COP11 में तंबाकू हानि नियंत्रण और WHO नीतियों पर हुई बहस पर भारत की नज़र

Edited By Updated: 10 Dec, 2025 08:24 PM

india watches debate on tobacco harm reduction and who policies at cop11

फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) की 11वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (सीओपी11) तंबाकू-सम्बंधित हानि को कम करने की रणनीतियों पर गहन बहस का केंद्र बन गई है। चर्चा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा उपलब्ध वैज्ञानिक...

(वेब डेस्क): फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) की 11वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (सीओपी11) तंबाकू-सम्बंधित हानि को कम करने की रणनीतियों पर गहन बहस का केंद्र बन गई है। चर्चा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा उपलब्ध वैज्ञानिक प्रमाणों पर प्रतिक्रिया और सदस्य देशों के लिए प्रस्तावित तंबाकू-नियंत्रण नीतिगत दिशा पर कई सवाल उठ रहे हैं।

वैज्ञानिक समुदाय ने COP11 से पहले गंभीर चिंता जताई

COP11 से ठीक पहले, तंबाकू नियंत्रण से जुड़े वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)  के रुख पर सवाल उठाए हैं। फार्माकोलॉजी, टॉक्सिकोलॉजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के 50 से अधिक स्वतंत्र विशेषज्ञों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ की वह रणनीति, जिसमें बिना धुएं वाले तंबाकू उत्पादों को पारंपरिक सिगरेट के बराबर हानिकारक माना गया है, दुनिया को हर वर्ष धूम्रपान से होने वाली करीब 80 लाख मौतों को रोकने के अवसर से वंचित कर सकती है।

विशेषज्ञों ने कोक्रेन समीक्षा का भी हवाला दिया है—जिसे चिकित्सा साक्ष्यों का "गोल्ड स्टैंडर्ड" माना जाता है। इस समीक्षा में पाया गया कि बिना धुएं वाले तंबाकू विकल्प, निकोटिन पैच या गम की तुलना में तंबाकू छोड़ने में अधिक प्रभावी साबित होते हैं। इसके बावजूद, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हानि-कम करने की अवधारणा एक उद्योग-चालित सोच है, न कि प्रमाण-आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति।

बजट वृद्धि और कठोर नीतियों के वैश्विक प्रभाव पर चिंता

सूत्रों के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन का वर्तमान तंबाकू नियंत्रण बजट लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास है। हालांकि अब डब्ल्यूएचओ सभी प्रकार के निकोटिन उत्पादों के उपयोग को समाप्त करने के लक्ष्य के लिए इस बजट को बढ़ाकर 9 अरब अमेरिकी डॉलर तक करने की मांग कर रहा है। यह वृद्धि कई देशों में जारी आर्थिक और स्वास्थ्य-संबंधी चुनौतियों के बीच लगभग 800% की बढ़ोतरी को संकेतित करती है, जिससे संसाधनों के संतुलित उपयोग पर सवाल उठ रहे हैं।

COP11 के दौरान यूरोपीय संघ के नौ देशों — इटली, ग्रीस, पोलैंड, रोमानिया, बुल्गारिया, लिथुआनिया, साइप्रस, पुर्तगाल और चेक गणराज्य — ने यह चिंता व्यक्त की कि अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियंत्रण और स्पष्ट वैज्ञानिक आधार की कमी न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य लक्ष्यों की दिशा में बाधा बन सकती है, बल्कि अनजाने में अवैध तंबाकू व्यापार और तस्करी को बढ़ावा दे सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ सदस्य देश तंबाकू नियंत्रण के लिए अत्यधिक कठोर दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें अभूतपूर्व बजट वृद्धि और संपूर्ण प्रतिबंध लागू करने की मांग शामिल है। यह स्थिति उस समय में उभर रही है जब दुनिया अभी भी कोविड-19 के प्रभावों से उबरने की प्रक्रिया में है और भविष्य की संभावित महामारियों का जोखिम बना हुआ है। ऐसे में संसाधनों की प्राथमिकता और संतुलन को लेकर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।

संतुलित और प्रमाण-आधारित दृष्टिकोण की आवश्यकता

विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक कठोर नीतियां न केवल आर्थिक दबाव बढ़ाती हैं, बल्कि अवैध तंबाकू व्यापार और तस्करी के लिए रास्ता भी खोल सकती हैं, जिससे अपराध और सुरक्षा से जुड़े जोखिम बढ़ने की संभावना है। इस प्रकार की नीतियां सार्वजनिक स्वास्थ्य के दीर्घकालिक उद्देश्यों को बाधित कर सकती हैं, बजाय इसके कि वे समाधान प्रदान करें।

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