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यह युग युद्ध का नहीं तो आतंक का भी नहीं

Edited By ,Updated: 21 May, 2025 05:26 AM

this is not the era of war nor of terror

भारत और पाकिस्तान में अंतत: युद्ध विराम हो गया लेकिन जो कार्रवाई भारत की सेना द्वारा ‘आप्रेशन सिंदूर’ में की गई, उस चोट को पाकिस्तान लम्बे समय तक याद रखेगा, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए जो कहा वह एक कड़वा सच...

भारत और पाकिस्तान में अंतत: युद्ध विराम हो गया लेकिन जो कार्रवाई भारत की सेना द्वारा ‘आप्रेशन सिंदूर’ में की गई, उस चोट को पाकिस्तान लम्बे समय तक याद रखेगा, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित करते हुए जो कहा वह एक कड़वा सच ही है। उन्होंने कहा कि आतंक और व्यापार साथ नहीं चल सकते। आतंक के चलते बातचीत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘आप्रेशन सिंदूर’ अब भारत की नीति है।  यह युद्ध का युग नहीं तो आतंक का भी नहीं है। प्रधानमंत्री द्वारा कही बातें आतंकवाद के खात्मे के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाती हैं। दरअसल पाकिस्तान के साथ आतंकवाद को बढ़ावा देने और पी.ओ.के., पर कब्जा यही मुख्य विवाद है। पाकिस्तान में कुछ कठमुल्ले हैं जो पाकिस्तान की सेना के साथ मिलकर युवाओं को धर्म के नाम पर दिग्भ्रमित करके उनके द्वारा हिंसा करवाकर भारत को लगातार कमजोर करने की कोशिश करते रहे हैं। 

22 अप्रैल को पहलगाम में जो वीभत्स हत्याकांड उन लोगों ने किया उसमें उन्होंने धर्म के नाम पर हम भारतीयों को बांटने की नापाक कोशिश भी की लेकिन इसमें वह नाकाम रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि अब पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों को ही नहीं, बल्कि उन्हें तैयार करने वाले, परीक्षण केंद्रों और उनके आकाओं को छोड़ेंगे नहीं भले ही वह पाकिस्तान के किसी भी कोने में क्यों न छुपे हों। संदेश साफ है कि अब ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। जहां तक कश्मीरी लोगों की बात है वह भी अब समझ चुके हैं कि पाकिस्तान उनका आका बनने की कोशिश में उन्हीं का नुकसान कर रहा है। पहलगाम में पहले कश्मीरी लोगों का मुख्य पर्यटन उद्योग फल-फूल रहा था।

लम्बे अर्से के बाद पर्यटक वहां खुलकर आने शुरू हुए थे। कश्मीरियों को उनसे अनेकों रोजगार मिलने लगे थे और यही बात पाकिस्तान को हज्म नहीं हो रही थी। पहलगाम की घटना के बाद अच्छा-भला चल रहा पर्यटकों का सीजन ठप्प हो गया। पी.ओ.के. पर उन्होंने कब्जा कर  रखा है। वहां के हालात कितने अच्छे और खुद पाकिस्तान के हालात कैसे थे किसी से छिपा नहीं। ‘आप्रेशन सिंदूर’  के बाद पाकिस्तान का समर्थन करने को तुर्किए और अजरबैजान जैसे देश सामने आए। इसमें उनकी क्या सोच हो सकती है यह तो वही जानें, लेकिन इन समर्थक देशों को कम से कम यह तो पूछना चाहिए कि निर्दोष लोगों को मारना कौन से धर्म में लिखा है क्योंकि पाकिस्तान स्वयं को धर्म के नाम पर स्थापित देश मानता है। इसके समर्थक देशों को शायद पता होगा कि पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर वर्तमान पाकिस्तान द्वारा कितने अत्याचार किए कि वह तंग आकर भारत में शरण लेने लगे। 

वहां उन लोगों पर जुल्मो-सितम किए गए जबकि वह मुसलमान ही थे। 1971 में भारत सरकार ने उनके समर्थन में मुक्ति वाहिनी आप्रेशन किया तो पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया और मुंह की खाई। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी  पाकिस्तान के साथ गहरी मित्रता का संदेश लेकर दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू कर उसी बस से पाकिस्तान गए। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। दोनों देशों में उस समय एक-दूसरे के देश में क्रिकेट शृंखला खेली गई। खिलाडिय़ों के साथ जनता भी एक-दूसरे देश में खेल देखने आई जो आज के हालात में वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ कर पाक सेना ने कारगिल में युद्ध शुरू कर दिया। उसके बाद भी आतंकी घटनाएं निरंतर हो रही हैं। दरअसल वहां सेना और कठमुल्लाओं का जोड़ भारत में आतंक फैलाने का काम करता है। उपरोक्त घटनाओं से सबक हमें भी मिलता है कि पाकिस्तान भरोसे के लायक बिल्कुल भी नहीं। 

उस पर हर समय हमें कड़ी नजर रखनी होगी। ‘आप्रेशन सिंदूर’ जैसे अभियान समय-समय पर चलाकर आतंकी फैक्ट्रियों की कमर तोडऩी होगी और हमें साथ-साथ देश में भी छिपे चंद गद्दारों को जो पैसे या धर्म के नाम पर पाक की नापाक हरकतों में मदद करते हैं उन्हेंभी ढूंढ कर खत्म करना जरूरी होगा क्योंकि ऐसे गद्दार लोग उनके लिए प्लेटफार्म का काम करते हैं। मोदी जी का संदेश भी यही है कि यह युद्ध का युग नहीं तो आतंक का  भी नहीं। हम समझ सकते हैं कि युद्ध विनाश करता है लेकिन आतंक के खात्मे को जरूरी हुआ तो पीछे भी नहीं हटेंगे। परमाणु बम की धमकी देकर पाकिस्तान भारत को झुका नहीं सकता। मुझे लगता है कि दोनों देशों की जनता आपस में संघर्ष नहीं चाहती। मैं समझता हूं कि पाकिस्तान की जनता अपनी सरकार, सेना और कठमुल्लाओं के विरुद्ध अपने देश को बचाने के लिए कमर कस ले, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान कहीं नक्शे में भी नहीं दिखेगा।-वकील अहमद

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