भारत ने चीन को दिया एक और झटका, 44 वंदे भारत ट्रेनों का टेंडर किया कैंसिल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Aug, 2020 11:18 AM

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लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत की ओर से चीनी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। केंद्र सरकार ने 44 सेमी हाई-स्पीड ''वंदे भारत'' ट्रेनों का टेंडर कैंसिल कर दिया है। रेल मंत्रालय ने शुक्रवार को देर रात इस बारे में जानकारी दी है

बिजनेस डेस्कः लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा विवाद के बाद भारत की ओर से चीनी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। केंद्र सरकार ने 44 सेमी हाई-स्पीड 'वंदे भारत' ट्रेनों का टेंडर कैंसिल कर दिया है। रेल मंत्रालय ने शुक्रवार को देर रात इस बारे में जानकारी दी है। मंत्रालय ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर फ्रेश टेंडर फ्लोट किया जाएगा। रेलवे के इस प्रोजेक्ट में 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम को वरीयता दी जाएगी। 

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सरकार द्वारा इन ट्रेनों के टेंडर कैंसिल होने से चीन को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, चीनी कंपनी की ज्वाइंट वेंचर सीआरआरसी पायनियर इलेक्ट्रिक (भारत) प्राइवेट लिमिटेड(CRRC Pioneer Electric (India) Pvt. Ltd.) इकलौती विदेशी कंपनी थी, जिसे यह टेंडर मिला था। इसके अलावा अन्य 5 कंपनियों को भी इस सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के 44 सेट्स तैयार करने का टेंडर मिला था।
 
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PunjabKesariचीनी ज्वाइंट वेंयर चीन ​की सीआरआरसी यॉन्गजी इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड और गुरुग्राम की पायनीयर फिल-मेड प्राइवेट लिमिटेड की है। इन दोनों कंपनियां 2015 में साझेदारी की थीं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चीनी ज्वाइंट वेंचर सामने आने के बाद अब रेलवे इस बात को सुनिश्चित करने में जुटा है कि घरेलू फर्म्स को टेंडर मिले। बता दें कि इसके लिए बीते 10 जुलाई को इंडियन रेलवे के चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने टेंडर जारी किया था।

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इन कंपनियों ने भी पेश की दावेदारी
उपरोक्त ज्वाइंट वेंचर के अलावा जिन अन्य 5 कंपनियों ने रुचि दिखाई, उसमें सरकारी कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत इंडस्ट्रीज, इलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मेधा सर्वो ड्राइव्स प्राइवेट लिमिटेड, पावरनेटिक्स इक्विपमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हैं। रेल मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी दी थी।

इसके पहले ही चीनी फर्म्स द्वारा प्राइवेट ट्रेनों के टेंडर बिड में भाग लेने को लेकर रेलवे बोर्ड चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा था, 'जहां तक चीनी कंपनियों द्वारा इस टेंडर में भाग लेने की बात है तो मेक इन इंडिया पॉलिसी के तहत कुछ गाइडलाइंस हैं, जिसे डिपार्टमेंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड ने तैयार किया है। हम इसे ही फॉलो करेंगे।'
 
 

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