Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Jul, 2020 02:39 PM
चीन के खिलाफ बढ़ती जनभावना के बीच स्वीडन की दूरसंचार उपकरण कंपनी एरिक्सन को अपनी प्रौद्योगिकी की ताकत के बूते भारतीय बाजार में अनुबंध हासिल करने का भरोसा है। हालांकि, इसके साथ ही उसने कहा है कि उसकी परिपाटी है
नई दिल्लीः चीन के खिलाफ बढ़ती जनभावना के बीच स्वीडन की दूरसंचार उपकरण कंपनी एरिक्सन को अपनी प्रौद्योगिकी की ताकत के बूते भारतीय बाजार में अनुबंध हासिल करने का भरोसा है। हालांकि, इसके साथ ही उसने कहा है कि उसकी परिपाटी है कि वह अपनी कोई व्यावसायिक योजना ऐसे ममलों से तय नहीं करती जो उसके नियंत्रण में न हों।
एरिक्सन इंडिया के प्रमुख नितिन बंसल ने एक सवाल पर कहा कि कंपनी को अपनी प्रौद्योगिकी की ताकत पर काफी भरोसा है। उनसे पूछा गया था कि क्या चीन के खिलाफ भावना से भारतीय दूरसंचार बाजार में गैर-चीनी उपकरण कंपनियों को कोई प्रतिस्पर्धी लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि भारत में डेटा और वॉयस का उपभोग नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। बंसल ने से कहा, ‘‘हम अपने कारोबार की योजना किसी बात के भरोसे नहीं बनाते जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो हम अपनी प्रौद्योगिकी के बूते अनुबंध हासिल कर रहे हैं।'' इससे पहले इसी महीने भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) ने 4जी दूरसंचार नेटवर्क उन्नयन के लिए करोड़ों रुपये की निविदा रद्द कर दी थी।
सरकार ने कंपनी से चीन के उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में 5जी का परीक्षण भी काफी महत्वपूर्ण है। यह परीक्षण भविष्य में विशाल 5जी नेटवर्क स्थापित करने के लिए किया जाना है। भारतीय बाजार में दुनिया की कई बड़ी कंपनियां एरिक्सन, नोकिया और सैमसंग के अलावा चीन की हुवावेई और जेडटीई की मौजूदगी है। भारत में तेजी से डिजिटलीकरण और डेटा की भारी मांग के बीच ऑपरेटरों को अपने नेटवर्क को बढ़ाना पड़ रहा है।
बंसल ने भरोसा जताया कि सरकार अनुबंधों में चीन की कंपनियों की भागीदारी पर जो भी फैसला ले, एरिक्सन अपनी प्रौद्योगिकी की ताकत के बूते भारतीय बाजार में अनुबंध हासिल करेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 29 जून को चीन से संबंधित 59 ऐप पर रोक लगा दी थी। इनमें टिकटॉक और यूसी ब्राउजर भी शामिल हैं। इसके अलावा वीचैट और बिगो लाइव पर भी रोक लगाई गई है।