क्या अजय बंगा के विश्व बैंक प्रमुख बनने से भारत-पाक में पानियों का मसला हल होगा

Edited By ,Updated: 24 May, 2023 06:00 AM

ajay banga becoming the head of the wb solve issue of water between india pak

भारत तथा पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर तथा आतंकवाद के अतिरिक्त यदि कोई बड़ा मसला है तो वह पानियों का है। यह मसला आजादी से थोड़ी देर बाद 1948 में ही उठ खड़ा हुआ था। इस झगड़े का कारण इंडस दरिया (सिंधु नदी) के पानी के नियंत्रण का था।

भारत तथा पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर तथा आतंकवाद के अतिरिक्त यदि कोई बड़ा मसला है तो वह पानियों का है। यह मसला आजादी से थोड़ी देर बाद 1948 में ही उठ खड़ा हुआ था। इस झगड़े का कारण इंडस दरिया (सिंधु नदी) के पानी के नियंत्रण का था। इस झगड़े के कारण भारत ने इस नदी तथा इसकी शाखाओं अपर बारी दुआब नहर माधोपुर (पठानकोट) तथा दीपालपुर नहर हुसैनीवाला हैडवक्र्स जिला फिरोजपुर से पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी रोक दिया। यह रोक करीब 5 सप्ताह तक रही जब तक पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रैंस करने के लिए राजी नहीं हो गया। 

इस कांफ्रैंस में आगे पक्का समाधान निकालने के लिए पाकिस्तान से पानी के बदले एक सालाना रकम लेने का एक अस्थायी निर्णय हुआ, मगर यह फैसला सिरे नहीं चढ़ सका। कई वर्ष तक इस मसले के कारण भारत तथा पाकिस्तान के बीच खींचतान रही। आखिर 1960 में विश्व बैंक की  मध्यस्थता से इस मसले का हल निकाला गया तथा सितम्बर 1960 को कराची में एक इकरारनामे पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू तथा जनरल अयूब खान और विश्व बैंक के प्रतिनिधि डब्ल्यू.ए.बी. लिफ द्वारा हस्ताक्षर किए गए। 

इस इकरारनामे के अनुसार भारत के हिस्से में पूर्वी दरिया, जिनमें ब्यास, रावी तथा सतलुज दरिया आए, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में पश्चिमी जिनमें इंडस, जेहलम तथा चिनाब दरिया आए। इस समझौते के आर्टीकल 5.1 के अंतर्गत भारत द्वारा पाकिस्तान को 62060000 पौंड यानी 1250 क्विंटल सोने के बराबर रकम 10 सालाना किस्तों में देने का फैसला हुआ। भारत सरकार ने इस फैसले के मुताबिक सभी किस्तें (1965 की भारत-पाक जंग होने के बावजूद) अदा कर दीं। इसके अतिरिक्त विश्व के 6 अन्य अमीर देशों ने पाकिस्तान को बहुत बड़ी ग्रांटें दीं। आस्ट्रेलिया ने 6965000 आस्ट्रेलियन डालर, कनाडा ने 22100000 कनाडियन डालर, पश्चिमी जर्मनी ने 12600000 डी.एम., न्यूजीलैंड ने 1000000 पौंड, इंगलैंड (यू.के.) ने 20860000 पौंड तथा अमरीका ने 177000000 डालर दिए।

इस संधि के मुताबिक भारत को 10 साल के लिए पूर्वी दरियाओं (जो पंजाब के हिस्से आए थे) से पाकिस्तान को पानी देने के लिए पाबंद कर दिया ताकि पाकिस्तान अपने क्षेत्र में नहरों का निर्माण कर सके। संधि के अनुसार इन दरियाओं के पानी का इस्तेमाल, जिसमें खेती के लिए, पेयजल, अन्य कार्यों व ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के आंकड़ें सांझे करने के लिए दोनों देशों द्वारा एक एक-एक कमिश्रर नियुक्त करने का फैसाल हुआ जिनकी सालाना रिपोर्ट दोनों देशों को पेश करने की जिम्मेदारी थी मगर किसी भी देश ने आज तक ये रिपोर्टें सार्वजनिक नहीं कीं। 

सिंधु जल समझौते के बाद पैदा हुए झगड़े समझौते की धाराओं के अंतर्गत स्थायी ऑबट्रेशन कोर्ट तथा न्यूट्रल टैक्नीकल एक्सपर्ट के माध्यम से हल किए गए। मगर अब फिर पाकिस्तान द्वारा भारत पर समझौते के उल्लंघन के दोष लगाए जा रहे हैं तथा पर्मानैंट ऑबट्रेशन कोर्ट में केस लगाए जाने की मांग की जा रही है, जबकि भारत ने न्यूट्रल टैक्नीकल एक्सपर्ट नियुक्त करने की मांग की है। यद्यपि खुद पाकिस्तान रावी तथा ब्यास बेसिन एरिया का पानी इस्तेमाल कर रहा है तथा बाढ़ों को नियंत्रित करने के लिए रिवर ट्रेनिंग वक्र्स का निर्माण कर रहा है जिससे भारत के लिए बाढ़ों का खतरा हो सकता है। 

बेशक विश्व बैंक के पास सीमित शक्तियां हैं मगर झगड़े वाले दोनों डैमों के लिए दोनों देशों द्वारा अलग-अलग मांग करने पर विश्व बैंक द्वारा 2 सिस्टम टैक्नीकल एक्सपर्ट तथा ऑॢबट्रेशन कोर्ट लागू करने का निर्णय लिया गया जोकि भारत को स्वीकार नहीं। भारत की मांग है कि इसके लिए न्यूट्रल टैक्नीकल एक्सपर्ट की नियुक्ति की जानी चाहिए क्योंकि एक ही मसले के लिए दो अलग-अलग टीमों से कानूनी पेचीदगियां पैदा हो सकती हैं तथा कोई ऐसा फैसला लेना कठिन हो सकता है जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। 

2003 में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ने इस संधि को खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया और फिर 2016 में एक अन्य प्रस्ताव पारित करके इस संधि पर पुन: विचार करने की मांग की तथा जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा इस संधि को रद्द करने के लिए डाली गई जनहित याचिका भारतीय सुप्रीम कोर्ट में लम्बित पड़ी है। इसी वर्ष भारत ने पाकिस्तान को जनवरी के अंत में एक नोटिस भेजा कि पाकिस्तान निरंतर ऐसी कार्रवाइयां कर रहा है जो सिंधु जल समझौते की भावनाओं के विपरीत हैं। 

इस नोटिस में भारत ने 62 साल पुरानी संधि का नवीनीकरण करने की मांग की है। भारत ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में अपने 2 जज भेजने से भी इंकार कर दिया और दलील दी है कि एक ही मसले पर दो तरह की कार्रवाइयां नहीं चल सकतीं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह भारत की आशंकाओं पर विचार करेगी और इसी साल जून में इस मसले पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए फैसला करेगी। 

मगर अब जब विश्व बैंक के प्रमुख की कुर्सी पर एक भारतीय अजय बंगा बैठ चुके हैं तो यह जरूर महसूस होता है कि वह भारतीय मसले को अन्य से ज्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं। वह बेशक भारत की कानून से हटकर कोई मदद तो नहीं करेंगे मगर यह अवश्य लगता है कि अब कम से कम भारत के साथ इस मसले पर विश्व बैंक कोई ऐसी कार्रवाई करने से गुरेज करेगा जो भारत के हितों के सीधे तौर पर उलट लगती हो। 

अजय बंगा का विश्व बैंक के प्रमुख की कुर्सी पर बैठना भारतीयों, विशेषकर पंजाबियों के लिए गौरव की बात है, वहीं भारतीयों के स्व: विश्वास में वृद्धि करने वाली बात भी है। जहां भारत के लिए सिंधु जल समझौते पर कुछ ठीक होने की संभावना बनी है, वहीं 40 वर्षों से लटक रहे शाहपुर कंडी डैम का भी शीघ्र निर्माण होने की संभावना है जिससे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा जालंधर में किया गया वायदा पूरा हो जाएगा। यहां उन्होंने कहा था कि पंजाब के किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए जल्द ही रावी दरिया का जो पानी पाकिस्तान जा रहा है उसे रोककर पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर के किसानों को कृषि हेतु दिया जाएगा। 

भारत के जल शक्ति मंत्री प्रधानमंत्री के इस वायदे को पूरा करने के लिए इन प्रोजैक्टों को सिरे चढ़ाने के लिए पूरी लगन तथा मेहनत से काम कर रहे हैं। पाकिस्तान को भी अब यह कहना पड़ा है कि रावी दरिया के पानियों पर भारत का हक है। अब यह प्रोजैक्ट अगस्त 2023 में पूरा होने की संभावना है जिससे पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर के तकरीबन 37000 हैक्टेयर रकबे को खेती के लिए पानी मिलेगा। अकेले पंजाब को करीब 12500 एकड़ रकबे के लिए खेती करने हेतु पानी मिलने लगेगा।-इकबाल सिंह चन्नी
 

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