‘सड़कों पर वाहनों की तेज रफ्तारी’ मौतों के मामले में नंबर वन बन गया भारत!

Edited By Updated: 05 Nov, 2025 04:35 AM

india becomes number one in deaths due to  high speed on roads

‘नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो’ के अनुसार 2022 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1,71,100 लोगों की मौत हुई थी जो 2023 में बढ़ कर 1,73,826 हो गई।

‘नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो’ के अनुसार 2022 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में 1,71,100 लोगों की मौत हुई थी जो 2023 में बढ़ कर 1,73,826 हो गई। दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं से मौतों के मामले में भारत पहले नंबर पर है। यहां रोज 280 लोगों की मौत वाहनों की ओवर स्पीडिंग के कारण होती है।

विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में 11 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं और सड़क दुर्घटनाओं का यह सिलसिला लगातार जारी है जिसके मात्र 2 दिनों के उदाहरण निम्न में दर्ज हैं : 
* 3 नवम्बर, 2025 को ‘रंगारैड्डी (तेलंगाना) में ‘चैवेला’ के निकट ‘तेलंगाना रोड ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन’ की बस तथा बजरी से लदे एक डम्पर की आमने-सामने टक्कर में 13 महिलाओं और एक बच्ची समेत कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 22 अन्य लोग घायल हो गए। 
* 3 नवम्बर को ही ‘जयपुर’ (राजस्थान) के ‘हरमाड़ा’ थाना इलाके में 100 किलोमीटर की स्पीड से डम्पर को दौड़ाए ले जा रहे नशे में धुत्त ड्राइवर ने एक के बाद एक करके 17 वाहनों तथा मोटरसाइकिल को कुचल दिया जिससे 14 लोगों की मौत हो गई व लगभग 22 से अधिक लोग घायल हो गए।        
* 3 नवम्बर को ही ‘हमीरपुर’ (हिमाचल प्रदेश) में एक विवाह समारोह से लौट रहे परिवार का वाहन खाई में गिर जाने से 2 व्यक्तियों की मौत हो गई। 
* 3 नवम्बर को ही ‘रूपनगर’ में पुरानी आई.आई.टी. की स्लिप रोड पर एक स्कूटी तथा बोलैरो कार की टक्कर में स्कूटी सवार पति-पत्नी की मृत्यु हो गई जबकि अढ़ाई वर्ष और पांच वर्ष आयु के 2 बच्चे बाल-बाल बच गए।
* 3 नवम्बर को ही ‘कुरुक्षेत्र-पिहोवा’ मार्ग पर गांव ‘लोहार माजरा’ के निकट सुबह के लगभग 4 बजे कुरुक्षेत्र से ‘पटियाला’ जा रही एक ‘क्रूजर’ गाड़ी सड़क के किनारे खड़े ट्राले से टकरा गई जिससे क्रूजर में सवार 3 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत तथा 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 

* 3 नवम्बर को ही ‘बाराबंकी’ (उत्तर प्रदेश) में ‘देवा-फतेहपुर’ रोड पर स्थित ‘कल्याणी’ नदी के पुल पर एक कार और ट्रक की आमने-सामने हुई टक्कर में एक ही परिवार के 4 लोगों सहित 8 लोगों की मौत हो गई। 
* और अब 4 नवम्बर को ‘इंदौर’ (मध्य प्रदेश) में ड्राइवर की लापरवाही से यात्रियों से भरी एक बस खाई में जा गिरी जिससे 3 लोगों की मौत हो गई और 38 से अधिक लोग घायल हो गए। 
* 4 नवम्बर को ही ‘पणजी’ (गोवा) में तेज रफ्तार से आ रहा टैंकर एक कार से टकरा गया जिससे कार में सवार 2 खेल अधिकारियों की मौत हो गई।
* 4 नवम्बर को ही ‘राजौरी’ (जम्मू-कश्मीर) में एक मिनी बस के पलट जाने के परिणामस्वरूप उसमें सवार 28 लोग घायल हो गए।

सड़कों में गड्ढे, सड़कों के बीच डिवाइडरों की कमी, हैड लाइटों का आधा काला नहीं होना, शहरी, ग्रामीण सड़कों या प्रादेशिक व राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए एक समान गति सीमा निर्धारित न होना, वाहन चालकों द्वारा शराब पीकर, मोबाइल पर बात करते हुए और बिना आराम किए लम्बे समय तक वाहन चलाना आदि सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक स्थानों पर सड़कों के किनारे लगी लाइटों का खराब होना, सड़कों के किनारे सफेद पट्टिïयां और विभिन्न मोड़ों पर चेतावनी के बोर्डों का न होना भी सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता है। सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यही नहीं, पुलिस की मिलीभगत से डम्पर चालकों का नशे के प्रभाव के अधीन ओवरलोड होकर तेज रफ्तार से वाहन चलाना भी सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता है जिसके लिए पुलिस तथा डम्पर चालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए आम जनता को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने, ड्राइविंग लाइसैंस के नियम कड़े करने और नियमों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है। ऐसे कदमों के जरिए ही सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। —विजय कुमार

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