शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व 1 कदम आगे बढ़ाता है तो अन्य नेतागण 2 कदम पीछे खींच लेते हैं

Edited By Updated: 27 Sep, 2022 03:58 AM

top congress leadership takes 1 step forward other leaders take 2 steps back

अब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान होना लगभग तय है, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा नामांकन भरने की तैयारी के बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी में घमासान शुरू हो गया है।

अब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान होना लगभग तय है, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा नामांकन भरने की तैयारी के बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर पार्टी में घमासान शुरू हो गया है। अशोक गहलोत की जगह मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पहली पसंद सचिन पायलट हैं, लेकिन गहलोत खेमा इसके विरुद्ध है और वह विधानसभा के स्पीकर सी.पी. जोशी को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है।

कांग्रेस विधायक दल की बैठक 25 सितम्बर को मुख्यमंत्री निवास पर होनी थी और इसमें शामिल होने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े, प्रदेश प्रभारी अजय माकन, अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोबिंद सिंह डोटासरा, पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट तथा कुछ अन्य विधायक भी वहां पहुंच गए थे। परंतु इसमें शामिल होने की बजाय गहलोत के समर्थक विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर समानांतर बैठक बुला ली और उसमें विचार-विमर्श के बाद विधानसभा के स्पीकर श्री सी.पी. जोशी को अपने त्यागपत्र सौंप कर एक प्रस्ताव पारित करके गहलोत के ही किसी समर्थक को मुख्यमंत्री बनाने की बात भी कह दी।

उधर देर रात तक मुख्यमंत्री के आवास पर मौजूद कांग्रेस नेता उक्त विधायकों की प्रतीक्षा करते रहे परंतु उनके न आने के कारण विधायक दल की बैठक स्थगित कर दी गई। अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने कुछ शर्तें रखी हैं। वे चाहते हैं कि राज्य में नए मुख्यमंत्री का फैसला कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव होने तक न किया जाए। नए मुख्यमंत्री के चयन में गहलोत की राय पर ध्यान दिया जाए और नया मुख्यमंत्री उन विधायकों में से होना चाहिए जिन्होंने 2020 में पायलट समर्थकों द्वारा विद्रोह के दौरान सरकार बचाने में सहायता की थी।

इनकी यह भी मांग है कि कांग्रेस नेतृत्व विधायकों से अलग-अलग न मिल कर समूह में मिले। इन शर्तों से मल्लिकार्जुन खडग़े और अजय माकन के अलावा कांग्रेस हाई कमान काफी नाराज है तथा इस घटनाक्रम के बीच खबर यह है कि अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर किया जा सकता है।

गहलोत खेमे के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास ने यहां तक कहा कि‘‘पार्टी हमारी नहीं सुनती। सोनिया गांधी, राहुल गांधी व अशोक गहलोत आह्वान करेंगे तो हम जान भी दे देंगे। सचिन पायलट के साथ केवल 10 विधायक हैं। ’’प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि‘‘अशोक गहलोत कोई क्लास मॉनिटर नहीं है जिसे बदला जाए। वह कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही मुख्यमंत्री भी बने रहें। कोई और बना तो सरकार गिर जाएगी।’’ इस बीच सोनिया गांधी ने फोन करके गहलोत से पूछा कि जयपुर में क्या चल रहा है तो अशोक गहलोत ने कहा कि उनके वश में कुछ नहीं है।

सोनिया गांधी ने इस सम्बन्ध में मल्लिकार्जुन खडग़े तथा अजय माकन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि ‘‘यह समय भाजपा से लडऩे का है, सचिन पायलट से लडऩे का नहीं। गहलोत खेमे के विधायकों द्वारा हाईकमान पर प्रैशर बनाना ठीक नहीं है। जिसे कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा है, वह मुख्यमंत्री पद का मोह नहीं छोड़ पा रहा। गहलोत को बड़ा दिल दिखाना चाहिए।’’

भविष्य में यह घटनाक्रम जो भी रूप धारण करे, फिलहाल तो यही लगता है कि पार्टी नेता इस वास्तविकता को ही महसूस नहीं कर पा रहे हैं कि कांग्रेस कहां से चल कर कहां आ पहुंची है और अब केवल 2 राज्यों में ही इसका शासन रह गया है। एक ओर कांग्रेस ‘भारत जोड़ो’ यात्रा निकाल रही है तो दूसरी ओर इसके अपने ही अंदर टूटन बढ़ती जा रही है। 

एक ओर छोटे-छोटे क्षेत्रीय दल नीतीश कुमार और लालू यादव के साथ मिल कर बड़ा विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं और नीतीश कुमार ने कहा भी है कि गठबंधन में कांग्रेस का होना जरूरी है, परंतु कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि इसके शीर्ष नेता 1 कदम आगे बढ़ाते तो अन्य नेता 2 कदम पीछे खींच लेते हैं।

राजस्थान  को लेकर जयपुर और दिल्ली में तेज हुई राजनीतिक गतिविधियों के बीच जहां गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होने की बात भी सुनने में आ रही है तो इस दौड़ में मल्लिकार्जुन खडग़े, के.सी. वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और दिग्विजय सिंह के शामिल हो जाने की चर्चा है। ये  सभी सोनिया के करीबी माने जाते हैं। जो भी हो, वास्तविकता का पता तो आने वाले दिनों में ही चलेगा।—विजय कुमार

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