सांसदों, विधायकों के विरुद्ध बढ़ते आपराधिक मामले

Edited By ,Updated: 23 Nov, 2022 05:15 AM

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सुप्रीमकोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में 21 नवम्बर को बताया गया कि शीर्ष अदालत द्वारा सांसदों और विधायकों के विरुद्ध चल रहे आपराधिक मामलों के जल्द फैसले के लिए मॉनीटरिंग के बावजूद इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

सुप्रीमकोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में 21 नवम्बर को बताया गया कि शीर्ष अदालत द्वारा सांसदों और विधायकों के विरुद्ध चल रहे आपराधिक मामलों के जल्द फैसले के लिए मॉनीटरिंग के बावजूद इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। दिसम्बर, 2018 में इनकी संख्या 4122 थी जो दिसम्बर, 2021 में 4974 और अब नवम्बर, 2022 में बढ़ कर 5097 हो गई जबकि इसमें राजस्थान, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

सुप्रीमकोर्ट द्वारा मुकद्दमों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए बार-बार कहनेे के बावजूद कुल लंबित केसों में कम से कम 41 प्रतिशत मामले 5 वर्ष या उससे भी अधिक समय से लटकते आ रहे हैं। इनमें सर्वाधिक 71 प्रतिशत मामले ओडिशा से संबंध रखते हैं जबकि इसके बाद बिहार तथा उत्तर प्रदेश का स्थान है। पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, और चंडीगढ़ में सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों की संख्या क्रमश: 91, 70, 48 तथा 10 है। देश की शीर्ष अदालत 2016 से एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय  द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्टों से कई बार सांसदों और विधायकों के विरुद्ध 5 वर्ष या अधिक समय से लंबित मामलों तथा उनके तेजी से निपटारे के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांग चुकी है।

सांसदों और विधायकों के विरुद्ध लंबित मामलों की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक विधायकों के विरुद्ध रेप, हत्या, लूट और मनी लांड्रिंग जैसे गंभीर मुकद्दमे दर्ज हैं। अरुणाचल प्रदेश के एक विधायक पर गर्भवती महिला से बलात्कार का आरोप है। निश्चय ही यह एक गंभीर स्थिति है, अत: इनका शीघ्र निपटारा किया जाना आवश्यक है। मुकद्दमों का जल्द फैसला न होने और इनके लटकते रहने से ही दूसरे अपराधियों के मन से भी कानून का भय समाप्त हो रहा है जिससे देश में अपराध बढ़ रहे हैं। -विजय कुमार

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