Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Sep, 2025 11:46 AM

भारतीय शेयर बाजार के कुख्यात घोटालेबाज केतन पारेख (Ketan Parekh) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले 33 साल से लगातार बाजार में हेरफेर करने के बावजूद उन पर पूरी तरह शिकंजा नहीं कसा जा सका है। पारेख ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में स्टॉक...
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार के कुख्यात घोटालेबाज केतन पारेख (Ketan Parekh) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। पिछले 33 साल से लगातार बाजार में हेरफेर करने के बावजूद उन पर पूरी तरह शिकंजा नहीं कसा जा सका है। पारेख ने अपने करियर की शुरुआत 1980 के दशक में स्टॉक ब्रोकिंग से की थी और 1990 के दशक में हर्षद मेहता के साथ मिलकर बाजार मैनिपुलेशन की राह पकड़ी। इसके बाद से वे समय-समय पर बड़े घोटालों को अंजाम देते रहे।
1992: हर्षद मेहता के साथ पहला घोटाला
रेडी फॉरवर्ड (RF) डील्स के जरिए बैंकों से अवैध रूप से पैसा निकालकर शेयर बाजार में लगाने का काम हर्षद और केतन ने मिलकर किया। इससे सेंसेक्स 1,500 अंकों से उछलकर 4,500 अंक तक पहुंच गया। हर्षद पर कई केस चले जबकि केतन को सिर्फ एक साल की सजा मिली।
2001: K-10 घोटाला
केतन ने छोटे कैप कंपनियों के शेयरों की कीमत कृत्रिम तरीके से बढ़ाई। Zee Telefilms और Sonata Software जैसे स्टॉक्स में फर्जी ट्रांजेक्शन और सर्कुलर ट्रेडिंग के जरिए भारी मुनाफा कमाया। माधवपुरा मर्चेंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक से भी फंडिंग की गई। नतीजा—मार्केट क्रैश और निवेशकों को भारी नुकसान। कोर्ट ने दो साल की सजा और सेबी ने 14 साल का ट्रेडिंग बैन लगाया।
2009: बैन के बावजूद हेरफेर
सेबी के बैन के दौरान भी पारेख ने 26 फ्रंट एंटिटीज बनाकर स्टॉक प्राइस मैनिपुलेशन किया। सेबी ने जांच के बाद इन एंटिटीज पर रोक लगाई और अवैध कमाई पर जुर्माना ठोका।
2025: फ्रंट-रनिंग घोटाला
इस साल पारेख फिर पकड़े गए। आरोप है कि उन्होंने विदेशी फंड्स की ट्रेडिंग जानकारी लीक करवा कर पहले ही ट्रेडिंग की और 66 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। सिंगापुर के रोहित सालगांवकर और कोलकाता स्थित सहयोगियों की मदद से यह घोटाला अंजाम दिया गया। सेबी ने उनके खाते सीज कर दिए और लाभ लौटाने का आदेश दिया।
फिर भी मिली विदेश यात्रा की अनुमति?
इतने बड़े घोटालों के बावजूद केतन पारेख पर पूरी तरह नकेल नहीं कसी जा सकी है। ताजा रिपोर्ट्स में सामने आया है कि उन्होंने सरकार से विदेश यात्रा की अनुमति मांगी है, जिससे एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों अब तक उन पर सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई।