वास्तु-ज्योतिष उपाय: पानी, सेहत और संतान से संबंधित समस्याओं से मुक्ति पाएं

Edited By ,Updated: 16 May, 2016 01:54 PM

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वास्तु चक्र में ठीक ऊपर उत्तर दिशा होती है। वास्तु पुरुष के अनुसार पूर्व एवं उत्तर दिशा अगम सदृश्य और दक्षिण और पश्चिम दिशा अंत सदृश्य है। ज्योतिष के

वास्तु चक्र में ठीक ऊपर उत्तर दिशा होती है। वास्तु पुरुष के अनुसार पूर्व एवं उत्तर दिशा अगम सदृश्य और दक्षिण और पश्चिम दिशा अंत सदृश्य है। ज्योतिष के अनुसार पूर्व दिशा में सूर्य एवं उत्तर दिशा में बृहस्पति कारक है। पश्चिम में शनि और दक्षिण में मंगल की प्रबलता है। 

 

ज्योतिष के अनुसार भाव 6, 8 और 12 अशुभ हैं। इन भावों का संबंध शुभ भावों से होने पर दोष उत्पन्न हो जाता है। जैसे यदि सप्तमेश षष्ठ भाव में हो तो पश्चिम दिशा में, अष्टमेश पंचम में हो, तो नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में, दशमेश षष्ठ में हो, तो दोष देगा। ग्रहण योग (राहू-केतु) की स्थिति उस दिशा से संबंधित दोष पैदा करेगी।

 

इसी प्रकार लग्नेश व लग्र में नीच राशि का पीड़ित होना पूर्व दिशा में दोष का सूचक है। आग्नेय (एकादश-द्वादश) में पापग्रह, षष्ठेश या अष्टमेश के होने से ईशान कोण में दोष होता है। लग्नेश का पंचम में होना वायव्य में दोष का द्योतक है। यदि कोई भावेश पंचम या षष्ठ (वायव्य) में हो तो उस भाव संबंधी स्थान में महादोष उत्पन्न होता है। 

 

ग्रह की प्रकृति, उसकी मित्र एवं शत्रु राशि तथा उसकी अंशात्मक शुद्धि के विश्लेषण से जातक के जीवन में घटने वाली खास घटनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है।

 

घर में अग्रि का संबंध तो छठे भाव से जाना जाता है और रसोई इसका कारक है घर में यदि सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो इसकी स्थिति सुधारें। इस दोष को दूर करने के लिए आप धनिया (साबुत) लेकर किसी भी कपड़े में बांध कर रसोई के किसी भी भाग में टांग देंगे तो लाभ होना आरंभ हो जाएगा।

 

आपके घर में जल का संकट है या पानी की तंगी रहती है या माता से संबंध अच्छे नहीं हैं अथवा आपका वाहन प्रतिदिन खराब रहने लगता है, या आप अपनी पारिवारिक संपत्ति के लिए परेशान हैं तो आप समझ लीजिए कि चतुर्थ भाव दूषित है। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए आप चावल की रवी सोमवार के दिन प्रात: अवश्य बनाएं और अपने परिवार सहित इसका सेवन करें यदि इसी समय कोई अतिथि आ जाए तो बहुत अच्छा शगुन है उसे भी यह खीर खिलाएंगे तो अति शुभ फल शीघ्र आपको प्राप्त होगा।

 

संतान आज्ञाकारी नहीं है या संतान सुख आपको प्राप्त नहीं हो पा रहा है तो आपका पंचम भाव दूषित हो रहा है जो आपके घर या भवन का प्रवेश द्वार है, प्रवेश द्वार में टॉयलेट या सीवर अवश्य होगा और उत्तर दिशा दूषित है अत: सुधारें और सूर्य यंत्र या तांबा प्रवेश द्वार पर स्थापित करने से आपको लाभ प्राप्त होगा।

 

 

 

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