‘पंजाब केसरी’ का 55वें वर्ष में पदार्पण पाठकों और संरक्षकों का धन्यवाद

Edited By ,Updated: 13 Jun, 2019 12:41 AM

thanks to readers and patrons in the 55th year of  punjab kesari

आज 13 जून 2019 के अंक के साथ आपका प्रिय ‘पंजाब केसरी’ अपने 55वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इस शुभ अवसर पर मेरे मस्तिष्क में  इसके जन्म से जुड़ी चंद पुरानी यादें कौंध रही हैं। विभाजन के बाद जालन्धर आकर पूज्य पिता....

आज 13 जून 2019 के अंक के साथ आपका प्रिय ‘पंजाब केसरी’ अपने 55वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इस शुभ अवसर पर मेरे मस्तिष्क में  इसके जन्म से जुड़ी चंद पुरानी यादें कौंध रही हैं। विभाजन के बाद जालन्धर आकर पूज्य पिता अमर शहीद लाला जगत नारायण जी ने 4 मई 1948 को उर्दू दैनिक ‘हिंद समाचार’ का 1800 प्रतियों के साथ प्रकाशन आरंभ किया जो बाद में भारत का नंबर 1 उर्दू दैनिक बना।

लेकिन उस समय ङ्क्षहदी का पाठक वर्ग बढ़ रहा था और उर्दू समाचार पत्रों की प्रसार संख्या स्थिर होती जा रही थी, इसलिए पूज्य पिता जी ने एक हिंदी दैनिक का प्रकाशन आरंभ करने का निर्णय लिया। उस समय जालन्धर से मात्र दो हिंदी दैनिक ही प्रकाशित होते थे तथा स्थान, साधनों और मशीनरी की कुछ कमी के बावजूद पिता जी के जोर देने पर अंतत: 13 जून 1965 को हमने ‘दैनिक पंजाब केसरी’ का प्रकाशन आरंभ किया। इसके पहले अंक की 3500 प्रतियां छपीं। उस समय इसके पृष्ठ 8-10 होते थे तथा मूल्य केवल 15 पैसे ही था।

अभी ‘पंजाब केसरी’ आरंभ हुए कुछ ही समय बीता था कि पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ गया। उन दिनों पिता जी राज्यसभा के निर्दलीय सदस्य थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने उनकी सीमा का दौरा करके जवानों का हौसला बढ़ाने की ड्यूटी लगा दी। इसके बाद हम दोनों भाई मैं और रमेश जी बारी-बारी पिता जी के साथ युद्ध क्षेत्र में जाकर वहां के फोटो खींचकर लाते जो हमारे समाचार पत्रों में छपते थे।

धीरे-धीरे ‘पंजाब केसरी’ आगे बढ़ता चला गया। हिंद समाचार’ और ‘पंजाब केसरी’ की निष्पक्षता और किसी भी राजनीतिक विचारधारा से न जुडऩे के संकल्प के कारण उस दौर की लगभग हर सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने पर समय के शासकों ने इन्हें कोपभाजन भी बनाया। इसी कारण 1974 में जब पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने हमारी आवाज दबाने के लिए पहले हिंद समाचार’ और ‘पंजाब केसरी’ के विज्ञापन बंद किए और फिर इनकी बिजली काट दी तो हमने अपने अखबार ट्रैक्टर की सहायता से छाप कर पाठकों तक पहुंचाए।

इसी प्रकार जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला और हरियाणा में बंसी लाल की सरकारों ने भी हम पर प्रतिबंध लगाए परन्तु इससे इन दोनों समाचार पत्रों की उक्त राज्यों में लोकप्रियता और भी बढ़ गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार को कुछ समय में ही हम पर लगाए हुए प्रतिबंध हटाने पड़े। अपनी इस संघर्ष यात्रा के दौरान ‘हिंद समाचार’ ग्रुप ने आतंकवाद के विरुद्ध भी संघर्ष किया और अपने दो मुख्य संपादकों पूज्य पिता लाला जगत नारायण और श्री रमेश चंद्र के अलावा 2 समाचार सम्पादकों और उप संपादकों तथा 60 अन्य संवाददाता, छायाकार, ड्राइवर, एजैंट और हॉकर  खोए।

‘पंजाब केसरी’ की इस अनवरत यात्रा के दौरान हमने सभी राजनीतिक दलों के साथ निष्पक्ष संबंध कायम रखते हुए अपनी तटस्थता की नीति कायम रखी। यही कारण है कि आज पाठकों और विज्ञापनदाताओं के सहयोग व परिवार के सदस्यों और स्टाफ की मेहनत के चलते ‘पंजाब केसरी’ हिंदी समाचार पत्रों में अग्रणी स्थान बनाए हुए है। ए.बी.सी. के आंकड़ों के अनुसार इसकी प्रसार संख्या 6,99,522 तक पहुंच गई है और यह जालन्धर के अलावा 9 अन्य केंद्रों से प्रकाशित हो रहा है।

इसी दौरान 21 जुलाई 1978 को पंजाबी दैनिक ‘जग बाणी’ तथा 6 अगस्त 2013 को राजधानी दिल्ली से ‘नवोदय टाइम्स’ का प्रकाशन भी शुरू किया गया। ‘जग बाणी’  2,71,341 तथा ‘नवोदय टाइम्स’ की 1,46,264 प्रतियां प्रकाशित हो रही हैं तथा हिंद समाचार उर्दू की 14951 प्रतियों के साथ सभी चारों समाचार पत्रों की संयुक्त प्रसार संख्या 11,32,078 है। इस दौरान  ‘पंजाब केसरी’ की तीसरी पीढ़ी के सदस्यों बड़े सुपुत्र चिरंजीव अविनाश व चिरंजीव अमित के साथ-साथ चौथी पीढ़ी के सदस्य चिरंजीव अभिजय, चिरंजीव आरूष, कु. आमिया व अविनव चोपड़ा भी समाचार पत्रों के साथ जुड़ कर मेहनत से लाला जी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

यही नहीं पाठकों के सहयोग से शहीद परिवार फंड के अंतर्गत आतंकवाद पीड़ित 9865 परिवारों को 14.27 करोड़ रुपए सहायता देने के अलावा जम्मू-कश्मीर तथा पंजाब के सीमांत इलाकों के जरूरतमंद लोगों के लिए राहत सामग्री के 516 ट्रक बांटे जा चुके हैं और जब भी देश पर कोई आपदा आई पंजाब केसरी द्वारा उस संबंध में शुरू किए गए राहत कोषों के अंतर्गत 63.24 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि दी जा चुकी है और यह सिलसिला जारी है। हम आप पाठकों और संरक्षकों के आभारी हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में भी आपका स्नेह और संरक्षण इसी प्रकार बना रहेगा ताकि हम देश और समाज की और भी बेहतर सेवा करते रहें।         —विजय कुमार

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