क्या 5 सदस्यीय कमेटियां सिख मुद्दे सुलझाने में कामयाब होंगी

Edited By ,Updated: 12 Jan, 2024 05:52 AM

will 5 member committees be successful in resolving sikh issues

पंजाब की सिख राजनीति पिछले कुछ समय से बहुत ही नाजुक दौर में पहुंच चुकी है और सिख नेतृत्व इस मुश्किल घड़ी में से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। इसलिए सिख नेतृत्व ने भाई राजोआणा, भाई काऊके और सुखबीर सिंह बादल की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब से माफी...

पंजाब की सिख राजनीति पिछले कुछ समय से बहुत ही नाजुक दौर में पहुंच चुकी है और सिख नेतृत्व इस मुश्किल घड़ी में से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। इसलिए सिख नेतृत्व ने भाई राजोआणा, भाई काऊके और सुखबीर सिंह बादल की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मांग कर पंथ की एकता के लिए 3 अलग-अलग पांच सदस्यीय कमेटियों का गठन किया है। 

इन तीन कमेटियों में से सबसे पहली कमेटी भाई बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा को घटाकर उम्रकैद में बदलने के लिए शिरोमणि कमेटी की ओर से डाली गई रहम की अपील वापस लेने के लिए भाई राजोआणा की चिट्ठी से उपजी स्थिति को संभालने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष हरजिंद्र सिंह धामी के नेतृत्व में बनाई गई है। दूसरी कमेटी एक मानवीय अधिकार संगठन की ओर से भाई गुरदेव सिंह काऊके की गुमशुदगी के बारे ए.डी.जी.पी. बी.पी. तिवाड़ी की रिपोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को सौंपने के बाद शिरोमणि कमेटी की ओर से एडवोकेट पूरन सिंह हुंदल के नेतृत्व में बनाई गई जबकि तीसरी कमेटी अकाली दल संयुक्त के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा की ओर से जस्ट्सि निर्मल सिंह के नेतृत्व में अकाली एकता करने के बारे में बनाई गई है। 

शायद यह पहला मौका है जब सिख नेतृत्व की ओर से एक ही समय पर 3-3 उच्च स्तरीय 5 सदस्यीय  कमेटियां सिख मुद्दों के समाधान के लिए गठित की गई हों। इस वक्त सारा सिख जगत इन कमेटियों से उम्मीद कर रहा है कि ये कमेटियां सिख जगत के मुद्दे हल करने के लिए पूरी ईमानदारी, लग्र, मेहनत और सिख मर्यादाओं के अनुसार काम करेंगी और इन मसलों का हल सिख समुदाय की उम्मीदों के मुताबिक करने में कामयाब होंगी। 

मगर आज के हालात में इन कमेटियों के लिए सफलता हासिल करना कोई आसान कार्य नहीं है क्योंकि पहली कमेटी जो भाई राजोआणा के मुद्दे पर बनाई गई है, ने भाई राजोआणा को 31 दिसम्बर 2023 तक भूख हड़ताल न करने के लिए मना लिया था और शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने यह समय सीमा खत्म होने पर श्री अकाल तख्त साहिब से 27 जनवरी तक की और मियाद ले ली है। मगर प्रश्र यह पैदा हो गया है कि क्या यह कमेटी 27 जनवरी तक मसले का कोई समाधान ढूंढने में कामयाब होगी या नहीं? क्योंकि कमेटी की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) से समय लेने के लिए जो पत्र लिखा गया था उसके जवाब में पी.एम.ओ. ने गृह विभाग के साथ बातचीत करने के लिए कहा है जबकि गृह मंत्रालय पहले ही सजा माफी का विरोध कर चुका है। 

इन सब बातों के चलते 5 सदस्यीय कमेटी की ओर से 27 दिसम्बर 2023 को दूसरी मीटिंग की गई जिसमें बाकी सदस्यों के अतिरिक्त दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष और कमेटी सदस्य हरमीत सिंह कालका ने वीडियो कांफ्रैंसिंग (ऑनलाइन) के द्वारा भाग लिया। कमेटी ने 3 जनवरी को भारत के गृहमंत्री को पत्र लिखा  परन्तु अभी तक उस पत्र का जवाब शिरोमणि कमेटी को प्राप्त नहीं हुआ। 

कमेटी को दूसरी बार मिली तारीख में केवल 15 दिन का समय बचा है और इतने थोड़े वक्त में इस मामले का समाधान निकलने के आसार बेहद कम हैं। इसलिए अब 5  सदस्यीय कमेटी के पास अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा इस मसले के हल निकलवाने के आसार बेहद कम हैं। इसलिए अब 5 सदस्यीय कमेटी के पास अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व द्वारा इस मुद्दे को हल करवाने का रास्ता ही बचा है। इसलिए अकाली दल जो अभी तक इस मुद्दे से दूर है, को ही आगे आना पड़ेगा या फिर भाजपा के सिख नेतृत्व शीर्ष पदों पर बैठे सिख मदद के लिए केंद्र सरकार के साथ सम्पर्क साधें। 

दूसरी कमेटी जो भाई गुरदेव सिंह काऊके के बारे रिपोर्ट लागू करवाने के लिए पूरन सिंह हुंदल, बलतेज सिंह ढिल्लों, पुनीत कौर सेखों, अमरजीत सिंह धामी और भगवंत सिंह सियालका को शामिल करके बनाई गई है, की सफलता पर भी प्रश्रचिन्ह लग गए हैं क्योंकि अकाली दल का बड़ा नेतृत्व तो इस मसले पर चुप्पी साधे बैठा है मगर दूसरी पंक्ति के नेताओं की बयानबाजी गलत रास्ता अपना चुकी लगती है। एक और शिरोमणि कमेटी ने भाई काऊके की रिपोर्ट को लागू करवाने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है और कहा है कि इस रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाएगी जबकि अकाली नेता उस समय की अपनी सरकार का बचाव करने में लगे हैं और कह रहे हैं कि इस रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर कार्रवाई की जा सके। 

अच्छा होता कि यदि अकाली नेतृत्व मानवीय अधिकारों के कार्यकत्र्ताओं पर सवाल खड़े करने के स्थान पर इस मुद्दे पर भी क्षमा-याचना कर लेता। हालांकि इस मुद्दे पर बड़ी दोषी कांग्रेस पार्टी है। मगर वह सिखों का प्रतिनिधित्व होने का दावा नहीं करती। अकाली नेताओं की इस बयानबाजी की कई ओर से भत्र्सना हो रही है। गर्मख्याली नेता तो इन अकाली नेताओं की बयानबाजी का विरोध कर रहे हैं मगर संयुक्त अकाली दल के अध्यक्ष सुखदेव सिंह ढींडसा भी इस बयानबाजी से खुश नजर नहीं आ रहे। उन्होंने कहा कि उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल ने इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के लिए हुंगारा तो भरा था परन्तु बाद में कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उसके बारे में वे नहीं जानते। 

तीसरी कमेटी अकाली दल संयुक्त के अध्यक्ष स. सुखदेव सिंह ढींडसा की ओर से अकाली दल बादल के साथ एकता करने के लिए बनाई गई है। इस कमेटी के कन्वीनर निर्मल सिंह अन्य सदस्यों को साथ लेकर संयुक्त अकाली दल के नेताओं और वर्करों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं और इस कमेटी ने कई क्षेत्रों का दौरा भी किया है परन्तु कमेटी के लिए एकता करने के हक में रिपोर्ट करनी भी कोई आसान बात नहीं क्योंकि बादल दल के साथ एकता का विरोध करने वालों में जिन नामों की चर्चा चल रही है उनमें अन्यों के अलावा कमेटी के कन्वीनर जस्टिस निर्मल सिंह की धर्मपत्नी और संयुक्त अकाली दल की सीनियर नेता का नाम भी चर्चा में है। 

इसलिए यह कमेटी भी अकाली दल बादल के साथ एकता बारे तभी हुंगारा भरेगी यदि जिला अध्यक्षों और कार्यकत्र्ताओं की बड़ी गिनती एकता करने के लिए हामी भरेगी। मगर आज जो हालात नजर आ रहे हैं उनके अनुसार इसके आसार कम ही है। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 14 जनवरी को देनी थी परन्तु लगता नहीं कि यह कमेटी 14 जनवरी तक रिपोर्ट दे देगी क्योंकि इस कमेटी की ओर से और समय मांगना भी चर्चा में है। यदि सुखदेव सिंह ढींडसा अकाली एकता करनी चाहेंगे तो यह एकता जरूर हो सकती है क्योंकि संयुक्त अकाली दल के नेताओं की एकजुटता में स. सुखदेव सिंह ढींडसा को अकाली दल बादल के साथ एकता करने के अधिकार दिए गए थे।-इकबाल सिंह चन्नी (भाजपा प्रवक्ता पंजाब)  

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