2026 में 1,00,000 तक जा सकता है सेंसेक्स, Jefferies के Chris Wood ने रुपए और सोने को लेकर भी कही ये बात

Edited By Updated: 23 Dec, 2025 11:05 AM

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साल 2025 की सुस्त चाल के बाद 2026 को लेकर बाजार से बड़ी उम्मीदें जताई जा रही हैं। Jefferies के ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रिस वुड का कहना है कि अगर आर्थिक गतिविधियों और कॉरपोरेट कमाई में सुधार आता है तो सेंसेक्स 2026 में 1,00,000 के स्तर तक...

बिजनेस डेस्कः साल 2025 की सुस्त चाल के बाद 2026 को लेकर बाजार से बड़ी उम्मीदें जताई जा रही हैं। Jefferies के ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रिस वुड का कहना है कि अगर आर्थिक गतिविधियों और कॉरपोरेट कमाई में सुधार आता है तो सेंसेक्स 2026 में 1,00,000 के स्तर तक पहुंच सकता है। हालांकि उन्होंने रुपए की कमजोरी को लेकर चिंता जताई है और सोने को लेकर भी निवेशकों के लिए अहम संकेत दिए हैं। वुड ने कहा है कि 2026 में भारत के शेयर बाजार का प्रदर्शन घरेलू कारकों से ज्यादा वैश्विक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ट्रेड पर निर्भर करेगा।

वुड ने बताया कि 2025 में वैश्विक बाजारों में सबसे बड़ा फोकस AI और उससे जुड़े निवेशों पर रहा। अमेरिकी बाजारों ने बेहतर प्रदर्शन किया, हालांकि कुछ अन्य देशों की तुलना में वे पीछे भी रहे।

2025 में भारत का प्रदर्शन कमजोर

वुड के मुताबिक, 2025 में भारतीय शेयर बाजार अपेक्षाकृत कमजोर रहा। उन्होंने माना कि रुपए में आई तेज गिरावट उनकी उम्मीद से ज्यादा थी, जिसका असर इक्विटी बाजार की परफॉर्मेंस पर पड़ा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रुपया 89 के स्तर से नीचे जाता है तो इससे बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।

रुपए की कमजोरी बनी चिंता

रुपए की गिरावट को लेकर वुड ने कहा कि यह साफ नहीं है कि यह किसी नीति का हिस्सा है या फिर बाजार की मजबूरी। हालिया कमजोरी के पीछे निजी इक्विटी निवेशकों की निकासी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली बड़ा कारण रही है। फिलहाल रुपया 89.5 के आसपास कारोबार कर रहा है, जबकि 90 का स्तर मनोवैज्ञानिक माना जा रहा है।

2026 में सुधार की उम्मीद

वुड को उम्मीद है कि 2026 में भारत में आर्थिक गतिविधियों और कॉरपोरेट कमाई में सुधार देखने को मिलेगा। आसान मौद्रिक नीति इसमें सहायक हो सकती है। यदि कंपनियों की आय में मजबूती आती है, तो सेंसेक्स में 10–15% तक की बढ़त संभव है और यह 1,00,000 के स्तर तक पहुंच सकता है।

AI ट्रेड बना सबसे बड़ा जोखिम

उनका कहना है कि भारत फिलहाल “रिवर्स AI ट्रेड” बन चुका है। विदेशी निवेशक AI-आधारित बाजारों के जोखिम से बचने के लिए भारत में निवेश कर रहे हैं। हालांकि अगर वैश्विक AI ट्रेड में तेजी जारी रही, तो भारत जैसे बाजारों के लिए यह चुनौती बन सकता है। कोरिया, ताइवान और चीन जैसे देश AI ट्रेड में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

सेंसेक्स की घटती प्रासंगिकता

सेंसेक्स के 40 साल पूरे होने पर वुड ने कहा कि अब इसकी लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही। निवेशकों की नजरें ज्यादा निफ्टी पर रहती हैं, क्योंकि इसमें 50 कंपनियां शामिल हैं और निफ्टी फ्यूचर्स बाजार की दिशा का बेहतर संकेत देते हैं।

रुपया 100 तक जाने की आशंका

वुड ने यह भी माना कि डॉलर के मुकाबले रुपया 100 तक जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत की आर्थिक कहानी के लिए सकारात्मक संकेत नहीं होगा। दिलचस्प बात यह है कि वास्तविक ब्याज दरें अब भी सकारात्मक हैं, जिससे करेंसी की कमजोरी को समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

सोने को लेकर सकारात्मक रुख

सोने को लेकर वुड का रुख सकारात्मक बना हुआ है, खासकर गोल्ड माइनिंग कंपनियों के शेयरों पर। हालांकि उन्होंने चेताया कि बीच-बीच में मामूली गिरावट संभव है। भारत में सोने की मजबूत घरेलू मांग इसकी कीमतों को सहारा देती रहेगी।

निवेशकों के लिए संदेश

वुड के मुताबिक, फिलहाल सबसे बड़ी चिंता मुद्रा को लेकर है। अगर रुपया स्थिर होता है और आर्थिक वृद्धि रफ्तार पकड़ती है, तो भारतीय शेयर बाजार निवेशकों को 2026 में बेहतर रिटर्न दे सकता है।
 

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