Edited By PTI News Agency,Updated: 08 Jun, 2022 05:24 PM
नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) जमीन-जायदाद का विकास करने वाली कंपनियों ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दर रेपो में वृद्धि के फैसले से कर्ज महंगा होने से अल्पकाल में मकानों की मांग प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि,...
नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) जमीन-जायदाद का विकास करने वाली कंपनियों ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नीतिगत दर रेपो में वृद्धि के फैसले से कर्ज महंगा होने से अल्पकाल में मकानों की मांग प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि, उन्होंने सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की मौजूदा सीमा बढ़ाने के निर्णय का स्वागत भी किया।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया है।
रियल एस्टेट कंपनियों का कहना है कि इससे कर्ज की लागत बढ़ेगी और उनके लाभ मार्जिन पर असर पड़ेगा। हालांकि, उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक के इस कदम से महंगाई काबू में आएगी, जिससे इस्पात और सीमेंट जैसा कच्चा माल सस्ता होगा।
क्रेडाई (कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा, ‘‘आरबीआई के नीतिगत दर बढ़ाने से मकान कर्ज महंगा होगा। इससे अल्पकाल में मांग प्रभावित हो सकती है।’’
हालांकि, उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण 100 प्रतिशत बढ़ाये जाने का स्वागत किया।
रियल्टी कंपनियों के निकाय नारेडको (नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल) के अध्यक्ष राजन बंदेलकर ने कहा, ‘‘नीतिगत दर में वृद्धि से खासकर अल्पकाल में रिहायशी मकानों की बिक्री पर असर पड़ेगा। अबतक, कोरोना महामारी के बाद पुनरुद्धार और मजबूत धारणा के साथ कम ब्याज दर से इस क्षेत्र को गति मिल रही थी।’’
हीरानंदानी समूह के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि आवास ऋण पर ब्याज बढ़ने से खरीद में आयी तेजी प्रभावित होगी क्योंकि मासिक किस्त बढ़ना तय है।
हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘इसका असर अस्थायी होगा क्योंकि मकान कर्ज दीर्घकाल में ‘फ्लोटिंग दर’ पर आधारित होते हैं।’’
गौड़ समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ ने कहा, “आरबीआई का निर्णय संतुलन बनाने के लिहाज से अच्छा है... रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि से कर्ज महंगा होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे ऐसे समय आवास ऋण महंगा होगा, जब रियल एस्टेट क्षेत्र महामारी के प्रकोप से बाहर आ रहा था। हालांकि, मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने से अंतत: रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ होगा जो कच्चे माल की ऊंची लागत से प्रभावित है।’’
टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय दत्त ने कहा कि सहकारी बैंकों के लिये कर्ज सीमा बढ़ाने का निर्णय सकारात्मक कदम है। इससे छोटे शहरों में आवास विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
क्रेडाई (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के अध्यक्ष अमित मोदी ने कहा,“रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि खरीदारों की भावनाओं को प्रभावित करेगी। इससे विशेष रूप से पहली बार घर खरीदने वाले प्रभावित होंगे जो आवास ऋण पर बहुत अधिक निर्भर हैं।’’
अंसल हाउसिंग के कुशाग्र अंसल ने कहा कि
रेपो दर वृद्धि का निर्णय मुद्रास्फीति को कम करने के लिये आरबीआई की तरफ से उठाया गया कदम है। इससे कच्चे माल की लागत में भी गिरावट आएगी, जिससे क्षेत्र को लाभ होगा।’’
भूमिका समूह के प्रबंध निदेशक उद्धव पोद्दार ने कहा, ‘‘आरबीआई के रेपो दर में वृद्धि से निश्चित रूप से रियल एस्टेट में मांग प्रभावित होगी, लेकिन हमें उम्मीद है कि इस फैसले से मुद्रास्फीति को सामान्य स्थिति में लाने में मदद मिलेगी और लंबे समय में रियल एस्टेट समेत अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।’’
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘‘...मौद्रिक उपायों के माध्यम से महंगाई पर लगाम लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। यह अचल संपत्ति क्षेत्र को थोड़ा प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह उपभोक्ता के विश्वास को प्रभावित नहीं करेगा। साथ ही सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा बढ़ाने से निश्चित रूप से क्षेत्र को लाभ होगा।’’
हीरो होम्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी धर्मेश शाह ने कहा, ‘‘आरबीआई के कदम से आवास ऋण की दरों में वृद्धि होगी। यह घर खरीदारों को प्रभावित करेगा। लेकिन यह थोड़े समय के लिये ही आवासीय बिक्री को प्रभावित करेगा।’’
एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से आरबीआई के इस कदम से घर खरीदारों की भावनाओं पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन साथ ही यह कदम राहत भी लाएगा और इस क्षेत्र को लाभ पहुंचाएगा जो कच्चे माल की ऊंची लागत से जूझ रहा है।’’
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