बोइंग ड्रीमलाइनर का सॉफ्टवेयर भी ईंधन बंद कर सकता है, पायलटों को दोष देना जल्दबाजी: विशेषज्ञ

Edited By Updated: 19 Jul, 2025 10:57 AM

boeing 787 software can cut fuel without pilot consent expert warns

हाल ही में एयर इंडिया दुर्घटना को लेकर पायलटों पर दोष लगाने को लेकर विमानन विशेषज्ञ और अमेरिकी परिवहन विभाग की पूर्व महानिरीक्षक मैरी शियावो ने सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में एक ऐसा सॉफ्टवेयर सिस्टम होता है...

नेशनल डेस्क: हाल ही में एयर इंडिया दुर्घटना को लेकर पायलटों पर दोष लगाने को लेकर विमानन विशेषज्ञ और अमेरिकी परिवहन विभाग की पूर्व महानिरीक्षक मैरी शियावो ने सावधानी बरतने की अपील की है। उन्होंने बताया कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में एक ऐसा सॉफ्टवेयर सिस्टम होता है जो पायलट की सलाह के बिना ही इंजन में ईंधन की आपूर्ति रोक सकता है। इस सिस्टम का नाम टीसीएमए (थ्रस्ट कंट्रोल मालफंक्शन एकोमोडेशन) है जो उड़ान के दौरान कई तरह की परिस्थितियों को देख कर अपनी कार्रवाई करता है।

टीसीएमए सिस्टम क्या करता है?

टीसीएमए सिस्टम अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन यानी एफएए द्वारा अनिवार्य किया गया है। इसका मकसद विमान को इस काबिल बनाना है कि वह खुद ही यह पता लगा सके कि कब इंजन की शक्ति कम करनी चाहिए। यह सिस्टम दोनों इंजनों से जुड़ा होता है और जरूरत पड़ने पर थ्रस्ट यानी इंजन की ताकत को घटा सकता है। शियावो ने बताया कि टीसीएमए में पहले भी खराबी आई है और वह बिना पायलट की मंजूरी के ईंधन आपूर्ति बंद कर सकता है, जिससे इंजन की शक्ति घट जाती है।

2019 की ऑल निप्पॉन एयरवेज़ की घटना

मैरी शियावो ने 2019 में हुई एक घटना का उदाहरण दिया, जिसमें बोइंग 787 का टीसीएमए सिस्टम खराबी के कारण विमान को लगा कि वह ज़मीन पर उतर चुका है जबकि वह अभी हवा में था। उस गलतफहमी की वजह से सिस्टम ने ईंधन की आपूर्ति बंद कर दी। नतीजा यह हुआ कि विमान एक ग्लाइडर की तरह नीचे आया लेकिन क्योंकि वह उतर रहा था इसलिए दुर्घटना नहीं हुई। यह घटना साबित करती है कि टीसीएमए सिस्टम की गलती से विमान की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

पायलटों को दोष देना जल्दबाजी है

मैरी शियावो ने एयर इंडिया दुर्घटना में पायलटों को जल्दी दोषी ठहराने की आलोचना की है। उनका कहना है कि कई बार पायलटों को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन जांच से पता चलता है कि वास्तविक कारण तकनीकी समस्याएं होती हैं। उन्होंने कहा कि पायलटों के बीच बातचीत या आवाज के आधार पर दोष लगाना गलत है। खासकर जब यह पता नहीं होता कि विमान ने खुद ही कोई स्विच या सिस्टम बंद किया है या नहीं।शियावो ने कहा, "लगभग 75% मामलों में पायलटों को दोषी ठहराया जाता है और कई बार यह गलत साबित होता है।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि MH370 जैसी बड़ी घटनाओं में भी बिना पुख्ता सबूत पायलटों को गलत ठहराया गया था।

जांच प्रक्रिया कितनी जटिल है?

विमान दुर्घटनाओं की जांच बहुत जटिल होती है। शियावो ने बताया कि उड़ान का डेटा रिकॉर्डर लाखों कोड की रिपोर्ट करता है जिसे पूरी तरह समझने में कई साल लग सकते हैं। उड़ान भरने के दौरान पायलट के पास प्रतिक्रिया देने के लिए समय बेहद कम होता है। इसलिए किसी घटना को तुरंत समझना और दोषी तय करना आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि उड़ान की ऊंचाई को समय मानना चाहिए क्योंकि जितनी ऊंचाई होगी, प्रतिक्रिया देने के लिए उतना ही ज्यादा समय मिलेगा। इसलिए यह जरूरी है कि जांच पूरी हो और हर पहलू को जांचा जाए।

सॉफ्टवेयर और मानव त्रुटि दोनों पर नजर

यह स्पष्ट है कि विमान में तकनीकी त्रुटियां हो सकती हैं जो दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। साथ ही पायलट की गलती की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों पहलुओं पर समान रूप से ध्यान देना चाहिए और जल्दबाजी में किसी को दोषी नहीं ठहराना चाहिए।

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