रेलवे की विस्तार योजना प्रशंसनीय परंतु सुरक्षा की ओर दिया जाए ध्यान

Edited By ,Updated: 18 Nov, 2023 04:25 AM

railway s expansion plan is laudable but attention should be paid to safety

अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 1837 में भारत में पहली मालगाड़ी ग्रेनाइट की ढुलाई के लिए मद्रास में ‘लाल पहाडिय़ों’ तथा वहां से मात्र 25 किलोमीटर दूर ‘चिंताद्रीपेट पुल’ के बीच चली थी और इसका निर्माण ‘सर आर्थर कॉटन’ नामक इंजीनियर ने किया था।

अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान 1837 में भारत में पहली मालगाड़ी ग्रेनाइट की ढुलाई के लिए मद्रास में ‘लाल पहाडिय़ों’ तथा वहां से मात्र 25 किलोमीटर दूर ‘चिंताद्रीपेट पुल’ के बीच चली थी और इसका निर्माण ‘सर आर्थर कॉटन’ नामक इंजीनियर ने किया था। 176 वर्ष पूर्व 21 अगस्त, 1847 को ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ के साथ मिल कर ‘द ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला रेलवे’ ने 56 किलोमीटर रेल लाइन का निर्माण किया और 16 अप्रैल, 1853 को इसी ट्रैक पर पहली यात्री रेलगाड़ी वर्तमान मुम्बई के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चलाई गई। इसका श्रेय भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डल्हौजी को जाता है जिन्होंने ब्रिटिश सरकार को भारत में रेलवे शुरू करने के लिए राजी किया। इसमें 400 यात्री सवार थे और इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। कुल लगभग 34 किलोमीटर का सफर तय करने वाली इस रेलगाड़ी को ‘साहब’, ‘सिंध’ और ‘सुल्तान’ नामक तीन इंजन खींचते थे। 

तब से आज तक भारतीय रेलवे ने एक लम्बा सफर तय किया है और आज के महंगाई के युग में यह आवागमन और माल ढुलाई का सबसे सस्ता और पसंदीदा माध्यम है। भारतीय रेल नैटवर्क की कुल लम्बाई लगभग 1,15,000 किलोमीटर है और रेलें प्रतिदिन लगभग अढ़ाई करोड़ यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के अलावा लगभग 93 लाख टन से अधिक सामान ढोती हैं। देश की स्वतंत्रता के बाद से अब तक आने वाले रेल मंत्रियों ने रेलवे में अपने-अपने ढंग से सुधार और विस्तार किया। जहां तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने 2005 में चार दर्जन के लगभग नई रेलगाडिय़ां चलाईं, वहीं अनेक रेलगाडिय़ों की रफ्तार और डिब्बों की संख्या भी बढ़ाई। बाद के रेल मंत्रियों के दौर में भी यह सिलसिला जारी रहा। इस बीच जहां देश में पैसेंजर, मेल और एक्सप्रैस गाडिय़ों के अलावा 34 तेज रफ्तार ‘वंदे भारत’ रेलगाडिय़ां चल रही हैं, वहीं ‘बुलेट ट्रेन’ शुरू करने की योजना पर भी काम हो रहा है, जिसकी रफ्तार 320 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। 

इस बीच 16 नवम्बर को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि जनसंख्या में वृद्धि के कारण वह अगले 4-5 वर्षों में रेलवे की वर्तमान यात्री ढोने की क्षमता 800 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ करने के लिए 3000 नई रेलगाडिय़ां शुरू करने की योजना पर काम कर रहे हैं जिससे 2027 तक सभी यात्रियों को कंफर्म टिकट उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा का समय कम करना उनके मंत्रालय का एक अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य है। भारतीय रेल सेवाओं में विस्तार करने की रेल मंत्री की योजना प्रशंसनीय है परंतु भारतीय रेल प्रणाली इस समय सुरक्षा संबंधी समस्याओं से ग्रस्त है तथा पिछले लगभग 18 दिनों में ही कम से कम 4 रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं : 

* 31 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के रेलवे स्टेशन पर सुहेलदेव एक्सप्रैस के 2 डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गया। 
* 14 नवम्बर को ओडिशा के पुरी रेलवे स्टेशन के डिपो में खड़ी एक बोगी को आग लग गई, जिससे उसका निचला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। 
* 15 नवम्बर को इटावा के निकट दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर मात्र 40 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ रही नई दिल्ली-दरभंगा एक्सप्रैस में धमाके के बाद आग लग जाने से 2 बोगियां और एक पार्सल कोच जल कर राख हो गया। 
* 16 नवम्बर को  इटावा जिले में दिल्ली-सहरसा वैशाली एक्सप्रैस के एक डिब्बे में आग लग जाने से 21 यात्री झुलस गए। 

ध्यान रहे कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद से अब तक देश में विभिन्न रेल दुर्घटनाओं में कम से कम 304 लोगों की जान जा चुकी है और सम्पत्ति की जो हानि हुई सो अलग। अत: हम रेल मंत्री से कहना चाहेंगे कि जहां नई गाडिय़ां चलाने से पहले रेलवे प्रणाली में सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत करने की आवश्यकता है, वहीं 4 वर्ष बाद 2027 में कंफर्म टिकट उपलब्ध करने की बात पर लोगों का कहना है कि यह जल्दी क्यों नहीं?—विजय कुमार  

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