चीन की तानाशाही से टी.वी. चैनल और कामेडियन भी असुरक्षित

Edited By ,Updated: 29 May, 2023 06:26 AM

tv from china s dictatorship channel and comedian are also unsafe

चीन की कम्युनिस्ट सरकार खुद को कितना असुरक्षित महसूस करती है कि देश के अंदर उसने अपने ही लोगों को कितने मोटे फंदे में जकड़ रखा है।

चीन की कम्युनिस्ट सरकार खुद को कितना असुरक्षित महसूस करती है कि देश के अंदर उसने अपने ही लोगों को कितने मोटे फंदे में जकड़ रखा है। चीन सरकार कभी नहीं चाहेगी कि उसका कोई भी नागरिक सरकार या कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ आवाज उठाए, अगर कोई आवाज उठाता है तो कम्युनिस्ट पार्टी के गुर्गे उसे उठा लेते हैं। हाल ही में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने चीन में एक स्टैंड अप कॉमेडियन लीहाओशर के एक कॉमेडी शो पर न सिर्फ प्रतिबंध लगाया बल्कि जिस टी.वी. चैनल पर ली का कॉमेडी शो चल रहा था उस पर 19 लाख अमरीकी डालर का जुर्माना भी लगा दिया। इस कॉमेडियन का कसूर सिर्फ इतना था कि इसने चीन के तानाशाह शी जिनपिंग का मजाक बनाया था। 

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने शंघाई श्याओकुओ सांस्कृतिक मीडिया कंपनी पर 21 लाख 30 हजार अमरीकी डालर का जुर्माना लगाया है क्योंकि इस कंपनी ने अपने एक टी.वी. शो में चीन की सेना का मजाक उड़ाया था। दरअसल यह मीडिया कंपनी टी.वी. चैनलों के लिए कंटैंट बनाती है। 

सारे चीनियों को यह बात अंदर से मालूम है कि शी जिनपिंग की छवि देश के अंदर और पूरी दुनिया में बहुत खराब हो चुकी है। उनको कोविड महामारी की रोकथाम के लिए बर्बरता दिखाने के लिए याद किया जाता है और उन्हें ‘पैन्डेमिक प्रैसीडैंट’ तक कहा जाने लगा है। लोग यह भी जानते हैं कि अपनी खराब छवि को सुधारने के लिए भी जिनपिंग पूरे देश को युद्ध की आग में धकेल देगा, जैसे बरसों पहले ऐसा काम चीन के पहले चेयरमैन माओ त्से तुंग ने किया था। 

जिस कॉमेडियन ने शी जिनपिंग पर व्यंग्य मारा था उसके बारे में कहा यह जा रहा है कि उसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उठा लिया है, अभी तक यह नहीं पता चल सका कि वह कहां और किस हाल में है। वर्ष 2021 में वैबसाइट चलाने वाले दो चीनी प्रोड्यूसरों ने भी शी जिनपिंग का मजाक उड़ाया था उन्हें भी कम्युनिस्ट पार्टी ने गायब कर दिया था। आज तक उन दोनों प्रोड्यूसरों के बारे में किसी को नहीं मालूम कि वे कहां हैं? घर में अपनी खराब छवि को सुधारने के लिए शी जिनपिंग अपने देश की युवा आबादी को युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्हें इसके लिए सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ऐसी फिल्में दिखाई जा रही हैं जो युद्ध और सेना से जुड़ी हैं जिससे युवाओं के दिमाग पर कब्जा किया जा सके और उनसे वह सब करवाया जाए जो शी जिनपिंग चाहते हैं। 

शी ने 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस बैठक में पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी यानी पी.एल.ए. को वर्ष 2027-28 तक विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना के रूप में तैयार करने का लक्ष्य रखा था, जिसके बाद चीन ताईवान को अपनी सीमा में मिलाने के लिए युद्ध की शुरुआत करेगा और इसके बाद चीन के जितने भी पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद चल रहे हैं, जिसमें रूस और भारत भी शामिल हैं, पर चीन हमला कर उनके इलाके कब्जाने का काम शुरू करेगा। 

इस बारे में अमरीकी खुफिया एजैंसी सी.आई.ए. और अमरीकी सेना रिटायर्ड प्रमुख यह बात कह चुके हैं। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन में  पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एच.आर. मेकमास्टर तक यह बात बोल चुके हैं कि शी जिनपिंग ताईवान के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं और वह अपने युवाओं को युद्ध में धकेलने की पूरी तैयारी कर रहे हैं। शी जिनपिंग ने समय सीमा 2027-28 ही क्यों रखी है, इसके पीछे चीन के अमरीका को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के आसार हैं।

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