कैसे हुआ मां सरस्वती का जन्म?

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2015 08:24 AM

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धार्मिक मान्यता : कहा जाता है कि भगवान विष्णु जी की आज्ञा से जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो पृथ्वी पूरी तरह से निर्जन थी व चारों ओर उदासी का वातावरण था। इस उदासी को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से पृथ्वी पर जल छिड़का। इन...

धार्मिक मान्यता : कहा जाता है कि भगवान  विष्णु जी की आज्ञा से जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो पृथ्वी पूरी तरह से निर्जन थी व चारों ओर उदासी का वातावरण था। इस उदासी को दूर करने के लिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से पृथ्वी पर जल छिड़का। इन जलकणों से चार भुजाओं वाली एक शक्ति प्रकट हुई। इस शक्ति के हाथों में वीणा, पुस्तक व माला थी। ब्रह्मा जी ने शक्ति से वीणा बजाने को कहा ताकि पृथ्वी की उदासी दूर हो। शक्ति ने जैसे ही वीणा के तार छेड़े तो सारी पृथ्वी लहलहा उठी, सभी जीवों को वाणी मिल गई। वो दिन बसंत पंचमी का दिन था।

 
मां सरस्वती का स्वरूप : ज्ञान, कला, बुद्धि और संगीत की देवी सरस्वती का स्वरूप शांत और सौम्य है। उनके दोनों हाथों में वीणा व उसके तार यह दर्शाते हैं कि जैसे वीणा में अनेकों धुनें छुपी हैं। उसी तरह मनुष्य के भीतर भी अनेक संभावनाएं छिपी होती हैं। जब तक तारों को छेड़ा न जाए, संगीत पैदा नहीं होता। उसी तरह जब तक मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती तब तक उसका जीवन नीरस और अधूरा है। जिस तरह वीणा के सभी तारों के तालमेल से मधुर संगीत पैदा होता है ठीक उसी तरह इंसान अपने जीवन में अपने मन व बुद्धि में सामंजस्य स्थापित कर ले तो वह  सुखी हो जाता है। देवी सरस्वती के हाथ में पुस्तक ज्ञान की प्रतीक है जो बताती है कि बिना ज्ञान के जीवन निरर्थक है। यही ज्ञान वास्तविक ज्ञान है जो मनुष्य को परम सत्य अर्थात परमात्मा के ज्ञान तक ले जाता है। 
 
देवी सरस्वती के हाथ में माला जप और ध्यान की प्रतीक है। माला के हर मनके के जाप पर मन को संसार से ध्यान के जरिए अलग करने की प्रेरणा देती है माला। मां सरस्वती का वाहन सफेद हंस है जो विवेक का परिचायक है। हंस के विषय में मान्यता है कि अगर आप दूध और पानी मिलाकर उसके सामने रखेंगे तो वह उसमें से दूध को पी लेगा और पानी को छोड़ देगा। अभिप्राय: है कि अगर हम हमेशा मां सरस्वती की कृपा चाहते हैं तो हमें भी हंस की तरह ही सद्बुद्धि व विवेक को स्वयं में जागृत करना होगा।
 
उनके श्वेत वस्त्र शांति, उमंग, जोश, ताजगी व कोमलता के प्रतीक हैं। सफेद रंग अपने भीतर सत्य, अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, प्रेम, परोपकार आदि सद्गुणों को बढ़ाने तथा क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे दुर्गुणों का त्याग करने की शक्ति देता है।

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