धन और स्वास्थ्य का लाभ चाहते हैं तो यूं सजाएं मंदिर

Edited By ,Updated: 27 Jun, 2015 02:48 PM

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भगवान को अपने घर में स्थान देने के लिए, उनका प्रतिदिन दर्शन करने के लिए लगभग सभी लोग अपने घर में मंदिर बनाते हैं। लाल किताब के मतानुसार

भगवान को अपने घर में स्थान देने के लिए, उनका प्रतिदिन दर्शन करने के लिए लगभग सभी लोग अपने घर में मंदिर बनाते हैं। लाल किताब के मतानुसार तो सभी को घर में मंदिर नहीं बनाना चाहिए, लेकिन कुछ लोगों के लिए घर में मंदिर बनाना अनिवार्य भी है।

वास्तु के नियमों की बात करें तो मकान के पूर्व-उत्तर में पूजा का स्थान सर्वोत्तम माना गया है। इस स्थान पर पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है। सीढिय़ों या रसोई घर के नीचे, शौचालय के ऊपर या नीचे कभी भी पूजा का स्थान नहीं बनाना चाहिए।

उत्तर-पूर्व के कोण को ईशान कोण माना गया है। ईशान कोण वैसे भी देवताओं का स्थान माना गया है। यहां स्वयं भगवान शिव का भी वास होता है। देव गुरु बृहस्पति और केतु की दिशा भी ईशान कोण ही माना गया है। यही कारण है कि यह कोण पूजा-पाठ या अध्यात्म के लिए सबसे बेहतर होता है। यह भी ध्यान देने की बात है कि पूजा स्थल पर बीच में भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति जरूर होनी चाहिए।

मूर्तियां छोटी और कम वजनी ही बेहतर होती हैं। अगर कोई मूर्ति खंडित या क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे तुरंत पूजा स्थल से हटा कर कहीं बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। यह भी ध्यान देना चाहिए कि भगवान का चेहरा कभी भी ढका नहीं होना चाहिए। यहां तक कि फूल-माला से भी चेहरा नहीं ढकना चाहिए।

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