दो भाषण : एक आनंददायक, दूसरा दुखद

Edited By ,Updated: 08 Mar, 2023 04:22 AM

two speeches one happy the other sad

देश के अखबारों में छपे दो भाषणों पर आपका ध्यान जाए तो आपको आनंद और दुख एक साथ होंगे।

देश के अखबारों में छपे दो भाषणों पर आपका ध्यान जाए तो आपको आनंद और दुख एक साथ होंगे। आनंद देने वाला भाषण तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक के मुखिया मोहन भागवत का और दूसरा दुखद भाषण राहुल गांधी का है। भागवत ने कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले भारत में 70 प्रतिशत लोग शिक्षित थे, जबकि इंगलैंड में उस समय सिर्फ 17 प्रतिशत अंग्रेज शिक्षित थे। 
अंग्रेजों ने, खासकर लॉर्ड मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति भारत में चलाई, उसके कारण भारत में शिक्षितों की संख्या घटती गई।

आज भारत के साक्षरों की संख्या सिर्फ 77 प्रतिशत है, जबकि चीन, जापान, श्रीलंका, ईरान जैसे देशों में वह संख्या 90 से 99 प्रतिशत है। भारत के ये लोग शिक्षित नहीं माने जा सकते। इन्होंने कोई विशारद या शास्त्री या एम.ए.-बी.ए. पास नहीं की है। ये केवल साक्षर हैं, यानी सिर्फ अक्षरों और अंकों को जानते-पहचानते हैं। इतनी बड़ी संख्या भी इन लोगों की पिछले 15-20 साल में बढ़ी है। इसका मूल कारण है, हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली। इसमें आजकल बड़ी ठगी चल रही है।

छात्रों की फीस कई कॉलेजों में 50-50 हजार रुपए महीना हो गई है, जबकि भारत के गुरुकुलों में कोई फीस नहीं होती थी। सारे ब्रह्मचारियों को भोजन, वस्त्र और निवास की सुविधाएं नि:शुल्क होती थीं। मैं खुद चित्तौडग़ढ़ के आर्य गुरुकुल में कुछ समय तक पढ़ा हूं। हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली भारत को दो टुकड़ों में बांटने का काम करती है। एक टुकड़ा अंग्रेजीदां लोगों का और दूसरा स्वभाषाओं का! अंग्रेजी टुकड़ा ऊंची जात बन गया है। वही इस गुलामी के ढांचे को जिंदा रखे हुए है। वह खुद नकलची है और हर साल लाखों नकलचियों को पैदा करता रहता है।

इनमें से जो जरा ज्यादा उस्ताद हैं, वे अमरीका और ब्रिटेन जाकर माल सूतते हैं। भागवत जी ने चिकित्सा की लूटपाट की तरफ भी हमारा ध्यान आकॢषत किया है। हमारे वैद्य लोग मरीजों से कोई शुल्क नहीं मांगते थे। इसका 60-70 साल पहले मुझे खुद अनुभव रहा है। वैद्यों को मरीज लोग या तो दवा का पैसा देते थे या वहां रखे दानपात्र में कुछ राशि डाल देते थे। मोहन भागवत के कथन से सीख लेकर यदि मोदी सरकार हमारी शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था में कोई बुनियादी परिवर्तन कर सके, तो देश को उसका यह स्थायी योगदान होगा।

राहुल गांधी ने लंदन में कहा कि संघ और भाजपा भारत में सांप्रदायिक घृणा फैलाते हैं। क्या राहुल को इस ताजा खबर की भनक लगी है कि शिमला के एक मंदिर, जिसे विश्व ङ्क्षहदू परिषद चलाती है, में एक मुस्लिम जोड़े का विवाह संपन्न हुआ है। इस विवाह में दूल्हा इंजीनियर और दुल्हन एम.टैक है। एक मौलवी ने कुरान की आयतें पढ़कर यह निकाह करवाया है।

राहुल को मोहन भागवत के इस कथन पर भी ध्यान देना चाहिए कि भारत के ङ्क्षहदू और मुसलमानों का डी.एन.ए. एक ही है। हमारा कोई भी नेता इतना पढ़ा-लिखा नहीं है कि उसे कैंब्रिज या ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भाषण देने के लिए बाकायदा बुलाए लेकिन कुछ भारतवंशी कांग्रेसी छात्रों या संगठनों ने आपको बुला लिया तो उस अवसर का आपको सदुपयोग ही करना चाहिए। -डा. वेदप्रताप वैदिक

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