Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी व्रत रखने वाली माताएं ये पढ़ना न भूलें

Edited By Updated: 17 Oct, 2022 07:32 AM

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संतान प्राप्ति की मनोकामना एवं संतान की हर प्रकार से सुरक्षा लंबी आयु तथा बेहतर स्वास्थ्य के लिए रखा जाने वाला व्रत जो कि अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती स्वरूपा अहोई माता की पूजा

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Ahoi Ashtami 2022: संतान प्राप्ति की मनोकामना एवं संतान की हर प्रकार से सुरक्षा लंबी आयु तथा बेहतर स्वास्थ्य के लिए रखा जाने वाला व्रत जो कि अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती स्वरूपा अहोई माता की पूजा अर्चना करके किया जाता है। यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है, जो कि 17 अक्टूबर 2022 यानी आज है।

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Ahoi Ashtami Puja Muhurat: अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त 17 अक्टूबर 2022 सोमवार की सुबह 09:29 बजे से आरंभ होकर 18 अक्टूबर 2022 मंगलवार प्रातः 11:57 बजे तक है।

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 17 अक्तूबर सोमवार सायं 05:50 बजे से सायं 07:05 बजे तक रहेगा।

तारों को देखने का समय: शाम 06:13 बजे

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Ahoi ashtami vrat vidhi: अहोई अष्टमी पर माताएं स्वच्छ व पवित्र होकर घर में पार्वती स्वरूपा अहोई माता व शिवजी के समक्ष व्रत का संकल्प करें। सारा दिन बिना जल व निराहार रहें। अहोई माता का घर में चित्र लगाकर धूप, दीप, रोली, मोली, फूल इत्यादि अर्पण करें तथा दूध फल व मिठाई इत्यादि भी अर्पण करें। बच्चों की कलाई पर पीले रंग का धागा रक्षा सूत्र के रूप में बांधे। एक चांदी के मनकों वाली माला जिसमें की लॉकेट पर अहोई माता का चित्र अंकित हो, मिट्टी के कलश की स्थापना करें व हल्दी से कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं, आटे का दीपक जलाएं, गेहूं के सात दाने या कुछ दक्षिणा हाथ पर रखें तथा नीचे दी गई कथा को पढ़ें या सुनें। तत्पश्चात माला को पहने व गेहूं के दाने तथा दक्षिणा घर की बड़ी महिला को देवे एवं आशीर्वाद प्राप्त करें। सायंकाल के समय तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें। कलश के जल को दीपावली वाले दिन अपने घर में छीटां देवें तथा अहोई माता के लॉकेट वाली माला को दीपावली के दिन तक पहने व दिवाली के बाद संभाल कर रख लें।

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Ahoi ashtami vrat katha अहोई अष्टमी व्रत कथा
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार- दीपावली के अवसर पर एक घर को लीपने के लिए एक साहूकार की सात बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो उनकी ननंद भी उनके साथ चली गई। साहूकार की बहुएं जिस जगह पर मिट्टी खोद रही थी, उसी स्थान पर एक स्याहु अपने बच्चों के साथ रहती थी। मिट्टी खोदते समय खुरपी से एक बच्चा मर गया इसलिए जब भी साहूकार की बेटी को बच्चा होता तो वह 7 दिन के अंदर ही मृत्यु को प्राप्त होता।

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इस घटना के बाद जब साहूकार ने एक ज्योतिषाचार्य से पूछा तो उन्होंने स्याहु के बच्चे की मृत्यु के पाप कर्म के बारे में अवगत करवाया जो कि अनजाने में हुआ था। तो उपाय स्वरूप अहोई माता की पूजा कर इस पाप से मुक्ति की प्रार्थना करने को कहा तो साहूकार की बेटी द्वारा विधिवत व्रत इत्यादि रखा गया। माता अहोई प्रकट हुई व माता ने सभी मृत बच्चों को पुनर्जीवित कर दिया। तब से संतान प्राप्ति एवं संतान की लंबी आयु व सुरक्षा के लिए यह व्रत किया जाने लगा।

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM).

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