FDI Limit Hike: सरकारी बैंकों में बढ़ेगी एफडीआई सीमा! केंद्र 20% से 49% तक बढ़ाने की तैयारी में

Edited By Updated: 28 Oct, 2025 12:20 PM

fdi limit in public sector banks to rise centre prepares to raise 20 to 49

सरकारी बैंकों (PSBs) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। फिलहाल यह सीमा 20% है, जिसे बढ़ाकर 49% करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस योजना पर सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से राय मांगी है।...

बिजनेस डेस्कः सरकारी बैंकों (PSBs) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। फिलहाल यह सीमा 20% है, जिसे बढ़ाकर 49% करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस योजना पर सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से राय मांगी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय और RBI पिछले कुछ महीनों से इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे हैं।

सरकारी बैंकों को मिलेगा पूंजी का ‘इंजेक्शन’

सरकार का मानना है कि FDI सीमा बढ़ाने से सरकारी बैंकों को अधिक पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और वे वित्तीय रूप से अधिक मजबूत बन सकेंगे। इस कदम से निजी और सरकारी बैंकों के बीच निवेश संबंधी नियमों का अंतर भी कम होगा। वर्तमान में जहां सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश 20% तक सीमित है, वहीं निजी बैंकों में यह सीमा 74% तक है।

सरकार रखेगी नियंत्रण

भारत में इस समय 12 सरकारी बैंक हैं जिनकी कुल संपत्ति मार्च 2025 तक करीब 1.95 ट्रिलियन डॉलर थी यानी देश के बैंकिंग क्षेत्र का लगभग 55% हिस्सा। सूत्रों के मुताबिक, सरकार प्रस्ताव मंजूर होने के बाद भी इन बैंकों में कम से कम 51% हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। इसका मतलब है कि बैंकों का मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा।

विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी

यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत के बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेशकों की रुचि तेजी से बढ़ी है। हाल ही में दुबई की एमिरेट्स एनबीडी (Emirates NBD) ने आरबीएल बैंक में 60% हिस्सेदारी 3 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की, जो भारतीय वित्तीय उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण है। इससे पहले, जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन (SMBC) ने मई 2025 में यस बैंक में 20% हिस्सेदारी खरीदी थी।

RBI की सतर्क नीति और बढ़ती ग्रोथ

RBI विदेशी निवेश को धीरे-धीरे बढ़ा रहा है, लेकिन वह अब भी मामले-दर-मामले मंजूरी को प्राथमिकता देता है ताकि सौदों की गहन जांच हो सके। हालांकि, यह नीति कभी-कभी निवेशकों के लिए अनिश्चितता भी पैदा करती है। भारत की अर्थव्यवस्था की औसत 8% वार्षिक वृद्धि दर और बढ़ती कर्ज की मांग ने देश के बैंकिंग क्षेत्र को और आकर्षक बनाया है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के वित्तीय क्षेत्र में डील्स में 127% की वृद्धि दर्ज की गई है।
 

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