Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 May, 2025 05:58 PM

वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों की वजह से चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी आ सकती है। लिहाजा देश को निकट भविष्य में संतुलित मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। बुधवार को ईवाई ने एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई। ऑडिट...
नई दिल्लीः वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों की वजह से चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी आ सकती है। लिहाजा देश को निकट भविष्य में संतुलित मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। बुधवार को ईवाई ने एक रिपोर्ट में यह संभावना जताई। ऑडिट एवं परामर्श कंपनी ईवाई के ‘इकोनॉमी वॉच' के मई संस्करण में कहा गया है कि भारत जुझारू घरेलू मांग, घटती मुद्रास्फीति और निजी निवेश में सुधार की संभावनाओं पर टिकी उदार मौद्रिक नीति के दम पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
इसमें कहा गया है, "वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों से वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी आने की संभावना है।" इस रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक कारक बड़े पैमाने पर सतर्क दृष्टिकोण में योगदान दे रहे हैं। इनमें आपूर्ति शृंखला में निरंतर व्यवधान, अमेरिका द्वारा हाल ही में लगाए गए शुल्कों के प्रभाव और वैश्विक व्यापार एवं भू-राजनीतिक घटनाक्रमों से जुड़ी व्यापक अनिश्चितताएं शामिल हैं। रिपोर्ट कहती है कि निकट भविष्य में भारत को वृद्धि की रफ्तार कायम रखने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के संतुलित मिश्रण पर निर्भर रहने की जरूरत हो सकती है।
ईवाई ने कहा, "मौद्रिक मोर्चे पर ब्याज दर में कटौती के मौजूदा दौर के जारी रहने से उपभोग और निवेश को समर्थन मिल सकता है। राजकोषीय पक्ष पर, सार्वजनिक निवेश विशेष रूप से भारत सरकार के पूंजीगत व्यय में गति को पुनर्जीवित करना आर्थिक गतिविधि को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा।" राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने फरवरी में अनुमान लगाया था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी। एनएसओ 31 मई को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि के अस्थायी अनुमान और चौथी तिमाही के लिए अनुमान जारी करने वाला है।