Edited By Vatika,Updated: 25 Jul, 2018 02:16 PM
12 अगस्त को लंदन में रैफरैंडम 2020 को लेकर हो रही रैली का यू.के. में विरोध शुरू हो गया है। यू.के. बेस्ड कई सिख संगठनों का कहना है कि यह रैली सिख समुदाय को बांटने वाली है। यही नहीं यू.के. सिख थिंक टैंक्स ने इसके बायकाट का फैसला किया है।
जालंधर/लंदन: 12 अगस्त को लंदन में रैफरैंडम 2020 को लेकर हो रही रैली का यू.के. में विरोध शुरू हो गया है। यू.के. बेस्ड कई सिख संगठनों का कहना है कि यह रैली सिख समुदाय को बांटने वाली है। यही नहीं यू.के. सिख थिंक टैंक्स ने इसके बायकाट का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि सिख फॉर जस्टिस की तरफ से सिख रैफरैंडम 2020 का मुद्दा उठाया गया है और इसमें भाग लेने के लिए पंजाब के नौजवानों को वीजा लेने हेतु स्पांसरशिप की पेशकश की गई है। यू.के. बेस्ड नैशनल काऊंसिल ऑफ सिख्स के को-ऑर्डीनेटर परमिंदर सिंह ने बताया कि विदेश में रहते अधिकांश सिख भारत खासकर पंजाब के लिए अच्छी सोच रखते हैं और यहां रहकर काम को तवज्जो देते हैं। उन्होंने कहा कि सिख फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू ‘पतित’ थे और वह ‘खालसा’ की वकालत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि उनका संगठन अन्य सिख संस्थाओं के भी संपर्क में है और लंदन इवैंट का पूरी तरह से बायकाट किया जाएगा।
हम देश को मजबूत देखना चाहते हैं : सेखों
शर्नब्रूक काऊंसिल के कौंसलर चरण कंवल सिंह सेखों का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे समुदाय से संबंधित विदेश में रहते कुछ तत्व भारत को बांटना चाहते हैं। हमारे गुरुओं ने विदेशी ताकतों के साथ देश की एकता की लड़ाई लड़ी थी न कि बांटने की। सेखों जोकि एक एन.जी.ओ. सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन भी हैं, ने कहा कि सिख हमेशा देश को मजबूत देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश को बांटने वाले कभी अपने इरादों में सफल नहीं होंगे।
2% तत्व देश को बांटना चाहते हैं : गिल
गुरुद्वारा गुरु नानक, बैडफोर्ड के ट्रस्टी सुखपाल सिंह गिल ने कहा कि रैफरैंडम 2020 कुछ तत्वों की सोच है जो भारत को बांटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यू.के. के 98 प्रतिशत सिख अपने देश के लिए अच्छी सोच रखते हैं, केवल 2 प्रतिशत ही ऐसे तत्व हैं जो देश को बांटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा सभा कभी भी ऐसी कॉल का समर्थन नहीं करती। वहीं यू.के. बेस्ड सिख समुदाय के एक बड़े बिजनैसमैन रमी रेंजर का कहना है कि कुछेक तत्व सिख समुदाय को भटका रहे हैं, मगर कभी जीतते नहीं हैं।