Edited By Mansa Devi,Updated: 02 Aug, 2025 06:03 PM

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की पीएफ स्कीम सभी प्राइवेट कंपनियों के लिए अनिवार्य है, जहाँ 20 से ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इस स्कीम के तहत, कर्मचारी और कंपनी दोनों को कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा पीएफ अकाउंट में जमा करना होता है। लेकिन,...
नेशनल डेस्क: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की पीएफ स्कीम सभी प्राइवेट कंपनियों के लिए अनिवार्य है, जहाँ 20 से ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इस स्कीम के तहत, कर्मचारी और कंपनी दोनों को कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा पीएफ अकाउंट में जमा करना होता है। लेकिन, आपने अक्सर अपनी पे-स्लिप में देखा होगा कि कंपनी का कॉन्ट्रीब्यूशन आपके हिस्से से कम दिखता है। आखिर ऐसा क्यों होता है?
कंपनी का कॉन्ट्रीब्यूशन ऐसे होता है कैलकुलेट
पीएफ में जमा होने वाला पूरा पैसा सीधे आपके पीएफ अकाउंट में नहीं जाता। इसे कई हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें रिटायरमेंट बेनिफिट, पेंशन स्कीम और इंश्योरेंस स्कीम शामिल हैं।
आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
अगर आपकी सैलरी से हर महीने ₹2,000 कटते हैं, तो कंपनी को भी ₹2,000 का योगदान करना होगा। इस तरह आपके पीएफ अकाउंट में हर महीने कुल ₹4,000 जमा होने चाहिए।
आपका हिस्सा: आपकी सैलरी से कटने वाले ₹2,000 का पूरा हिस्सा सीधे आपके पीएफ अकाउंट में जाता है।
कंपनी का हिस्सा: कंपनी द्वारा दिए गए ₹2,000 को तीन हिस्सों में बांटा जाता है:
EPF (रिटायरमेंट बेनिफिट): इस हिस्से में 3.67% यानी लगभग ₹611 जमा होते हैं।
EPS (पेंशन स्कीम): इस हिस्से में 8.33% यानी लगभग ₹1,389 जमा होते हैं।
EDLI (इंश्योरेंस स्कीम): यह एक इंश्योरेंस स्कीम है, जिसके लिए कंपनी अलग से कॉन्ट्रीब्यूशन करती है।