सेना बारे महिलाओं के जज्बे को सलाम, मगर...

Edited By ,Updated: 10 Dec, 2022 04:15 AM

salute to the spirit of women about the army but

महिलाओं के सेना में भर्ती प्रति उत्साह, जज्बा और कार्य क्षेत्र में साहसिक कारनामों बारे जानकारी प्राप्त कर मेरा मन बेहद प्रसन्न हुआ है कि लड़कियां घरेलू और सामाजिक बंधनों से ऊपर उठ कर कार्य में समानता की आधिकारिक कशमकश के लिए अपने बलबूते पर कोई कसर...

महिलाओं के सेना में भर्ती प्रति उत्साह, जज्बा और कार्य क्षेत्र में साहसिक कारनामों बारे जानकारी प्राप्त कर मेरा मन बेहद प्रसन्न हुआ है कि लड़कियां घरेलू और सामाजिक बंधनों से ऊपर उठ कर कार्य में समानता की आधिकारिक कशमकश के लिए अपने बलबूते पर कोई कसर नहीं छोड़ रहीं। मगर भीतर से वे कुछ बातों को लेकर वंचित भी हैं। 

इस संदर्भ में 23 नवम्बर को अंग्रेजी के एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार पढऩे को मिला जिसकी पुष्टि सेना ने भी की कि हरियाणा के जिले जींद के गांव धमटान साहिब की पढ़ी-लिखी रीना सैद मंजू ने आर्मी की मिलिट्री पुलिस में भर्ती होकर कठिन सिखलाई के उपरांत 15 नवम्बर को 10,000 फुट की बुलंदी से स्वदेशी एडवांस लाइट हैलीकाप्टर (ए.एल.सी.) में सवार होकर सफलतापूर्वक पैराजंप लगाकर सेना के लिए एक नया इतिहास रचा है। 

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में जब पहली मर्तबा सेना में महिलाओं के लिए बतौर सैनिक मिलिट्री पुलिस में स्थायी भर्ती की शुरूआत हुई तो उसके पहले बैच के लिए अन्य के अलावा स्टेट लैवल की कबड्डी खिलाड़ी मंजू ने सेना में भर्ती होने का मन बना लिया। उसके कुछ रिश्तेदार विशेष तौर पर उसकी सहेलियां उसे ताने देने लगीं कि वह सेना में भर्ती न हो। मगर एक ‘फौजन’ तो बन सकती है? ‘जहां चाह वहां राह’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए मंजू ने करके दिखाया। मंजू बधाई की पात्र है जिसने न केवल गांव का बल्कि समस्त हरियाणा राज्य का नाम रोशन किया। महिलाओं के लिए मंजू अब एक ‘रोल माडल’ है। 

लड़कियों से संबंधित एक अन्य समाचार जब किसी दूसरी राष्ट्रीय अखबार में पढऩे को मिला तो स्पष्ट तौर पर दिखाई दिया कि कैसे ‘अग्रिपथ’ स्कीम के अंतर्गत अंबाला छावनी में 1600 मीटर दौड़, हाई जंप इत्यादि करते हुए लड़कियां दिखाई दीं। भर्ती से संबंधित उच्चाधिकारी मेजर जनरल रंजन महाजन ने कहा, ‘‘इसके लिए हमें अच्छा हुंगारा मिल रहा है और उम्मीदवार लड़कियों ने बढिय़ा प्रदर्शन करके दिखाया है तथा भर्ती पारदर्शी और मैरिट के हिसाब से होगी।’’ 

जानकारी के अनुसार जिन 750 लड़कियों ने भर्ती रैली में हिस्सा लिया उनमें से एक बार फिर हरियाणा की लड़कियों ने बाजी मारी। सबसे ज्यादा गिनती इसी राज्य की लड़कियों की थी उसके बाद हिमाचल, दिल्ली तथा चंडीगढ़ की लड़कियों की बारी आती है। सेना ने अगले 5 वर्षों में 1700 महिलाओं को बतौर सैनिक भर्ती करने की योजना बनाई है। भारतीय नौसेना और वायुसेना ने भी इसी सिलसिले में कार्रवाई आरंभ कर दी है। 

अब सवाल यह नहीं कि सेना ने बतौर अधिकारी या जवान भर्ती होने के लिए महिलाओं या पुरुषों को उत्साहित कैसे करना है? सवाल तो कई हैं। क्या अग्रिपथ स्कीम के अंतर्गत भर्ती होने या भर्ती होने जा रही लड़कियां लांस नायक मंजू की तरह रैगुलर सेना में भर्ती होकर आरंभिक सिखलाई के उपरांत 4 साल के दौरान आर्मी एडवैंचर की ओर से विशेषज्ञ वाली निपुणता हासिल कर यह नई उपलब्धि हासिल करेंगी? क्या 4 वर्षों के दौरान अधूरी सिखलाई तथा अनिश्चित भविष्य के लिए चिंताजनक लड़कियां इस किस्म की शोहरत हासिल कर सकेंगी? क्या फिर एस.एस.आर.सी. महिलाओं की तरह जवान महिलाओं को भी अदालत का सहारा तो नहीं लेना पड़ेगा? 

बाज वाली नजर: भारत सरकार ने वर्ष 1992 में महिला वर्ग के लिए स्पैशल एंट्री स्कीम के तहत लड़ाकू सेना को सहायता मुहैया करवाने वाली शाखाओं जैसे कि शिक्षा, सप्लाई, न्यायिक प्रणाली इत्यादि विभागों में बतौर शार्ट सर्विस कमिशन्ड अफसर (एस.एस.सी.ओ.) के तौर पर पहले 5 वर्षों के लिए फिर उसके बाद 5 सालों की सेवा में बढ़ौतरी तथा आखिरी 4 सालों के लिए नौकरी तय की थी। ऐसा ही कुछ अग्रिपथ स्कीम के अंतर्गत हो रहा है। एस.एस.सी.ओ. यह मामला अदालत में ले गई और यह वकालत की कि उन्हें स्थायी कमिशन दिया जाए। सुप्रीमकोर्ट ने यह दलील मंजूर कर ली और अब सरकार की ओर से तथा सेना की ओर से कार्रवाई जारी है। क्या अब सेना में भर्ती होने जा रही लड़कियां समयानुसार अदालतों का सहारा नहीं लेंगी? 

4 दिसम्बर को चंडीगढ़ में मिलिट्री लिट्रेचर फैस्टिवल के समापन समारोह में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के नौजवानों को सेना में भर्ती होने के लिए उत्साहित किया जाएगा। इरादे तो नेक प्रतीत हो रहे हैं पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? हम मुख्यमंत्री भगवंत मान के ध्यान में लाना चाहते हैं कि वर्ष 2020 में हरियाणा से 84 लड़कियों को अधिकारी रैंक के लिए चुना गया तथा पंजाब के कुल 45 उम्मीदवार ही थे। इसी तरह वर्ष 2021 में हरियाणा के 38 तथा पंजाब के 32 पास आऊट हुए।

अब ऐसा ही कुछ लड़कियों के सैनिक के तौर पर भर्ती होने में देखने को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में हरेक ने अग्निपथ स्कीम के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था। हिमाचल चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा छाया रहा। सैनिकों की वोटें बटोरने वाले राजनेता और सरकार को चाहिए कि अग्निपथ स्कीम  पर फिर से विचार कर इसकी कमियों को दूर किया जाए।-ब्रिगे. कुलदीप सिंह काहलों (रिटा.) 
 

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