Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Nov, 2025 01:14 PM

केंद्र सरकार टोल टैक्स वसूलने के नियमों में बदलाव की तैयारी कर रही है। सरकार ने नीति आयोग से कहा है कि टोल दरों को तय करने के पुराने तरीके को दोहराने के बजाय नए सिरे से अध्ययन किया जाए। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह 17 वर्षों के
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार टोल टैक्स वसूलने के नियमों में बदलाव की तैयारी कर रही है। सरकार ने नीति आयोग से कहा है कि टोल दरों को तय करने के पुराने तरीके को दोहराने के बजाय नए सिरे से अध्ययन किया जाए। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह 17 वर्षों के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के टोल मसौदे को संशोधित करने के प्रयास का हिस्सा है। इसी के तहत नीति आयोग ने यह काम IIT दिल्ली को सौंपा है। संस्थान ने अध्ययन पूरा करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है।
देश में टोल टैक्स की शुरुआत 1997 में हुई थी। उस समय टोल दरें वाहन चलाने की लागत, सड़क के उपयोग से वाहन को होने वाले नुकसान और लोगों की भुगतान करने की इच्छा जैसे कारकों के आधार पर तय की गई थीं। बाद में 2008 में इन दरों की गणना के लिए सिर्फ एक इंडेक्स सिस्टम लागू कर दिया गया, जिसमें हर साल महंगाई के हिसाब से टोल बढ़ जाता है। उस समय कोई नया शोध या आधार तय नहीं किया गया था।
अब सरकार का मानना है कि हालात काफी बदल गए हैं। सड़कें बेहतर हुई हैं, वाहन तकनीक बदल गई है और लोगों के लिए यात्रा के विकल्प भी बढ़े हैं। ऐसे में टोल की दरें पुराने आधार पर तय करना सही नहीं होगा। इसलिए नीति आयोग अब पुराने सिद्धांतों की फिर से समीक्षा करेगा और यह भी देखा जाएगा कि क्या टोल निर्धारण में और नए पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही यह भी समझने के लिए नया सर्वे किया जाएगा कि लोग टोल टैक्स देने के लिए कितने तैयार हैं। सरकार चाहती है कि नए नियम वैज्ञानिक, न्यायसंगत और व्यावहारिक हों। अध्ययन पूरा होने के बाद टोल टैक्स के मौजूदा ढांचे में बदलाव किए जा सकते हैं। हालांकि, निजी कंपनियों से चल रहे टोल प्लाजा और उनके अनुबंधों को ध्यान में रखते हुए बदलाव सावधानी से किए जाएंगे।