हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकारों के लोक-लुभावन बजट

Edited By ,Updated: 10 Mar, 2017 09:37 PM

populist budget of haryana  rajasthan and delhi government

हम अक्सर लिखते रहते हैं कि सरकारें अपने कार्यकाल के अधिकांश समय में तो.....

हम अक्सर लिखते रहते हैं कि सरकारें अपने कार्यकाल के अधिकांश समय में तो राजनीतिक उठा-पटक व उखाड़-पछाड़ में व्यस्त रहती हैं और धन की कमी का रोना रोती रहती हैं लेकिन जब चुनाव निकट आते हैं तो वोट बटोरने के लिए उन्हें जनता को रिझाने की याद आ जाती है। तब जनमत को अपने पक्ष में करने के लिए वे खजाने का मुंह खोल कर लोक-लुभावन बजट पेश करने का सिलसिला शुरू कर देती हैं। केंद्र सरकार की भांति राज्यों की सरकारें भी काफी वर्षों से ऐसा ही कर रही हैं।

क्रमश: 2018 तथा 2019 में होने वाले विधानसभा के चुनावों को देखते हुए भाजपा शासित हरियाणा और राजस्थान की सरकारों ने सत्ता पर कब्जा बनाए रखने के लिए अपने वर्ष 2017-2018 के बजटों में सरकारी खजाने के मुंह खोल दिए हैं। इसी प्रकार दिल्ली में अगले महीने होने वाले एम.सी.डी. चुनावों में एम.सी.डी. को भाजपा से छीनने के लिए दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने भी अपने बजट में सुविधाओं का अम्बार लगा दिया है। 

6 मार्च को हरियाणा सरकार ने अपने 2017-18 के बजट में कोई नया टैक्स नहीं लगाने के अलावा अनेक राहतों की घोषणा की  है। इनमें बायोडीजल व सौर ऊर्जा परियोजनाओं के उपकरण व कलपुर्जे वैट से मुक्त करना, कोयले के दाम घटने पर 1 अप्रैल से बिजली के दाम घटाना, विधवा पैंंशन योजना की तर्ज पर विधुर पैंंशन योजना शुरू करना, श्रमिकों का दैनिक और मासिक वेतन बढ़ाने के अलावा अन्य सुविधाएं देना शामिल है। 

8 मार्च को पेश राजस्थान के बजट में भी सिवाय सिगरेट के अन्य किसी भी वस्तु पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया। प्रदेश में उद्योगों पर फोकस करते हुए बीमार उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए अनेक प्रावधान करने, यार्न पर एंट्री टैक्स में छूट, मैट्रो रेल सेवा को दी जा रही बिजली पर सैस में कमी सहित कई तरह की छूट देने की बात कही गई है। यही नहीं, पर्यटकों को सस्ती हवाई सेवाओं के लिए ए.टी.एफ. की दरों में कटौती करने और किसान वर्ग को लुभाने के लिए अगले 2 वर्षों में 1.27 लाख किसानों को बिजली का कनैक्शन देने की घोषणा भी की गई है। 

दिल्ली की ‘आप’ सरकार ने भी लगातार तीसरे वर्ष कोई नया टैक्स न लगाते हुए दिल्लीवासियों के लिए 20,000 लीटर मुफ्त पानी और 400 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को सबसिडी जारी रखने के अलावा अन्य अनेक सुविधाओं का पिटारा खोल दिया है। इस बजट में जहां कई चीजों पर वैट की दरें घटा दी गई हैं, वहीं स्वास्थ्य, महिला कल्याण, यमुना स्वच्छता, शिक्षा, सार्वजनिक परिवहन और झुग्गी-झोंपड़ी वालों के लिए सस्ते आवास उपलब्ध करवाने के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में 34 नए स्कूल खोलने के साथ ही 10,000 नए कमरे बनवाने और 400 नए पुस्तकालय खोलने की घोषणा भी की है। 

महिलाओं के कल्याण के लिए दिल्ली महिला आयोग का बजट तीन गुणा बढ़ाकर 120 करोड़ रुपए कर दिया गया है और स्थानीय निकायों के लिए भी बजट में रिकार्ड 7,571 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक आयोग बनाने की बात भी कही गई है। स्पष्टत: हरियाणा और राजस्थान सरकारों ने आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए और दिल्ली सरकार ने एम.सी.डी. पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से करमुक्त और सुविधाओं से भरपूर बजट पेश करके खुले दिल से रेवडिय़ां बांट कर सुविधाओं का पिटारा खोल दिया है। 

इसीलिए हम अक्सर लिखते रहते हैं कि संसद और विधानसभा के चुनाव 5 वर्ष की बजाय 4 साल में आयोजित करवाए जाएं ताकि मतदाताओं के रुके हुए काम जल्दी हो सकें। यह तो सर्वविदित ही है कि केंद्र हो या राज्य-सभी सरकारें काम तो चुनावी वर्षों से ठीक पहले ही शुरू करवाती हैं ताकि वे अपने पारम्परिक वोट बैंक को एकजुट रखने के साथ-साथ इसमें और वृद्धि भी कर सकें।                                                                                                       

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