Edited By ,Updated: 11 Nov, 2023 05:46 AM
हाल ही में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने राजधानी बीजिंग में बैंक ऑफ चाइना का दौरा किया, आमतौर पर बैंक यात्रा करना चीनी राष्ट्राध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं होती है लेकिन शी की बैंक यात्रा को लेकर इस समय चीन और दुनिया भर में कई अटकलें लगाई जा रही...
हाल ही में चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने राजधानी बीजिंग में बैंक ऑफ चाइना का दौरा किया, आमतौर पर बैंक यात्रा करना चीनी राष्ट्राध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं होती है लेकिन शी की बैंक यात्रा को लेकर इस समय चीन और दुनिया भर में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। 24 अक्तूबर को शी जिनपिंग और उपप्रधानमंत्री होलाफंग के साथ सी.पी.सी. के कई उच्चाधिकारियों जिनमें विदेशी मुद्रा के राज्य प्रशासन के अधिकारी भी शामिल थे, ने बैंक ऑफ चाइना का दौरा किया।
हालांकि इस यात्रा के बारे में बहुत-सी जानकारियों को लोगों के बीच नहीं आने दिया गया। रिकार्ड यह बताते हैं कि माओ त्से तुंग के समय से अभी तक किसी भी चीनी राष्ट्रपति ने बैंक ऑफ चाइना का दौरा नहीं किया और शी जिनपिंग की बैंक की यह पहली यात्रा है। बैंक का निरीक्षण करना चीन के प्रीमियर का काम होता है या वाइस प्रीमियर का, जिसकी ये जिम्मेदारी होती है। जानकार इससे यह अंदाजा लगा रहे हैं कि चीन का तानाशाह अब चीन के वित्तीय तंत्र पर भी अपना शिकंजा कसना चाहता है जिसकी तैयारी अभी से की जा रही है।
इससे शी जिनपिंग केंद्रीयकृत और एकीकृत दृष्टिकोण की तरफ बढ़ चले हैं। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इस यात्रा के दौरान वित्तीय विशेषज्ञों को साथ में इसलिए ले जाया गया था क्योंकि हाल ही में चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत बड़ी धनराशि का नुकसान पहुंचा है यह धनराशि 3 खरब अमरीकी डालर जितनी बड़ी है। जल्दी ही चीन के बड़े अधिकारी, नियामक और वित्तीय अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय गोपनीय बैठक होने वाली है जिसमें चीन की वित्तीय नीतियों पर चर्चा होगी।
जानकारों का मानना है कि इस समय चीन अपने रियल एस्टेट के फूटते बुलबुले से परेशान है साथ ही चीन की हर स्थानीय और प्रांतीय सरकार भारी कर्जों में डूबी हुई है। अगर यह हाल ज्यादा दिनों तक चला तो चीन का पूरा बैंकिंग तंत्र और उसकी पूरी अर्थव्यवस्था भरभरा कर गिर जाएगी। ऐसे में अगर केंद्रीय सरकार वित्तीय मदद भी करती है तब भी चीन की अर्थव्यवस्था को गिरने से कोई नहीं रोक सकता। इसका मतलब यह है कि चीन की अर्थव्यवस्था पर खतरा तब भी बना रहेगा।