ज्ञान और विवेक का प्रतीक पीला रंग अनेक रोगों का है इलाज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 02:38 PM

yellow color is a symbol of knowledge and discretion

पीला सूर्य का रंग है। सूर्य की किरणें जिस प्रकार अंधकार का विनाश करती हैं, उसी तरह ये मनुष्य के हृदय में बसी बुरी भावना को नष्ट करती हैं। हल्का पीला रंग मानव को बुद्धिहीन बनाता है और गाढ़ा पीला मनुष्य को मनोबल प्रदान करके हर कार्य में सफलता की ओर...

पीला सूर्य का रंग है। सूर्य की किरणें जिस प्रकार अंधकार का विनाश करती हैं, उसी तरह ये मनुष्य के हृदय में बसी बुरी भावना को नष्ट करती हैं। हल्का पीला रंग मानव को बुद्धिहीन बनाता है और गाढ़ा पीला मनुष्य को मनोबल प्रदान करके हर कार्य में सफलता की ओर बढ़ाता है।


चिकित्सा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पीला रंग
चिकित्सा शास्त्रियों ने अपने अनुसंधान निष्कर्ष में बताया है कि मोटर तांत्रिकाओं की क्रियाशीलता बढ़ाने में पीले रंग की प्रकाश किरणों का बहुत अधिक महत्व है। मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने एवं पाचन संस्थान को ठीक रखने के लिए प्राय: इसका प्रयोग किया जाता है। अधिक समय तक पीले रंग की रश्मियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा पित्त दोष उत्पन्न हो सकता है तथा आंतों की पाचन प्रणाली में गड़बड़ी उत्पन्न होने के अवसर बढ़ जाते हैं। इस रंग के अधिक प्रयोग से सन्निपात और हृदय की धड़कनें बढ़ने लगती हैं। 


अनेक रोगों का इलाज है पीला रंग
पीला रंग बुद्धिवर्धक है। यह रंग धीमे प्रभाव वाला माना गया है। कंठमाला और गलगंड रोग पर पीले रंग की बोतल में भरा पानी गुणकारी माना गया है। यह पुराना कब्ज भी दूर करता है। पीला रंग वैसे आलस्य, सुस्ती का प्रतीक माना गया है, फिर भी यह मधुमेह और कान के रोगों में लाभदायक है। यह स्नायु उत्तेजना को शांत करता है। बात-बात में क्रोध आ जाने वाले या झुंझला पडऩे वाले व्यक्ति पीले रंग की बोतल में पानी भरकर उसका नियमित सेवन कर अपनी इस प्रकार की बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। आंख आने पर पीले रंग की बोतल का पानी प्रयोग में लाना चाहिए।


पीले रंग के प्रतीक-भगवान विष्णु
पीला रंग ज्ञान और विद्या का भव्य रंग है। यह सुख, शांति, अध्ययन, विद्वता, योग्यता, एकाग्रता और मानसिक बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है। यह रंग उत्तेजित करता है, ज्ञान की ओर प्रवृत्ति उत्पन्न करता है, नए-नए स्वस्थ विचार मन में पैदा करता है। बसंत ऋतु मन को आनंदित करने वाली ज्ञानवर्धक ऋतु है। भगवान विष्णु का वस्त्र पीला है। उनका पीत वस्त्र उनके असीम ज्ञान का द्योतक है। भगवान श्री कृष्ण भी पीताम्बर ही पहनते हैं।


भगवान गणेश की धोती पीली रखी गई है और दुपट्टा नीला रखा गया है। उनकी वेष-भूषा में केवल पीले तथा नीले रंगों का ही उपयोग किया गया है। गणेश का पूजन-अर्चन किसी भी शुभ कार्य के लिए आवश्यक माना गया है। हिंदू मनीषियों ने गणेश जी को विघ्नेश्वर देव के नाम से भी पुकारा है। सभी मंगल कार्यों में पीली धोती वाले गणेश विघ्नहर्ता हैं।


कैसे होते हैं पीला रंग चाहने वाले
इस रंग को प्राथमिकता देने वाले व्यक्ति साधारणत: खतरे के समय कुछ डर प्रदर्शि---त करेंगे। वे कुछ समय के लिए तो हौसला बनाए रखेंगे। अपने आस-पास के लोगों की टीका-टिप्पणी का कुछ विशेष ध्यान नहीं रखते किंतु यदि परिस्थितियां अड़ जाएं तो घबरा कर हिम्मत छोड़ जाते हैं। प्रशंसा के बहुत भूखे रहते हैं। अन्य उनकी तारीफ करें या उनके भड़कीले कपड़ों की ओर मुड़-मुड़ कर देखें, यह उन्हें बहुत भाता है।


कहानियों, बातों को बढ़ा-चढ़ा कर तथा नमक-मिर्च लगाकर कहना बहुत अच्छा लगता है। अपने बारे में बातों-बातों में अपनी बड़ाई करना बहुत अच्छा लगता है। यह रंग या सुनहरी रंग प्रेम और सौभाग्य का सूचक है। प्रतीकात्मक रूप में इसे सूर्य के प्रकाश का रंग माना गया है। पंच तत्वों में यह पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और योग साधना में मूलाधार चक्र का रंग माना गया है।


इसके प्रयोग से मन में पुनीत और सात्विक भावों का उदय होता है। इसी कारण वैवाहिक अवसरों पर हल्दी का पीला उबटन लगाने की परम्परा है और शुभ अवसरों पर वस्त्रों को पीले रंग से रंग दिया जाता है। यह सृजन और प्रजनन क्षमता का प्रतीक है। अंत: बसंत ऋतु में प्रकृति इसी रंग में प्रकट होती है।


पीला रंग स्थापत्य का प्रतीक भी
पीला रंग स्थापत्य कला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्व रखता है। पीला रंग पसंद करने वाले कलाकार होते हैं। वे अपनी कला से सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं। ऐसी बहुत-सी इमारतें हैं जो अपने पीले रंग के लिए प्रसिद्ध हैं। नगर स्थापत्य में पश्चिमी राजस्थान की जैसलमेर नगरी अपनी पीत और स्वर्णिम छटा के लिए विशेष प्रसिद्ध है।
एक कारखाने के मजदूर काले डिब्बे उठाने में उनके बहुत भारी होने की शिकायत करते थे। उठाते हुए जल्दी ही थकान भी अनुभव करते थे। पर जब वे पीले रंग से रंगवा दिए गए तो श्रमिकों ने बताया कि उनमें भार कम है और उन्हें ढोते रहने में उन्हें कठिनाई नहीं होती।

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