रुपए की विनिमय दर में आगे भी होगी गिरावट, 90 प्रति डॉलर अब नई सामान्य स्थितिः नीलेश शाह

Edited By Updated: 03 Dec, 2025 06:22 PM

the rupee exchange rate will decline further with 90 per dollar now the new

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अंशकालिक सदस्य नीलेश शाह ने बुधवार को रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने के बीच कहा कि भविष्य में भी रुपए की विनिमय दर में गिरावट जारी रह सकता है और 90 के स्तर को अब ‘नई सामान्य

मुंबईः प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अंशकालिक सदस्य नीलेश शाह ने बुधवार को रुपए के रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिरने के बीच कहा कि भविष्य में भी रुपए की विनिमय दर में गिरावट जारी रह सकता है और 90 के स्तर को अब ‘नई सामान्य स्थिति' माना जाना चाहिए। कोटक महिंद्रा म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक शाह ने कहा कि रुपए पर दबाव की मुख्य वजह भारत में मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर और व्यापार साझेदार देशों की तुलना में कम उत्पादकता हैं। 

उन्होंने कहा, “रुपए की किस्मत में विनिमय दर में गिरावट होना ही है क्योंकि हमारी मुद्रास्फीति कारोबारी साझेदारों से अधिक है जबकि उत्पादकता उनसे कम है। ऐसे में हर साल रुपए में दो-तीन प्रतिशत की गिरावट सामान्य मानी जानी चाहिए।” विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के बीच रुपया बुधवार को पहली बार 90 प्रति डॉलर के नीचे चला गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 25 पैसे टूटकर 90.21 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। इस संदर्भ में शाह ने कहा कि निवेश प्रवाह और अन्य कारक अल्पावधि में रुपए को अस्थायी रूप से मजबूत या कमजोर कर सकते हैं लेकिन दीर्घावधि में रुपए के स्थायी रूप से मजबूत होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है। 

शाह ने बताया कि वास्तविक प्रभावी विनिमय दर का आकलन भी रुपए की कीमत में दो-तीन प्रतिशत गिरावट का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि निर्यात प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए भी रुपए का कुछ कमजोर होना जरूरी है। जब उनसे पूछा गया कि 90 रुपए प्रति डॉलर क्या अब भारतीय मुद्रा की ‘नई सामान्य स्थिति' हो चुकी है तो उन्होंने इससे सहमति जताते हुए कहा, “यदि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता हो भी जाए, तब भी रुपए के 90 के आसपास ही बने रहने की संभावना है।” शाह ने इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रा विनिमय दर तय नहीं करता है, बल्कि तेज उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए सीमित हस्तक्षेप करता है। 

उन्होंने कहा, “रुपए की दिशा बाजार ही तय करेगा, आरबीआई नहीं।” इसके साथ ही शाह ने वर्ष 2020 में पड़ोसी देशों से आने वाले निवेश पर लगाम लगाने के लिए जारी प्रेस नोट-3 की पुनर्समीक्षा की वकालत की। उन्होंने कहा कि भारत को पूंजी प्रवाह आकर्षित करने के तरीके खोजने होंगे और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश इसके बेहद अहम साधन हैं। 

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