Ashadha Gupt Navratri 2025: आज से शुरू हो रही गुप्त नवरात्रि, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Updated: 26 Jun, 2025 06:41 AM

ashadha gupt navratri 2025

Ashadha Gupt Navratri 2025: भारतवर्ष में नवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। साल में चार प्रकार की नवरात्रि मनाई जाती हैं—चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़। इनमें से माघ और आषाढ़ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

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Ashadha Gupt Navratri 2025: भारतवर्ष में नवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। साल में चार प्रकार की नवरात्रि मनाई जाती हैं—चैत्र, शारदीय, माघ और आषाढ़। इनमें से माघ और आषाढ़ की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। यह विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं, शक्ति उपासना और महाविद्याओं की आराधना के लिए जानी जाती है। आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से जीवन से दुःख और दरिद्रता से जल्दी मुक्ति मिलती है। 26 जून से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी और 4 जुलाई को इसका समापन होगा।

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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ -
जून 25, 2025 को 04:00 पी.एम से जून 26, 2025 को 01:24 पी.एम बजे तक। इसके अनुसार 26 जून को गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी।

घटस्थापना मुहूर्त - 05:25 ए.एम से 06:58 ए.एम तक

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:56 ए.एम से 12:52 पी.एम तक

इसके अलावा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि का निर्माण होने जा रहा है। ये योग सुबह 8:46 से 27 तारीख प्रातः 5:31 मिनट तक रहेगा।

Method of worship of Gupta Navratri गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

एक मिट्टी की थाली में थोड़ी मिट्टी रखें और उसमें जौ बो दें।

कलश को स्वच्छ करके उसमें गंगाजल और पानी मिलाकर भरें।

उसमें सुपारी, सिक्का, हल्दी और चावल डालें।

कलश के मुख पर आम के पत्ते सजाएं और ऊपर नारियल रखें, जिसे लाल वस्त्र में लपेटकर मौली से बांधें।

कलश को उस मिट्टी पर रखें जिसमें आपने जौ बोए हैं।

इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करें और पूजन की शुरुआत करें।

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पूजा की विधि
गुप्त नवरात्रि में विशेष रूप से शक्ति की उपासना की जाती है। यहां मां दुर्गा के साथ-साथ दस महाविद्याओं की पूजा भी की जाती है।  

सबसे पहले मां दुर्गा का आवाहन करें और उनका ध्यान करें।

पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें—फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, जल आदि अर्पित करें।

मंत्रों का जाप करें- यदि संभव हो तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या केवल “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।

प्रतिदिन माता को भोग लगाएं और आरती करें।

आखिरी दिन हवन, कन्या पूजन और कलश विसर्जन करें।

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