Edited By Jyoti,Updated: 23 Apr, 2021 03:47 PM
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है, कि धरती पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति एक दिन मृत्यु को प्राप्त होगा। फिर चाहे कोई इस सच को जितना भी झुठलाना चाहे, नहीं झुठला सकता है। ये तो हुए धरती की बात। परंतु आकाश का क्या?
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धार्मिक ग्रंथों में वर्णन मिलता है, कि धरती पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति एक दिन मृत्यु को प्राप्त होगा। फिर चाहे कोई इस सच को जितना भी झुठलाना चाहे, नहीं झुठला सकता है। ये तो हुए धरती की बात। परंतु आकाश का क्या?
अब आप सोच रहें होंगे भला आकाश में कौन से है ऐसे जीव रहते हैं। तो आपको बता दें हम वहां रहने वाले किसी जीव की नहीं बल्कि ग्रहों की बात कर रहे हैं। जी हां, ज्योतिष शास्त्र में इनके बारे में कुछ ऐसा बताया है जिसके बारे में कोई भी नहीं जानता होगा। कहा जाता है कि ज्योतिष एक गहन विषय है, यह अथाह सागर की भांति है, जिसकी संपूर्ण थाह प्राप्त करना अंसभव है। इसमें ऐसे अनेकों महत्वपूर्ण सिद्धांतों के बारे में वर्णन मिलता है कि जिनका अध्ययन करने से जातक की जन्मपत्रिका का सटीक फलित किया जा सकता है।
ये सब जानकारी हो सकता है आप में से बहुत से लोग जानते हों, मगर क्या आप जानते हैं सौरमंडल के इन ग्रहों में तथा धरती पर रहने वाले जीवों में एक समानता हैं?
कहा जाता है जिस तरह एक मनुष्य के जीवन में तीन पड़ाव आते हैं, बाल्य अवस्था, युवा तथा वृद्ध अवस्था। ठीक उसी तरह ग्रह भी होते हैं बाल, युवा तथा वृद्ध।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका एक सिद्धांत ऐसा है, जिसे ‘ग्रहावस्था’ के नाम से जाना जाता है। ज्योतिषी बताते हैं इसका सही विश्लेषण किए बिना किसी भी कुंडली का सही फलित किया जाना अंसभव है। जिस तरह मनुष्यों की आयु अनुसार बचपन, यौवन एवं वृद्ध अवस्था होता ही ठीक उसी प्रकार ज्योतिष में ग्रहों की उनके अंशों के अनुसार बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत अवस्था होती है। इनकी इन्हीं विभिन्न अवस्थाओं के अनुरूप ग्रह अपना प्रभाव देते हैं।
उदाहरण-
अगर किसी व्यक्ति की जन्मपत्रिका में कोई राजयोग कारक शुभ ग्रह अपनी बाल, वृद्ध या मृत अवस्था में हो तो वह अपने शुभफल में कमी करता है। तो वहीं इसके विपरीत जन्मपत्रिका का अशुभ ग्रह यदि बाल, वृद्ध या मृत अवस्था में हो तो यह जातक के लिए अच्छा होता है क्योंकि ऐसा ग्रह अपनी अशुभता में कमी करता है।
यहां जानें कब ग्रह बाल, कुमार, युवा, वृद्ध और मृत अवस्था में होते हैं-
सम एवं विषम राशि के नियम-
सम राशियों में स्थित ग्रह के अंश अनुसार उसकी अवस्था विषम राशि में उसके स्थित होने पर ठीक विपरीत हो जाती है। उदाहरणार्थ वृषभ (सम) राशि में स्थित 6 अंशों वाला 'बाल' अवस्था का ग्रह मेष (विषम) राशि में समान अंशों में स्थित होने पर भी 'वृद्ध' अवस्था वाला हो जाता है।
आइए अब जानते हैं कि किस अंश तक ग्रह की कौन सी अवस्था रहती है
अवस्था- सम अंश-विषम अंश
बाल : 30 : 6
कुमार : 24 : 12
युवा :18 :18
वृद्ध :12 :24
मृत :06 :30
विशेष- शून्य (0) अंश का ग्रह चाहे सम या विषम किसी भी राशि में स्थित हो मृत अवस्था वाला ही माना जाता है जो ग्रह की सर्वाधिक निर्बल अवस्था होती है।
(नोट- पंजाब केसरी ऐसी किसी बात की पुष्टि नहीं करता, उपरोक्त दी गई जानकारी मान्यताओं पर निर्धारित है।)