Edited By Sahil Kumar,Updated: 07 Sep, 2025 08:36 PM
भारत में मौतों के प्रमुख कारणों पर Registrar General of India की रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारी अब सबसे बड़ी वजह बन गई है, जो कुल मौतों का 31% है। रेस्पिरेट्री इंफेक्शन, कैंसर और डायबिटीज जैसे NCDs तेजी से बढ़ रहे हैं। युवाओं में आत्महत्या प्रमुख...
नेशनल डेस्कः भारत में बीमारियों का नक्शा तेजी से बदल रहा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, अब संक्रामक बीमारियों से ज़्यादा खतरा गैर-संक्रामक बीमारियों से है। खासतौर पर दिल की बीमारी, जो अब देश में मौत का सबसे बड़ा कारण बन चुकी है। वहीं युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं भी गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। देश की स्वास्थ्य नीतियों को अब नई दिशा देने की ज़रूरत है।
दिल की बीमारी मौतों की सबसे बड़ी वजह
रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारी से होने वाली मौतों की हिस्सेदारी 3-1% है, जो अब तक की सबसे अधिक है। इसके बाद रेस्पिरेट्री इंफेक्शन (9.3%), कैंसर (6.4%), क्रॉनिक रेस्पिरेट्री डिजीज (5.7%), पाचन तंत्र संबंधी रोग (5.3%), अस्पष्ट बुखार (4.9%), अनजाने हादसे (3.7%), डायबिटीज (3.5%) और गुर्दे व मूत्र रोग (3%) प्रमुख कारण हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि अब भारत में मौतों का ग्राफ केवल संक्रामक बीमारियों (Communicable Diseases) पर केंद्रित नहीं है। Non-Communicable Diseases (NCDs) यानी गैर-संक्रामक बीमारियां, जैसे हार्ट डिजीज, कैंसर, डायबिटीज और स्ट्रोक, मौतों का प्रमुख कारण बन चुकी हैं।
उम्र के अनुसार मौतों की स्थिति
रिपोर्ट में बताया गया है कि 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिल की बीमारी सबसे बड़ी वजह है, जो सीधे तौर पर खराब जीवनशैली से जुड़ी है। वहीं, 15 से 29 साल की उम्र के युवाओं में आत्महत्या मौत का सबसे प्रमुख कारण बन गई है। इससे साफ है कि जहां एक ओर बुजुर्गों को शारीरिक बीमारियां जकड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर युवा वर्ग मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव से जूझ रहा है।
क्यों बढ़ रही हैं Non-Communicable Diseases?
अनुचित खानपान: तैलीय भोजन, जंक फूड और अधिक नमक-शक्कर का सेवन हार्ट डिजीज और डायबिटीज का बड़ा कारण बन रहे हैं।
शारीरिक सक्रियता की कमी: शहरी जीवनशैली के कारण लोग दिनभर बैठे रहते हैं, जिससे एक्सरसाइज की आदत नहीं बन पाती।
मानसिक तनाव: तेज़ रफ्तार जीवन, नौकरी का दबाव और अस्थिर सामाजिक माहौल मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।
धूम्रपान, शराब और प्रदूषण: ये सभी फैक्टर मिलकर दिल और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं।
डॉ. सुभाष गिरि, निदेशक, मेडिसिन विभाग, आरएमएल अस्पताल, बताते हैं कि "आज की जीवनशैली बेहद अस्वस्थ हो चुकी है। लोग तनाव में जी रहे हैं, जिससे हार्ट डिजीज और आत्महत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है।"
बचाव के उपाय
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं, खासकर दिल, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों की शुरुआती स्क्रीनिंग।
- संतुलित आहार लें और रोजाना एक्सरसाइज व योग को दिनचर्या में शामिल करें।
- मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग या हेल्पलाइन की सहायता लें।
- धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूरी बनाएं।
- स्वच्छता पर ध्यान दें, घर और आसपास की सफाई रखें।