Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 16 Dec, 2025 04:29 PM

भारत में अवैध सिगरेट का व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था और जनस्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए फिलिप मॉरिस इंडिया ट्रेडिंग प्राईवेट लिमिटेड (पीएम इंडिया) ने खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई और नीतियों की मदद से...
(वेब डेस्क) भारत में अवैध सिगरेट का व्यापार भारतीय अर्थव्यवस्था और जनस्वास्थ्य के लिए एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए फिलिप मॉरिस इंडिया ट्रेडिंग प्राईवेट लिमिटेड (पीएम इंडिया) ने खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई और नीतियों की मदद से अपनी कोशिशें तेज की हैं। संगठन ने खुफिया जानकारी की मदद से पता लगाया कि प्रतिबंधित सिगरेट का कारोबार कहाँ से चलता है तथा यह कितना फैला हुआ है। साथ ही, पारदर्शिता, कानूनों को प्रभावी तरीके से लागू करने तथा विश्व के सर्वोत्तम अभ्यासों के बारे में उद्योग जगत और सरकार के बीच बातचीत को बढ़ावा दिया। ये कोशिशें सप्लाई चेन को विश्वसनीय बनाए रखने तथा अवैध सिगरेट को देश में आने से रोकने के लक्ष्यों में मदद करने की पीएम इंडिया की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती हैं।
यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में अवैध सिगरेट का कारोबार बहुत अधिक फैला हुआ है। इसका कारण यह है कि ये अवैध सिगरेट वैध सिगरेटों के मुकाबले बहुत सस्ते होते हैं। अवैध सिगरेट का कारोबार टैक्स की चोरी करता है, जबकि वैध उद्योग भारी टैक्स के बोझ तले दबकर संघर्ष कर रहा है। यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के आँकड़ों के मुताबिक अवैध सिगरेट की खपत के मामले में भारत विश्व में चीन, ब्राजील और पाकिस्तान के बाद चौथे स्थान पर आता है। हाल ही में सार्वजनिक की गई रिपोर्टों के अनुसार वित्तवर्ष 2025 के दौरान कानूनी संस्थाओं ने तस्करी करके लाई गई अनुमानतः 600 करोड़ रुपये की सिगरेट जब्त की है, जिससे अवैध सिगरेट का बढ़ता व्यापार प्रदर्शित होता है। इसके अलावा, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटैलिजेंस के डेटा में सामने आया है कि इसमें से एक तिहाई जब्ती उत्तर-पूर्व के क्षेत्र से हुई है, जो अपनी खुली सीमाओं के कारण तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र है। महाराष्ट्र में 20 प्रतिशत, तमिल नाडु में 13 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 9 प्रतिशत अवैध सिगरेट बरामद हुए हैं। इससे साफ होता है कि तटीय और समुद्री मार्गों से तस्करी बढ़ रही है।
जहाँ भारत सरकार द्वारा ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली के माध्यम से कानूनों को सख्ती से लागू किया जा रहा है, वहीं पीएम इंडिया विश्व की सर्वोत्तम विधियों और प्रमाणित विशेषज्ञता द्वारा इस ऐतिहासिक सुधार में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्व के अलग-अलग देशों में अपने संचालन के साथ फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) ने दुनिया के 140 से अधिक बाजारों में आधुनिक ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम स्थापित किए हैं। यूरोप, यूके, रूस, जॉर्डन और जीसीसी आदि देशों में हर पैक की डिजिटल टैगिंग और मॉनिटरिंग की जाती है, जिसमें देश के प्राधिकरणों के सहयोग से स्थानीय रूप से अनुकूलित और स्केलेबल ढांचे की मदद ली जाती है। इसके अलावा, पीएमआई द्वारा निरंतर ऐसी टेक्नोलॉजी में निवेश किया जाता रहा है, जो सप्लाई चेन की विश्वसनीयता बढ़ाए, बेहतर विज़िबिलिटी और अनुपालन सुनिश्चित करे, तथा अवैध व्यापार में ठोस कमी लाए।
फिलिप मॉरिस इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, नवनील कर ने कहा, ‘‘न तो सिगरेट का अवैध व्यापार नया है, और न ही इसे खत्म करने की हमारी प्रतिबद्धता। भारत में हम कानूनों को मजबूती से लागू करने, ग्राहकों की रक्षा करने और राष्ट्र के उद्देश्यों में सहयोग करने के लिए स्थानीय साझेदारियों के साथ अपनी वैश्विक विशेषज्ञता पेश करते हैं। इस साल हम वित्त मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, डीआरआई, जीएसटी, पुलिस और कस्टम्स के 50 से अधिक मुख्य हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि बाजार की खुफिया जानकारी, आधुनिक ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम तथा सहयोगपूर्ण ढांचे की मदद से अवैध सिगरेट की तस्करी को रोका जा सके। तस्करी के अपराध से लड़ने के लिए निरंतर और सहयोगपूर्ण कार्रवाई आवश्यक है। हम रैगुलेटर्स, कानूनी संस्थाओं और नागरिक समाज के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि भारत में सिगरेट का एक पारदर्शी और नियमों का पालन करने वाला परिवेश स्थापित हो सके।’’
अपनी वैश्विक विशेषज्ञता और स्थानीय प्रतिबद्धता के साथ हमारा संगठन भारत में सिगरेट के अवैध व्यापार को खत्म करने के लिए इनोवेशन एवं सहयोग में यकीन रखता है। टेक्नोलॉजी पर आधारित समाधानों, महत्वपूर्ण साझेदारियों और कानूनी संस्थाओं के सहयोग से पीएमआई सिगरेट व्यापार का एक पारदर्शी, नियमों का अनुपालन करने वाला और सुरक्षित परिवेश स्थापित करने पर केंद्रित है, ताकि ग्राहक सुरक्षित बनें और देश हित की रक्षा हो। पीएमआई इंडिया सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों में सहयोग करने, अनुपालन के साथ इनोवेशन में तेजी लाने और हितधारकों के साथ साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भविष्य के लिए ऐसा ढांचा तैयार हो सके, जो पूरी सप्लाई चेन में पारदर्शिता लेकर आए।