Edited By ,Updated: 25 Mar, 2015 03:14 PM
हमें अपने आस-पास बच्चों को चोर-पुलिस का खेल खेलते हुए देखना अच्छा लगता है, लेकिन हकीकत में हम चोर-डकैतों द्वारा की जाने वाली चोरी और डाके से बचना चाहते हैं। आजकल चोरी और डाके जैसी घटनाओं में चोर या डकैत सम्पत्ति लूटने के साथ-साथ किसी की जान लेने से...
हमें अपने आस-पास बच्चों को चोर-पुलिस का खेल खेलते हुए देखना अच्छा लगता है, लेकिन हकीकत में हम चोर-डकैतों द्वारा की जाने वाली चोरी और डाके से बचना चाहते हैं। आजकल चोरी और डाके जैसी घटनाओं में चोर या डकैत सम्पत्ति लूटने के साथ-साथ किसी की जान लेने से भी नहीं कतराते हैं। टीवी, अखबार, पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा अक्सर चोरी और डकैती की घटनाओं में हत्याओं के भी समाचार पढ़ने व देखने में आते हैं।
आखिर क्यों चोर और डकैत किसी विशेष स्थान को ही अपनी वारदात का निशाना बनाते है? वास्तु चोरी और डाके जैसी घटनाओं में अपनी अहम् भूमिका निभाता है। देखते हैं ऐसे कौन-से वास्तुदोष हैं जो चोरी और डाके जैसी घटनाओं के कारण बनते हैं-
१ आग्नेय स्थल में बने घर के लिए पूर्व आग्नेय दिशा अगे्रत हो तो या दक्षिणी आग्नेय का कोण, बढ़े अथवा पूर्व, दक्षिण दोनों के मिलन स्थल का कोना अग्रेत हो, साथ ही आग्नेय में ढलान हो उस दिशा में कुंए, गड्ढे हों, उत्तर दिशा की तुलना में दक्षिण दिशा में ज्यादा खाली स्थल हो, चारदीवारी की दक्षिण-नैऋत्य में फाटक हो या पूर्व-आग्नेय में फाटक हो, पश्चिम दिशा में पूर्व की अपेक्षा अधिक खाली स्थल हो तो ऐसे घर में चोरियां अवश्य होती हैं।
२ घर के पूर्व आग्नेय भाग में मुख्यद्वार हो तो उस घर में चोरों का भय तो होगा ही, साथ ही घर में कलह भी रहेगी।
३ घर के मुख्य दरवाजे की चौखट बाहर की ओर झुकी हुई हो तो उस घर में चोरी होने का भय बना रहता है। घर का मालिक भी अधिकतर घर से बाहर ही रहता है।
४ खाली जगह और घर का आंगन व सभी कमरों से घर का आग्नेय भाग नीचा हो तो चोर और शत्रुओं का भय बना रहता है।
५ घर का उत्तर वायव्य आगे बढ़ा हुआ हो तो वहां चोरी की सम्भावना होती है।
६ पूर्व दिशा की ओर मुख-द्वार या अन्य द्वार इस प्रकार थोड़े तिरछे लगे हो, जिससे आग्नेय कोण दिखे ऐसे घरों में चोरियां होती हैं।
७ उत्तर दिशा में घर का मुख्यद्वार इस तरह से तिरछा लगा हो कि वहां से वायव्य कोण दिखाई दे तो ऐसे घरों में चोरी होने की सम्भावना होती है।
८ उपरोक्त किसी दोष के साथ यदि उस जगह का नैऋत्य कोण किसी भी प्रकार से नीचा हो या वहां पर भूमिगत पानी का स्रोत हो तो वहां माल के साथ-साथ जान का भी नुकसान होने का भय रहता है।
९ जिन दुकानों, फैक्ट्रियों के मध्य अर्थात् ब्रह्म स्थान पर कोई भारी वस्तु रखी हो या भारी मशीन लगा रखी हो, साथ ही मुख्यद्वार उत्तर वायव्य में हो तो ऐसी दुकानों या फैक्ट्रियों में चोरियां अवश्य होती हैं।
१० जिस घर में डाका पड़ता है वह घर हमेशा उत्तर दक्षिण होता है। उस घर के दरवाजे सब एक कतार में होते हैं। प्रवेश द्वार उत्तर वायव्य में होकर सब से पीछे का बाहर पड़ने का दरवाजा अगर दक्षिण नैऋत्य में होगा तो डाका पड़ सकता है। उसी प्रकार पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य में एक कतार के दरवाजे हो। पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य के दरवाजे वाले घर में डाके के दौरान हिंसा भी हो सकती है।
डाके से बचने का एकमात्र उपाय यह है कि बीच का कोई दरवाजे का स्थान बदल दे, इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिम के नैऋत्य कोण का दरवाजा दीवार बनाकर बंद कर दें।
- वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
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