Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Oct, 2025 09:53 AM

Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खासकर उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन मां अहोई की पूजा की जाती है, जो संतान सुख प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। अहोई अष्टमी पर पूजा करने की विधि और दिशा का विशेष महत्व है।
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Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो खासकर उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन मां अहोई की पूजा की जाती है, जो संतान सुख प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। अहोई अष्टमी पर पूजा करने की विधि और दिशा का विशेष महत्व है।
पूजा करते समय दिशा का ध्यान रखना आवश्यक है। आमतौर पर अहोई अष्टमी की पूजा उत्तर दिशा में बैठकर करनी चाहिए। उत्तर दिशा को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसे लक्ष्मी का घर भी कहा जाता है। इस दिशा में बैठकर पूजा करने से मां अहोई का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

पूजा करते समय तारे को अर्घ्य देने के लिए भी दिशा का ध्यान रखना चाहिए। अहोई अष्टमी पर तारे को अर्घ्य देने के लिए आमतौर पर पश्चिम दिशा का चयन किया जाता है। पश्चिम दिशा का संबंध ऊर्जा और शक्ति से होता है और इस दिशा में अर्घ्य देने से समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

पूजा के समय विशेष सामग्री का उपयोग किया जाता है जैसे कि मिट्टी की एक कटोरी, पानी, फल और रोली। पूजा की थाली में ये सभी चीजें सजाकर मां अहोई की प्रतिमा या चित्र के सामने रखकर श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए। साथ ही तारे को देखने के बाद उसके लिए अर्घ्य देने का कार्य भी श्रद्धा से करना चाहिए।

इस प्रकार अहोई अष्टमी पर पूजा करते समय उत्तर दिशा में बैठकर पूजा करें और पश्चिम दिशा में तारे को अर्घ्य दें। यह परंपरागत विधि न केवल धार्मिक मान्यताओं को दर्शाती है बल्कि इसे पालन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है।
