्रवेश से प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन की गति बढ़ सकती है, नई टेक्नोलॉजी भारत में आ सकती है और क्षमता विस्तार में तेजी लाई जा सकती है। यह कदम ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

इन्वेस्टर्स के लिए क्या है संकेत?
हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि न्यूक्लियर सेक्टर के प्रोजेक्ट लंबी अवधि वाले होते हैं, इसलिए इसका वास्तविक वित्तीय असर तभी दिखेगा जब बड़े प्रोजेक्ट ऑर्डर मिलने शुरू होंगे। इसलिए इन्वेस्टर्स को सिर्फ उम्मीदों के आधार पर निवेश करने से बचना चाहिए। निवेश से पहले कंपनियों की बैलेंस शीट, स्थिर कैश फ्लो और जटिल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लंबे अनुभव को ध्यान में रखना जरूरी है।

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